1952-25 भारत के उपराष्ट्रपति का इतिहास 1952-25 History of Vice President of India

1952-25 History of Vice President of India, भूमिका और विकास जानें। अनुच्छेद 63 से लेकर वर्तमान उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन तक की विस्तृत जानकारी, चुनाव प्रक्रिया, अधिकार, जिम्मेदारियाँ और UPSC परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण तथ्य इस आर्टिकल में सरल हिंदी में उपलब्ध हैं।

1952-25 भारत के उपराष्ट्रपति का इतिहास 1952-25 History of Vice President of India


प्रस्तावना-

भारत का उपराष्ट्रपति पद केवल एक औपचारिक संवैधानिक व्यवस्था नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की स्थिरता, विविधता और संवैधानिकता का प्रतीक भी है। अनुच्छेद 63 के अंतर्गत स्थापित यह पद राष्ट्रपति के बाद दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं और कई बार आकस्मिक परिस्थितियों में राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन भी करते हैं।

1952 से लेकर आज तक उपराष्ट्रपति पद ने विभिन्न चरणों से गुजरते हुए भारतीय राजनीति और समाज का प्रतिबिंब प्रस्तुत किया है। 2025 में सी.पी. राधाकृष्णन का चुनाव इस पद की विरासत को आगे बढ़ाता है।


उपराष्ट्रपति पद की संवैधानिक पृष्ठभूमि-

  1. अनुच्छेद 63 – भारत में उपराष्ट्रपति पद की स्थापना।

  2. अनुच्छेद 64 – उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होंगे।

  3. अनुच्छेद 65 – राष्ट्रपति की मृत्यु, इस्तीफा या असमर्थता की स्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बनेंगे।

  4. चुनाव प्रक्रिया

    • निर्वाचक मंडल: संसद के दोनों सदनों के सदस्य।

    • मतदान प्रणाली: आनुपातिक प्रतिनिधित्व, एकल हस्तांतरणीय मत।

    • कार्यकाल: 5 वर्ष।


उपराष्ट्रपति पद का ऐतिहासिक विकास

1. दार्शनिक और आदर्शवादी दौर (1952–1969)

  • डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1952–1962) – महान दार्शनिक, शिक्षा और संसदीय परंपराओं के रक्षक।

  • डॉ. जाकिर हुसैन (1962–1967) – शिक्षा और धर्मनिरपेक्षता के प्रतीक।

  • वी.वी. गिरी (1967–1969) – स्वतंत्र राष्ट्रपति चुनाव में खड़े होकर राजनीतिक सक्रियता को नई परिभाषा दी।

2. स्थिरता और संवैधानिकता का दौर (1969–1987)

  • जी.एस. पाठक (1969–1974) – संवैधानिक अनुशासन पर बल।

  • बी.डी. जत्ती (1974–1979) – आपातकाल के कठिन दौर में कार्यवाहक राष्ट्रपति।

  • एम. हिदायतुल्लाह (1979–1984) – विधि विशेषज्ञ, कानून के शासन को मजबूत किया।

  • आर. वेंकटरमन (1984–1987) – राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच संतुलनकारी भूमिका।

3. समावेशन और सामाजिक न्याय का दौर (1987–2002)

  • डॉ. शंकर दयाल शर्मा (1987–1992) – शिक्षा और मर्यादा के प्रतीक।

  • के.आर. नारायणन (1992–1997) – पहले दलित उपराष्ट्रपति और बाद में राष्ट्रपति।

  • कृष्णकांत (1997–2002) – संसद पर हुए हमले (2001) के समय नेतृत्व।

4. आधुनिक राजनीति का दौर (2002–2025)

  • भैरोंसिंह शेखावत (2002–2007) – भाजपा के पहले उपराष्ट्रपति।

  • मोहम्मद हामिद अंसारी (2007–2017) – दो कार्यकाल, संसदीय अनुशासन और बहसों की गुणवत्ता।

  • वेंकैया नायडू (2017–2022) – ग्रामीण विकास और स्पष्ट वक्तव्य शैली।

  • जगदीप धनखड़ (2022–2025) – सख्त अनुशासन, किन्तु स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा।

  • सी.पी. राधाकृष्णन (2025–वर्तमान) – प्रशासनिक अनुभव, मृदुभाषी व्यक्तित्व, एनडीए का प्रतिनिधित्व।


उपराष्ट्रपति की मुख्य भूमिकाएँ

  1. राज्यसभा के पदेन सभापति।

  2. राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में कार्यवाहक राष्ट्रपति।

  3. संसदीय अनुशासन और लोकतांत्रिक संवाद को बनाए रखना।

  4. संविधान और लोकतांत्रिक परंपराओं का संरक्षण।


उपराष्ट्रपति की भूमिका पर वर्तमान विमर्श

  • समावेशन: दलित, अल्पसंख्यक और विभिन्न सामाजिक वर्गों से उपराष्ट्रपति का चुनाव।

  • राजनीतिकरण: हाल के दशकों में उपराष्ट्रपति दलगत राजनीति से अधिक जुड़े हुए।

  • UPSC दृष्टिकोण: यह पद संवैधानिक अध्ययन (Polity), शासन, और लोकतंत्र की समझ में महत्वपूर्ण है।


UPSC परीक्षा के लिए मुख्य बिंदु-

  1. अनुच्छेद 63–71 (उपराष्ट्रपति से संबंधित प्रावधान)।

  2. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की तुलना।

  3. चुनाव प्रक्रिया और निर्वाचन मंडल।

  4. ऐतिहासिक विकास (1952–2025)।

  5. वर्तमान उपराष्ट्रपति का योगदान।

  6. उपराष्ट्रपति की संवैधानिक, राजनीतिक और सामाजिक भूमिका।


FAQs-

Q1. भारत का पहला उपराष्ट्रपति कौन थे?
👉 डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन।

Q2. उपराष्ट्रपति का चुनाव कौन करता है?
👉 संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित व नामांकित सदस्य।

Q3. उपराष्ट्रपति का कार्यकाल कितने वर्षों का होता है?
👉 5 वर्ष।

Q4. वर्तमान उपराष्ट्रपति (2025) कौन हैं?
👉 सी.पी. राधाकृष्णन।

Q5. UPSC के लिए उपराष्ट्रपति क्यों महत्वपूर्ण हैं?
👉 क्योंकि यह संवैधानिक पद Polity, Governance और Current Affairs में बार-बार पूछा जाता है।

1952–2025 भारत के उपराष्ट्रपति पर 20 महत्वपूर्ण FAQs

  1. भारत में उपराष्ट्रपति का पद कब स्थापित हुआ था?
    ➝ 1952 में प्रथम उपराष्ट्रपति का चुनाव हुआ था।

  2. भारत के पहले उपराष्ट्रपति कौन थे?
    ➝ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन।

  3. उपराष्ट्रपति का चुनाव किस अनुच्छेद में वर्णित है?
    ➝ अनुच्छेद 63 से 71 में।

  4. भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव कौन कराता है?
    ➝ चुनाव आयोग (Election Commission of India)।

  5. उपराष्ट्रपति बनने के लिए न्यूनतम आयु कितनी होनी चाहिए?
    ➝ 35 वर्ष।

  6. उपराष्ट्रपति का कार्यकाल कितने वर्षों का होता है?
    ➝ 5 वर्ष।

  7. भारत का वर्तमान (2025) उपराष्ट्रपति कौन है?
    ➝ सी.पी. राधाकृष्णन।

  8. उपराष्ट्रपति का मुख्य कार्य क्या है?
    ➝ राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करना।

  9. क्या उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति का कार्यभार संभाल सकता है?
    ➝ हाँ, राष्ट्रपति के अनुपस्थित होने या पद रिक्त होने पर।

  10. भारत में अब तक कुल कितने उपराष्ट्रपति हो चुके हैं (1952–2025)?
    ➝ कुल 14 उपराष्ट्रपति।

  11. उपराष्ट्रपति के चुनाव में कौन वोट डालता है?
    ➝ संसद के दोनों सदन (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्य।

  12. क्या उपराष्ट्रपति दोबारा चुना जा सकता है?
    ➝ हाँ, उपराष्ट्रपति दोबारा चुने जा सकते हैं।

  13. भारत के किस उपराष्ट्रपति ने सबसे लंबा कार्यकाल पूरा किया?
    ➝ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और हामिद अंसारी (दो कार्यकाल)।

  14. क्या उपराष्ट्रपति संसद का सदस्य हो सकता है?
    ➝ नहीं, उपराष्ट्रपति बनने के बाद उसे संसद सदस्यता छोड़नी होती है।

  15. उपराष्ट्रपति का वेतन कितना होता है?
    ➝ अलग से वेतन नहीं, बल्कि राज्यसभा के सभापति के रूप में मिलने वाला वेतन मिलता है।

  16. भारत के पहले मुस्लिम उपराष्ट्रपति कौन थे?
    ➝ ज़ाकिर हुसैन।

  17. क्या उपराष्ट्रपति को संसद द्वारा हटाया जा सकता है?
    ➝ हाँ, राज्यसभा में विशेष प्रस्ताव और लोकसभा की सहमति से।

  18. उपराष्ट्रपति पद रिक्त होने पर क्या होता है?
    ➝ नया चुनाव 6 महीने के भीतर होना अनिवार्य है।

  19. भारत के उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति में मुख्य अंतर क्या है?
    ➝ राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रमुख होता है जबकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है।

  20. UPSC के दृष्टिकोण से उपराष्ट्रपति पद क्यों महत्वपूर्ण है?
    ➝ क्योंकि यह भारतीय संविधान, राजनीति, संसद और कार्यपालिका से जुड़े प्रश्नों में बार-बार पूछा जाता है।


निष्कर्ष-

भारत का उपराष्ट्रपति पद 1952 से अब तक केवल एक संवैधानिक औपचारिकता नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक यात्रा का सजीव प्रतीक रहा है। दार्शनिकों और शिक्षाविदों से लेकर राजनेताओं और प्रशासकों तक, इस पद ने समय-समय पर भारत की राजनीतिक, सामाजिक और संवैधानिक दिशा को आकार दिया है। वर्तमान उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भारतीय लोकतंत्र में स्थिरता और समावेशन का संदेश दे रहे हैं।

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