भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी INS अरिघाट India second nuclear submarine INS Arighat

India second nuclear submarine INS Arighat

  • भारत ने हाल ही में INS अरिघाट नामक अपनी दूसरी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) को कमीशन किया है। यह कार्यक्रम विशाखापत्तनम में सम्पन्न हुआ और भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस कदम को भारत के परमाणु त्रिभुज को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण बताया, जिसमें भूमि-आधारित मिसाइलें, विमान और परमाणु हथियार लॉन्च करने में सक्षम पनडुब्बियां शामिल हैं। यह भारत को संभावित खतरों के खिलाफ अधिक सुरक्षित बनाता है। 

भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी INS अरिघाट India second nuclear submarine INS Arighat

आज हम India second nuclear submarine INS Arighat के बारे में जानने वाले है।

SSBN कार्यक्रम क्या है?

  • SSBN (Submarine-Launched Ballistic Nuclear) कार्यक्रम भारत की रक्षा रणनीति का एक अहम हिस्सा है। SSBN पनडुब्बियां बैलिस्टिक मिसाइलों को ले जा सकती हैं और उन्हें लॉन्च कर सकती हैं। INS अरिघाट, INS अरिहंत के बाद इस कार्यक्रम की दूसरी पनडुब्बी है, जिसे 2016 में कमीशन किया गया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत को एक विश्वसनीय दूसरा-हमला करने की क्षमता प्रदान करना है, ताकि दुश्मन द्वारा पहले हमले के बावजूद, भारत एक प्रभावी जवाबी हमला कर सके।

INS अरिघाट में तकनीकी प्रगति

  • INS अरिघाट में INS अरिहंत की तुलना में कई तकनीकी सुधार शामिल हैं। इनमें बेहतर डिज़ाइन, उन्नत निर्माण तकनीक और स्वदेशी प्रणालियाँ शामिल हैं। यह दर्शाता है कि भारत उन्नत रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भर हो रहा है, जो एक मजबूत और सक्षम सेना बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

INS अरिघाट की रणनीतिक महत्वपूर्णता

  • INS अरिघाट के भारतीय नौसेना में शामिल होने से देश की रक्षा क्षमताओं में सुधार हुआ है। INS अरिहंत और INS अरिघाट दोनों ही क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि इन पनडुब्बियों की उपस्थिति से क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है, जिससे भारत अपनी रक्षा को प्रभावी ढंग से कर सकता है।

भारत की राष्ट्रीय रक्षा पर प्रभाव

  • SSBN कार्यक्रम, जिसमें INS अरिघाट शामिल है, भारत की परमाणु निरोध रणनीति का एक प्रमुख हिस्सा है। यह रणनीति सुनिश्चित करती है कि भारत किसी भी परमाणु हमले का एक प्रभावी जवाबी हमला कर सकता है, जिससे दुश्मनों को पहले हमले से हतोत्साहित किया जा सके। उदाहरण के लिए, 2022 में INS अरिहंत से मिसाइल का सफल परीक्षण यह साबित करता है कि ये पनडुब्बियाँ कार्रवाई के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इन पनडुब्बियों का निर्माण भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूती प्रदान करता है और भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक है।
  • INS अरिघाट का कमीशन होना भारत की रक्षा रणनीति में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह न केवल भारत की सैन्य क्षमताओं को सशक्त करता है, बल्कि उन्नत सैन्य उपकरणों के विकास में आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देता है। यह प्रगति एक मजबूत और स्वतंत्र सेना बनाए रखने के लिए आवश्यक है जो भारत के हितों की रक्षा कर सके।

भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी INS अरिघाट India second nuclear submarine INS Arighat

अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियों के बारे में

अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियाँ-

  • अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियाँ भारतीय नौसेना की परमाणु शक्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये पनडुब्बियाँ बैलिस्टिक मिसाइलों से सुसज्जित हैं और भारत की परमाणु निरोध नीति को सशक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अरिहंत श्रेणी का पहला सदस्य, INS अरिहंत, 2016 में कमीशन किया गया था और इसके बाद इस श्रेणी की अन्य पनडुब्बियाँ भी भारत की नौसेना में शामिल की गई हैं।

अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियाँ: मुख्य विशेषताएँ

  1. परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियाँ: अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियाँ परमाणु ऊर्जा से संचालित होती हैं, जिससे इन्हें लंबी अवधि तक पानी के नीचे रहकर संचालन करने की क्षमता मिलती है।
  2. बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता: ये पनडुब्बियाँ बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस हैं, जिनमें शौर्य मिसाइलें शामिल हैं। ये मिसाइलें समुद्र से लक्ष्य को भेदने में सक्षम होती हैं।
  3. स्वदेशी निर्माण: अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियाँ पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित हैं, जो भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को दर्शाती हैं।
  4. लंबी अवधि तक संचालन: परमाणु ऊर्जा से चलने के कारण, ये पनडुब्बियाँ पानी के नीचे लंबे समय तक रह सकती हैं, जिससे देश की रणनीतिक रक्षा क्षमताओं में वृद्धि होती है।

अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियाँ: रणनीतिक महत्व

  • परमाणु त्रिभुज का हिस्सा: अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियाँ भारत के परमाणु त्रिभुज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इस त्रिभुज में भूमि-आधारित मिसाइलें, विमान और पनडुब्बियाँ शामिल हैं, जो भारत की परमाणु निरोध क्षमता को सुनिश्चित करती हैं।
  • दूसरा हमला करने की क्षमता: इन पनडुब्बियों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत के पास किसी भी परमाणु हमले के बाद प्रभावी जवाबी हमला करने की क्षमता हो। यह रणनीति संभावित दुश्मनों को पहले हमले से रोकने में सहायक होती है।
  • आत्मनिर्भरता का प्रतीक: अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियाँ भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का प्रतीक हैं, जो देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं।

भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी INS अरिघाट India second nuclear submarine INS Arighat

भविष्य की योजनाएँ

  • भारत की नौसेना अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियों की संख्या बढ़ाने और उन्हें उन्नत बनाने की योजनाएँ बना रही है। भविष्य में और अधिक पनडुब्बियाँ इस श्रेणी में शामिल की जाएँगी, जो भारत की समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक शक्ति को और सशक्त बनाएँगी।

आईएनएस अरिघाट के बारे में

INS अरिघाट-

  • भारत ने हाल ही में अपनी दूसरी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) INS अरिघाट को कमीशन किया है। यह पनडुब्बी भारत की रक्षा क्षमताओं को और सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। INS अरिघाट की कमीशनिंग के साथ, भारत ने अपने परमाणु त्रिभुज को और भी मजबूत किया है, जो उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा की एक महत्वपूर्ण धुरी है।

INS अरिघाट की प्रमुख विशेषताएँ

  1. परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी: INS अरिघाट परमाणु ऊर्जा से संचालित होती है, जिससे इसे लंबी अवधि तक समुद्र के नीचे संचालन करने की क्षमता मिलती है। इसका यह गुण पनडुब्बी को एक छुपे हुए और सतत रणनीतिक तैनाती का विकल्प प्रदान करता है।
  2. बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता: INS अरिघाट में शौर्य बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल हैं, जो समुद्र से लंबी दूरी पर स्थित लक्ष्यों को सटीक रूप से भेदने में सक्षम हैं। ये मिसाइलें भारत की दूसरा-हमला करने की क्षमता को सुनिश्चित करती हैं।
  3. स्वदेशी तकनीक: INS अरिघाट की निर्माण प्रक्रिया में स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। यह भारत की उन्नत रक्षा क्षमताओं की एक महत्वपूर्ण झलक है।

INS अरिघाट की रणनीतिक महत्वता

  • परमाणु त्रिभुज को सशक्त बनाना: INS अरिघाट भारत के परमाणु त्रिभुज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें भूमि-आधारित मिसाइलें, विमान, और परमाणु पनडुब्बियाँ शामिल हैं। यह त्रिभुज भारत को किसी भी संभावित परमाणु हमले के खिलाफ प्रभावी प्रतिरोध देने की क्षमता प्रदान करता है।
  • दूसरा हमला करने की क्षमता: INS अरिघाट का मुख्य उद्देश्य भारत को एक विश्वसनीय दूसरा-हमला करने की क्षमता प्रदान करना है। इसका मतलब है कि दुश्मन द्वारा पहले हमले के बावजूद, भारत एक प्रभावी जवाबी हमला कर सकता है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान: INS अरिघाट भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करता है और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका संचालन भारत को संभावित खतरों के खिलाफ सुरक्षित बनाता है और उसकी रणनीतिक रक्षा क्षमताओं को बढ़ाता है.

भविष्य की योजनाएँ

  • INS अरिघाट के सफल कमीशनिंग के बाद, भारत की नौसेना इस श्रेणी की और पनडुब्बियों की योजना बना रही है। भविष्य में INS अरिघाट जैसी पनडुब्बियाँ भारत की सामरिक शक्ति को और बढ़ाएँगी और उसकी समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करेंगी।

चलिए कुछ प्रश्न देखते है।

Q.1 भारत का प्रथम अणुशक्ति संपन्न पनडुब्बी का नाम क्या है? What is the name of India’s first nuclear powered submarine?

ANS. भारत का प्रथम अणुशक्ति संपन्न पनडुब्बी का नाम: INS अरिहंत

  • भारत ने अपनी पहली अणुशक्ति संपन्न बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी INS अरिहंत को 2016 में कमीशन किया। INS अरिहंत भारतीय नौसेना की परमाणु निरोध क्षमताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पनडुब्बी परमाणु ऊर्जा से संचालित होती है और बैलिस्टिक मिसाइलों को ले जाने और लॉन्च करने की क्षमता रखती है। INS अरिहंत भारत के परमाणु त्रिभुज का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसमें भूमि-आधारित मिसाइलें, विमान और पनडुब्बियाँ शामिल हैं। इसका उद्देश्य किसी भी संभावित परमाणु हमले के खिलाफ प्रभावी जवाबी हमला सुनिश्चित करना है।

Q.2 भारत का प्रथम पनडुब्बी का नाम क्या है? What is the name of India’s first submarine?

ANS. भारत की पहली पनडुब्बी का नाम: INS कलवरी

  • भारत ने अपनी पहली पनडुब्बी INS कलवरी को 1960 में भारतीय नौसेना में शामिल किया था। INS कलवरी एक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी थी, जो भारतीय नौसेना की पनडुब्बी शक्ति के विकास की शुरुआत थी। इस पनडुब्बी ने भारतीय नौसेना को समुद्री सुरक्षा और रक्षा क्षमताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया। INS कलवरी को भारतीय निर्माताओं द्वारा अद्यतित और उन्नत पनडुब्बी कार्यक्रम के तहत कई सुधारों के साथ पेश किया गया।

Q.3 भारत की सबसे बड़ी पनडुब्बी कौन सी है? Which is the biggest submarine of India?

ANS. भारत की सबसे बड़ी पनडुब्बी: INS अरिहंत

  • INS अरिहंत भारत की सबसे बड़ी पनडुब्बी है। यह एक अणुशक्ति संपन्न बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) है, जो भारत की परमाणु निरोध क्षमता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। INS अरिहंत को 2016 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। इसकी लंबाई लगभग 112 मीटर है और यह परमाणु ऊर्जा से चलती है, जिससे इसे लंबे समय तक समुद्र के नीचे संचालन करने की क्षमता मिलती है। INS अरिहंत में बैलिस्टिक मिसाइलें भी शामिल हैं, जो इसे सामरिक दृष्टि से एक शक्तिशाली प्लेटफॉर्म बनाती हैं।

Q.4 दुनिया की पहली परमाणु पनडुब्बी क्या है? What is the world’s first nuclear submarine?

ANS. दुनिया की पहली परमाणु पनडुब्बी: USS नॉटिलस

  • दुनिया की पहली परमाणु पनडुब्बी USS नॉटिलस थी, जिसे 1954 में अमेरिकी नौसेना में कमीशन किया गया। USS नॉटिलस को परमाणु ऊर्जा से संचालित करने वाली पहली पनडुब्बी के रूप में जाना जाता है। इस पनडुब्बी ने समुद्र के नीचे लंबी अवधि तक संचालन की नई संभावनाओं को खोला और इसे एक नई प्रकार की रणनीतिक समुद्री शक्ति का प्रतीक माना गया। USS नॉटिलस ने पनडुब्बी प्रौद्योगिकी में क्रांतिकारी बदलाव लाया और इसका डिजाइन और तकनीक आज भी आधुनिक पनडुब्बियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Q.5 भारत के पास कितनी पनडुब्बी है और उनके नाम? How many submarines does India have and their names?

ANS. भारत के पास पनडुब्बियाँ और उनके नाम-

भारत की नौसेना में विभिन्न प्रकार की पनडुब्बियाँ शामिल हैं:

साल्वेजर (S-Class) पनडुब्बियाँ:

  • INS कलवरी
  • INS कंधारी
  • INS करंज
  • INS सिंधुरत्न
  • INS सिंधुसागर

सिंधुघोष (Sindhughosh) पनडुब्बियाँ:

  • INS सिंधुध्वज
  • INS सिंधुसेना
  • INS सिंधुशेष

सिंधुनेट (Sindhuraj) पनडुब्बियाँ:

  • INS सिंधुराज
  • INS सिंधुराज

अरिहंत (Arihant) श्रेणी की पनडुब्बियाँ:

  • INS अरिहंत
  • INS अरिघाट

Q.6 भारत में पनडुब्बी दिवस कब मनाया जाता है? When is Submarine Day celebrated in India?

ANS. भारत में पनडुब्बी दिवस: 8 दिसंबर-

  • भारत में पनडुब्बी दिवस हर साल 8 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय नौसेना के पनडुब्बी बल की उपलब्धियों और उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने के लिए समर्पित है। 8 दिसंबर 1967 को भारतीय नौसेना ने पहली डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी INS कलवरी को कमीशन किया था, जो भारतीय नौसेना की पनडुब्बी शक्ति की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन को मनाने से पनडुब्बी बल की सेवा, समर्पण और समुद्री सुरक्षा में योगदान को सम्मानित किया जाता है।

Q.7 भारत की पहली स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी कौन सी है? Which is India’s first Scorpene class submarine?

ANS.

  • भारत की पहली स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी का नाम INS कलवरी है। इसे 14 दिसंबर 2017 को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। यह पनडुब्बी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, मुंबई में बनाई गई थी। स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां अत्याधुनिक तकनीक से लैस होती हैं और इनमें गुप्त रूप से दुश्मन के क्षेत्रों में प्रवेश करने, टॉरपीडो और मिसाइलों से हमले करने की क्षमता होती है। INS कलवरी को नाम “कलवरी” एक शिकारी शार्क के नाम पर रखा गया है, जो पनडुब्बी की तेज गति और घातकता का प्रतीक है। यह पनडुब्बी भारत की रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

Q.8 भारत द्वारा निर्मित प्रथम बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता वाली पनडुब्बी कौन सी है? Which is the first ballistic missile capable submarine built by India?

ANS.

  • India की पहली बैलिस्टिक मिसाइल ले जाने में सक्षम पनडुब्बी INS अरिहंत है। इसे 2016 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। INS अरिहंत पूरी तरह से भारत में निर्मित है और यह “न्यूक्लियर ट्रायड” का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका मतलब है कि भारत अब जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु हथियारों को लॉन्च कर सकता है। इस पनडुब्बी में K-15 और K-4 जैसी परमाणु-सक्षम मिसाइलें लगी होती हैं, जो भारत की सुरक्षा और सामरिक ताकत को बढ़ाने में मदद करती हैं। INS अरिहंत का निर्माण भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की एक बड़ी उपलब्धि है, जो भारत की रक्षा क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है।

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