History of BRICS
परिचय
जानें History of BRICS गठन, उद्देश्य, और वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसके योगदान के बारे में।
ब्रिक्स (BRICS) एक अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक गठबंधन है, जिसका उद्देश्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है। ब्रिक्स का नाम इसके सदस्य देशों—ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका—के पहले अक्षरों से बना है। इसकी स्थापना 2009 में की गई थी और यह वर्तमान में वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक मामलों में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है। ब्रिक्स न केवल आर्थिक विकास का एक मंच है, बल्कि यह वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा सुरक्षा, और आर्थिक असमानता से निपटने के लिए भी एक प्रभावशाली संगठन है।
ब्रिक्स का गठन और इतिहास
- ब्रिक्स का इतिहास 2001 में तब शुरू हुआ, जब गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्री जिम ओ’नील ने ‘ब्रिक’ (BRIC) शब्द का उपयोग किया। उस समय, उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि ब्राज़ील, रूस, भारत, और चीन वैश्विक आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इन चार देशों की उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने इसे वास्तविकता में बदलने का फैसला किया, और 2006 में, BRIC देशों के विदेश मंत्रियों की पहली अनौपचारिक बैठक संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान आयोजित की गई।
BRIC से BRICS तक का सफर
- 2010 में दक्षिण अफ्रीका को भी इस समूह में शामिल किया गया, और तब इसका नाम BRIC से बदलकर BRICS कर दिया गया। यह समूह वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपने प्रभाव को और बढ़ाने के लिए एकजुट हुआ और अब यह दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक संगठनों में से एक है।
- ब्रिक्स के गठन के पीछे प्रमुख कारण वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में सुधार करना और पश्चिमी देशों द्वारा संचालित संस्थाओं जैसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक (World Bank) में अधिक प्रभावशाली भूमिका निभाना था। ब्रिक्स का उद्देश्य विकासशील देशों की आवाज़ को मजबूत करना और उनके हितों की रक्षा करना है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का इतिहास
वर्ष | स्थान | मुख्य मुद्दे | प्रमुख परिणाम |
---|---|---|---|
2009 | रूस (येकातेरिनबर्ग) | आर्थिक संकट, वैश्विक वित्तीय स्थिरता | सहयोग की नींव रखी गई |
2010 | ब्राज़ील (ब्रासीलिया) | विकास और गरीबी उन्मूलन | दक्षिण अफ्रीका की सदस्यता |
2011 | चीन (सैन्या) | वैश्विक आर्थिक सुधार | सदस्य देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा |
2012 | भारत (नई दिल्ली) | सुरक्षा, ऊर्जा सहयोग, विकास | अफ्रीकी महाद्वीप के साथ सहयोग पर ध्यान |
2013 | दक्षिण अफ्रीका (डरबन) | अवसंरचना और औद्योगिक विकास | न्यू डेवलपमेंट बैंक की स्थापना पर चर्चा |
2014 | ब्राज़ील (फोर्टलेज़ा) | वैश्विक वित्तीय प्रणाली में सुधार | न्यू डेवलपमेंट बैंक और ब्रिक्स रिज़र्व फंड की स्थापना |
ब्रिक्स के उद्देश्य और महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ
- वैश्विक आर्थिक विकास: ब्रिक्स का मुख्य उद्देश्य अपने सदस्य देशों की आर्थिक स्थिति को सशक्त करना और वैश्विक आर्थिक प्रणाली में सुधार लाना है।
- सामूहिक वित्तीय संस्थान: 2014 में ब्रिक्स ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) और कंटीजेंसी रिज़र्व अरेंजमेंट (CRA) की स्थापना की। NDB का उद्देश्य सदस्य देशों में बुनियादी ढांचे और सतत विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करना है।
- विकासशील देशों की आवाज़ को बढ़ावा: ब्रिक्स पश्चिमी देशों के प्रभुत्व वाली वैश्विक वित्तीय संस्थाओं के बजाय विकासशील देशों के लिए अधिक समावेशी और न्यायसंगत प्रणाली की वकालत करता है।
- सदस्य देशों के बीच व्यापार बढ़ाना: ब्रिक्स देशों के बीच आपसी व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
- स्वास्थ्य और विज्ञान में सहयोग: ब्रिक्स देशों ने वैश्विक महामारी COVID-19 के दौरान भी आपसी सहयोग से आर्थिक और स्वास्थ्य संकट से निपटने का प्रयास किया।
ब्रिक्स के सदस्य देशों की अर्थव्यवस्था का योगदान
- ब्रिक्स देशों की संयुक्त आबादी विश्व की आबादी का लगभग 40% है और इनकी अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 23% योगदान करती हैं। यह संगठन वैश्विक उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा संभालता है और यह उभरते बाजारों के लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी बन चुका है।
ब्रिक्स के प्रमुख मुद्दे और चुनौतियाँ
- आर्थिक असमानता: ब्रिक्स देशों के बीच आर्थिक असमानता एक बड़ी चुनौती है। जबकि चीन और भारत तेज़ी से विकास कर रहे हैं, अन्य सदस्य देश जैसे ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका को धीमी आर्थिक वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है।
- राजनीतिक असहमति: सदस्य देशों के बीच राजनीतिक विचारधाराओं और नीतियों में अंतर है। इससे समूह के भीतर कभी-कभी तनाव की स्थिति बन जाती है, खासकर अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर।
- सदस्य देशों के बीच असंतुलन: चीन की आर्थिक शक्ति समूह के भीतर भारी है, जिससे अन्य देशों की भूमिका और प्रभाव कभी-कभी सीमित हो जाता है।
- संपूर्ण विकास का अभाव: BRICS की कई परियोजनाएँ अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में हैं, और सदस्य देशों के बीच समन्वय और सहयोग में सुधार की आवश्यकता है।
ब्रिक्स के लिए भविष्य की संभावनाएँ
- ब्रिक्स का भविष्य इसके सदस्य देशों के बीच सहयोग और साझा लक्ष्यों पर निर्भर करता है। संगठन का उद्देश्य वैश्विक वित्तीय प्रणाली में सुधार और विकासशील देशों के लिए अधिक न्यायसंगत वातावरण बनाना है। हालाँकि, ब्रिक्स को अपने आंतरिक मुद्दों से भी निपटना होगा, जैसे कि सदस्य देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक असमानता।
ब्रिक्स का वैश्विक योगदान तालिका
देश | वैश्विक GDP में योगदान (%) | वैश्विक आबादी में योगदान (%) |
---|---|---|
चीन | 16% | 18% |
भारत | 8% | 17% |
रूस | 3% | 2% |
ब्राज़ील | 2.5% | 3% |
दक्षिण अफ़्रीका | 0.5% | 1% |
न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की भूमिका
- ब्रिक्स द्वारा स्थापित न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) सदस्य देशों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय संसाधन है। इस बैंक का मुख्य उद्देश्य अवसंरचना परियोजनाओं और सतत विकास को प्रोत्साहित करना है। अब तक, NDB ने कई देशों में प्रमुख परियोजनाओं को वित्तपोषित किया है, जैसे कि भारत में सौर ऊर्जा परियोजनाएँ और ब्राज़ील में परिवहन अवसंरचना विकास।
कंटीजेंसी रिज़र्व अरेंजमेंट (CRA)
- कंटीजेंसी रिज़र्व अरेंजमेंट (CRA) एक और महत्वपूर्ण पहल है, जिसे BRICS ने वित्तीय संकट के समय सदस्य देशों की सहायता करने के लिए स्थापित किया है। यह एक सुरक्षा जाल की तरह काम करता है, जिससे सदस्य देशों को वित्तीय संकट के दौरान आवश्यक वित्तीय सहायता मिल सकती है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और वैश्विक चुनौतियाँ
- ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में सदस्य देश वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, और वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थितियों पर चर्चा करते हैं। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए संगठन के भीतर मजबूत सहयोग की आवश्यकता है।
- जलवायु परिवर्तन: ब्रिक्स देशों ने संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को समर्थन दिया है और इसके समाधान के लिए सामूहिक प्रयास करने पर सहमति जताई है।
- आर्थिक असमानता: ब्रिक्स सदस्य देशों के बीच असमानता को दूर करने के लिए संगठन विभिन्न आर्थिक और व्यापारिक समझौतों पर ध्यान केंद्रित करता है।
निष्कर्ष: ब्रिक्स का वैश्विक प्रभाव और भविष्य की दिशा
- ब्रिक्स (BRICS) ने पिछले दशक में वैश्विक अर्थव्यवस्था और राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसका उद्देश्य न केवल उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है, बल्कि वैश्विक आर्थिक प्रणाली में विकासशील देशों के हितों की रक्षा करना भी है। ब्रिक्स का भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन इसके लिए सदस्य देशों के बीच अधिक सहयोग, पारदर्शिता, और एकजुटता की आवश्यकता होगी। यदि ब्रिक्स देशों ने आपसी मतभेदों को दूर करते हुए अपने साझा लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया, तो यह संगठन 21वीं सदी की प्रमुख आर्थिक शक्ति बन सकता है।
BRICS का इतिहास History of BRICS- pdf
BRICS का इतिहास History of BRICS
FAQ
Brics का मुख्यालय कहाँ है?
- ब्रिक्स (BRICS) का मुख्यालय
ब्रिक्स (BRICS) का कोई स्थायी मुख्यालय नहीं है। यह एक समूह है जिसमें ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ़्रीका शामिल हैं, और इसके सदस्य देश एक रोटेशन प्रणाली के तहत शिखर सम्मेलन की मेजबानी करते हैं। हालाँकि, ब्रिक्स के तहत न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की स्थापना की गई है, जिसका मुख्यालय शंघाई, चीन में है। यह बैंक ब्रिक्स देशों के बीच आर्थिक सहयोग और विकास परियोजनाओं को समर्थन देने के लिए बनाया गया है।
ब्रिक्स के उद्देश्य क्या-क्या हैं?
- ब्रिक्स (BRICS) के उद्देश्य
ब्रिक्स देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ़्रीका) का मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना है। इसके प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- आर्थिक विकास और सहयोग: सदस्य देशों के बीच व्यापार, निवेश और आर्थिक विकास को बढ़ाना।
- विकासशील देशों के लिए समर्थन: वैश्विक विकास में उभरती अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को मज़बूत करना और उन्हें एक मज़बूत आवाज़ देना।
- वित्तीय स्थिरता: न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) के माध्यम से सदस्य देशों को वित्तीय समर्थन देना और वैश्विक वित्तीय संस्थानों का सुधार करना।
- राजनीतिक सहयोग: अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एकजुट होकर काम करना और प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर साझी रणनीतियाँ विकसित करना।
- सामाजिक-आर्थिक विकास: शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान और तकनीकी सहयोग के ज़रिए सदस्य देशों के सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना।
ब्रिक्स का उद्देश्य है कि सदस्य देश आपसी सहयोग के ज़रिए वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति और प्रभाव को मज़बूत करें।