Mission Sudarshan Chakra 2035

Mission Sudarshan Chakra: भारत का बहु-स्तरीय वायु रक्षा कवच 2035 की ओर


Mission Sudarshan Chakra 2035- DRDO की नई बहु-स्तरीय वायु रक्षा प्रणाली, QRSAM-VSHORADS-DEW और Project Kusha सहित, 2035 तक भारत को विकसित सुरक्षा कवच प्रदान करेगी। जानिए इसकी विशेषताएँ, चुनौतियाँ और रणनीतिक महत्व सरल हिंदी में।

Mission Sudarshan Chakra 2035


परिचय

भारत ने 15 अगस्त 2025 को “Mission Sudarshan Chakra” नामक एक महत्वाकांक्षी वायु-और मिसाइल रक्षा कवच की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में इस योजना को सार्वजनिक किया। इसका उद्देश्य 2035 तक देश की वायु रक्षा क्षमताएँ आधुनिक तकनीकों, स्वदेशी हथियार प्रणालियों, मल्टी-लेवल डिफेंस और नेटवर्केड कमांड एवं नियंत्रण प्रणाली के माध्यम से सुदृढ़ करना है। The Times of India

यह मिशन भारत को बढ़ती हवाई चुनौतियों, ड्रोन हमलों, मिसाइल हमलों और अन्य गैर-पारंपरिक खतरों से सुरक्षित करने की रणनीति है। इसे “राष्ट्र सुरक्षा कवच” (national shield) कहा जा रहा है।


1. Mission का स्वरूप और महत्व

  • बहु-स्तरीय रक्षा कवच (Multi-layered Defense Shield): Sudarshan Chakra में कम दूरी, मध्यम दूरी और लंबी दूरी की प्रणालियाँ शामिल होंगी, जैसे कि QRSAM, VSHORADS, Project Kusha के इंटरसेप्टर मिसाइलें आदि।

  • स्वदेशी तकनीक: DRDO द्वारा विकसित, Directed Energy Weapons (DEW), जीवन-हजार (Very Short Range Air Defence) प्रणालियाँ, तथा स्वदेशी निर्माण पर जोर।

  • IACCS (Integrated Air Command & Control System) की भूमिका: विभिन्न सेंसर्स, राडार, कमांड कंट्रोल केंद्रों का नेटवर्क, सभी को मिलकर वास्तविक समय में उत्तर देने वाली प्रणाली स्थापित करना।

  • हाई-एंथ्रॉल्ड खतरों से सुरक्षा: ड्रोन, सूरक्षात्मक मिसाइल, स्वार्म ड्रोन आदि की चुनौतियों के लिए तैयारियाँ।


2. Project Kusha और परीक्षणों का हाल

  • Project Kusha Mission Sudarshan Chakra की एक मुख्य कड़ी है जिसमें तीन प्रकार की इंटरसेप्टर मिसाइलों का विकास हो रहा है — M1 (150 किमी), M2 (250 किमी), M3 (350-400 किमी रेंज) के लक्ष्य के साथ।

  • 2026 से इन मिसाइलों के परीक्षण शुरू होंगे।

  • हाल ही में DRDO ने समुद्री तट के पास Integrated Air Defence Weapon System (IADWS) के परीक्षण किए, जिसमें QRSAM, VSHORADS, DEW जैसे कम्पोनेंट्स को मिलाकर विभिन्न ऊँचाइयों और दूरियों पर लक्ष्यों को भेदने की क्षमता दिखाई गई।


3. पुरानी प्रणालियों और आधुनिक तकनीकों का संयोजन

  • भारत ने पहले से ही S-400, Akash Prime, Barak-8, Akash आदि प्रणालियाँ अपनाई हैं। Sudarshan Chakra इन प्रणालियों को और जोड़कर, उनके बीच तालमेल स्थापित कर एक संपूर्ण कवच तैयार करेगा।

  • Legacy सिस्टम जैसे Pechora, OSA-AK, L70 इत्यादि कम दूरी या मध्यम दूरी के लिए उपयोगी हैं। इन्हें आधुनिक सेंसर्स, कमांड नेटवर्क, AI-बेस्ड चेतावनी प्रणालियों के साथ एकीकृत किया जाएगा।


4. रणनीतिक महत्व और सुरक्षा परिदृश्य

  • मानव रहित यंत्र (UAV / Drones) और स्वार्म ड्रोन हमलों की बढ़ती संभावना। Sudarshan Chakra इस प्रकार की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार होगा।

  • हाइपरसोनिक मिसाइलों, क्रूज़ मिसाइलों आदि से रक्षा। लंबी दूरी की इंटरसेप्टर मिसाइलें महत्वपूर्ण होंगी।

  • ग्रहणशीलता (Deterrence) और प्राथमिक रक्षा कवच: सेना, वायु सेना और नौसेना की संयुक्त क्षमताएँ विभिन्न मोर्चों पर अग्रिम भूमिका निभाएँगी।


5. चुनौतियाँ और जोखिम

  • एकीकरण की जटिलताएँ: विभिन्न प्रणालियों, विभिन्न दूरी के हथियारों और अलग-अलग सेवाओं (Army, Air Force, Navy) की सहभागिता।

  • तकनीकी विकास और AI / DEW सहित नई तकनीकों का भरोसा, लेकिन इनका कार्यान्वयन और भरोसा।

  • वित्तपोषण एवं बजट: इतना बड़ा मिशन बहुत धन और संसाधनों की मांग करता है।

  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग और अप्रत्याशित खतरों का स्वरूप — साइबर युद्ध, झुप मुस्टरी (swarm drones), इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, स्पेस आधारित खतरों का सामना।


6. UPSC के लिए प्रासंगिक बिंदु

  • संविधान और रक्षा नीति – रक्षा संबंधी प्रावधानों का अध्ययन, अनुच्छेद 51, राष्ट्रीय सुरक्षा नीति आदि।

  • Current Affairs – विदेश नीति, पड़ोसी देशों से संबंध, ड्रोन युद्ध, भारत-पाक तनाव आदि।

  • Defence Technology – स्वदेशी विकास (Atmanirbhar Bharat), DRDO की भूमिका, Project Kusha आदि।

  • Essay Topics – जैसे “भारत को आधुनिक वायु रक्षा कवच की आवश्यकता क्यों है?” या “Mission Sudarshan Chakra: चुनौतियाँ और अवसर”।


7. FAQs (संक्षिप्त प्रश्न-उत्तर)

  1. Mission Sudarshan Chakra क्या है?
    ➝ एक बहु-स्तरीय, स्वदेशी वायु और मिसाइल रक्षा कवच है, जिसका लक्ष्य 2035 तक पूरा होना है। इसका प्रारंभ कब हुआ?
    ➝ 15 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री के भाषण में इस मिशन की घोषणा हुई।

  2. Project Kusha क्या है?
    ➝ Sudarshan Chakra के तहत विकसित की जाने वाली लंबी दूरी की इंटरसेप्टर मिसाइल प्रणालियों का समूह। The Economic Times+1

  3. प्रारंभिक परीक्षणों में क्या चीज़ें सफल रहीं?
    ➝ DRDO ने Integrated Air Defence Weapon System के परीक्षण में विभिन्न ऊँचाइयों और दूरियों पर लक्ष्यों को भेदने की क्षमता दिखाई। The Indian Express

  4. इस प्रणाली के मुख्य कम्पोनेंट कौन से होंगे?
    ➝ QRSAM, VSHORADS, DEW (Directed Energy Weapons), IACCS, Project Kusha इंटरसेप्टर मिसाइलें। The Indian Express+1

  5. कितनी अवधि में यह पूरी तरह तैयार होगा?
    ➝ लक्ष्य है कि 2035 तक यह मिशन पूरी तरह से कार्य-रूप में हो।

  6. क्या उदाहरण स्वरूप अन्य देशों की प्रणालियाँ मिलती-जुलती हैं?
    ➝ हाँ — इजरायल की Iron Dome, अमेरिका की Golden Dome जैसी प्रणालियाँ प्रेरणा स्रोत बना रही हैं। योद्धा-और नागरिक संरचनाएँ दोनों की सुरक्षा हेतु किस प्रकार की रक्षा होगी?
    ➝ रणनीतिक, नागरिक क्षेत्र जैसे अस्पताल, धार्मिक स्थल आदि सभी पर सुरक्षा कवच होगा। The Times of India


 निष्कर्ष-

Mission Sudarshan Chakra भारत की लिए रणनीतिक सुरक्षा दृष्टिकोण में एक बड़ा बदलाव है। यह न सिर्फ वर्तमान खतरों से सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि भविष्य की चुनौतियों जैसे ड्रोन, हाइपरसोनिक हमले, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध आदि से निपटने की तैयारी भी है। स्वदेशी विकास, बहु-स्तरीय रक्षा और समेकित कमांड एवं नियंत्रण के माध्यम से भारत अपनी रक्षा क्षमता को नई ऊँचाइयों पर ले जाने वाला है।


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