coastal plains of india
Coastal Plains Of India जानें कैसे जलवायु परिवर्तन, समुद्र स्तर में वृद्धि और शहरीकरण ने तटीय क्षेत्रों को प्रभावित किया है। इस लेख में भारत के तटीय मैदानों की नई विशेषताएँ, विकास और उनके पारिस्थितिकी तंत्र का महत्व समझें।
आज हम भारतीय तटीय मैदान (new coastal plains of india)के बारे में जानने वाले है।
- प्रायद्वीप के पश्चिमी तथा पूर्व में तट रेखा के सहारे संकरे तटीय मैदान विस्तृत है। इनका धरातल एवं संरचना परस्पर भिन्न है। उनकी रचना सागरीय लहरों की क्रिया तथा नदियों द्वारा लगाए गए निक्षेपों से हुई है।
- कोकण का मैदान दमन से गोवा तक लगभग 500 किमी लंबा तथा 60 से 80 किमी चौड़ा मैदान विस्तृत है। यह बहुत कटा -फटा मैदान है। लावा मिट्टी से निर्मित होने के कारण यह काफी उर्वर है। तट पर रेत के टीलों के अवरोध के कारण नदियों के एकत्रित जल से छोटी-छोटी झीले बन गई है.
coastal plains of india map भारत के तटीय मैदानों का मानचित्र
- भारत के तटीय मैदान, जो समुद्र के किनारे फैले हुए हैं, भूगोल के छात्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन मैदानों का विस्तार पश्चिमी और पूर्वी तटों पर है, जिसमें पश्चिमी तट पर गुजरात से लेकर केरल तक और पूर्वी तट पर ओडिशा से लेकर तमिलनाडु तक शामिल हैं। यह लेख तटीय मैदानों के नक्शे के माध्यम से उनकी भौगोलिक विशेषताओं, नदी के डेल्टों, और विभिन्न प्रकार की जलवायु और पारिस्थितिकी के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इस नक्शे के जरिए छात्र तटीय मैदानों की संरचना और उनके महत्व को आसानी से समझ सकेंगे।
- कनारा तटीय मैदान -गोवा से मैंगलोर तक 225 किलोमीटर लंबाई में विस्तृत मैदान कनारा तट कहलाता है। प्राचीन कायंतरित शैलों से निर्मित यह तटीय मैदान काफी कटा- फटा है। पश्चिमी घाट से उतरने वाली नदियों ने यह उर्वर कांप निक्षेपित की है। सागर तट पर लहरों की क्रिया का प्रभाव दर्शनीय है। तट पर रेत की टीले पाए जाते हैं.
- मालाबार तटीय मैदान- मंगलौर से कुमारी अंतरिप तक 500 कीमि की लंबाई में विस्तृत तटीय मैदान “मालाबार “ कहलाता है। यह लंबे व संकरे अनूप(Lagoons) स्थित है जिन्हें कायल कहते हैं। इन झीलों को नहरो द्वारा मिलने से नौकरोहण की सुविधा हो गई है। नारियल ,चावल, सुपारी, केला व गर्म मसाले यहां खूब उगते हैं.
- पश्चिमी तटीय मैदानो के पूर्व में पश्चिमी घाट दीवार की भांति स्थित है। ऐसी मान्यता है कि भूगर्भिक हलचलो के कारण पश्चिमी घाट ऊपर उठे हैं तथा इनका पश्चिमी भाग समुद्र में डूब गया। पश्चिमी घाटों के पश्चिमी ढाल पर लहरों की क्रिया के कारण संकरे तटीय मैदानों की उत्पत्ति हुई। यहां पूर्वी तट की अपेक्षा अधिक चौड़े मैग्ना तट उपस्थित है। विशेषतया काठियावाड़ , गुजरात व कोकण तट के निकट चौड़े मग्न तट उपस्थित है.
eastern coastal plains of india भारत के पूर्वी तटीय मैदान
- भारत के पूर्वी तटीय मैदान, जो बंगाल की खाड़ी के किनारे फैले हुए हैं, भूगोल के छात्रों, विशेषकर UPSC तैयारी कर रहे छात्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह क्षेत्र ओडिशा से लेकर तमिलनाडु तक फैला है और यहां की प्रमुख नदियाँ, जैसे मेघना, गंगा, और महानदी, डेल्टा बनाकर समुद्र में मिलती हैं। इस क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताएँ, जैसे उर्वर मिट्टी, जलवायु और कृषि उत्पादकता, इसे कृषि के लिए उपयुक्त बनाती हैं। इसके अलावा, यहां की जलवायु मछली पकड़ने और तटीय उद्योगों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस लेख में, पूर्वी तटीय मैदानों की संरचना, महत्वपूर्ण शहर, और आर्थिक गतिविधियों के बारे में जानकारी दी गई है, जो UPSC की दृष्टि से उपयोगी होगी।
- उत्तर में सुवर्ण रेखा नदी से दक्षिण में कुमारी अंतरीप तक विस्तृत पूर्वी तटीय मैदान पश्चिमी तटीय मैदान की अपेक्षा अधिक चौड़ा है। यह कई नदियों के डेल्टा स्थित है। इन तटीय मैदान को दो भू -आकृतिक विभागों में बांटा जा सकता है।
1 ) तटीय भाग में महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी के उर्वर डेल्टा स्थित है।
2 ) आंतरिक भाग नदियों की ऊपरी घाटियों से निर्मित है जहां काफी अपरदित धरातल पाया जाता है.
पूर्वी तट का उत्तरी भाग “उत्तरी सरकार” तथा दक्षिणी भाग “कोरोमंडल तट” कहलाता है इस तटीय संघन के ऊप – विभाग किये जा सकते हैं-
- उत्कल का मैदान लगभग 400 किमी लंबा यह मैदान उड़ीसा का तटीय भाग है। महानदी डेल्टा काफी चौड़ा है, डेल्टा के दक्षिण में 75 किमी लंबी चिल्का झील स्थित है। इस झील के उत्तर में तट रेखा लगभग सीधी व सपाट है किंतु दक्षिण व पश्चिम में पहाड़ी चट्टानों तथा पूर्वी घाट सुरक्षित है. कई छोटी नदियां पूर्वी तट मुहाना बनाती है इन इन मुहानों पर छोटे पतन विकसित हो गए हैं.
- आंध्र तटीय मैदान- इसकी रचना गोदावरी व कृष्ण नदियों के डेल्टा से हुई है इन डेल्टाओं के मध्य कोलेरु झील स्थित है जिसमें कई छोटी नदियां गिरती है.
पश्चिमी तटीय मैदान (western coastal plain)
- यह प्रायद्वीप के पश्चिम में खंभात की खाड़ी से लगाकर कुमारी अंतरीप तक अरब सागर के तट और पश्चिमी घाटों के बीच में लगभग 1500 किलोमीटर की लंबाई में फैले हैं। उनकी चौड़ाई 65 किलोमीटर है। नर्मदा और ताप्ती के मुहानों के निकट यह 80 किलोमीटर चौड़ा है।
- इस तटीय मैदान में बहने वाली नदियां छोटी और तीव्र गामी है अंत; इनके द्वारा पश्चिमी घाट पर होने वाली वर्षा काजल व्यर्थ ही समुद्र में बहकर चला जाता है। तीव्र गामी होने के कारण इनके द्वारा मिट्टी भी अधिक नहीं जम पाती है.
western coastal plains of india भारत के पश्चिमी तटीय मैदान
पश्चिमी तटीय मैदान के निम्न उप – विभाग किए जाते हैं-
गुजरात का मैदान (Gujarat Plain)
- यह मैदान कच्छ और सौराष्ट्र प्रायद्वीप के तट एवं पश्चिम गुजरात की तटीय पट्टी के रूप में फैला है। इसमें गुजरात का भीतरी मैदान और कच्छ व खंभात की खाड़ी का तटवर्ती क्षेत्र सम्मिलित है।
- इसका ढाल पश्चिम तथा दक्षिणी- पश्चिमी की ओर है। यह समुद्र तल से अधिक ऊंचा नहीं है।
- साबरमती के मुहाने पर तो केवल यह 12 मीटर ऊंचा है पश्चिमी बनास ,माही, साबरमती, नर्मदा और तापी नदियां इसी मैदान में बहती हुई अरब सागर में गिरती है।
- भीतरी क्षेत्र कांप मिट्टी के कारण उपजाऊ है किंतु तटीय क्षेत्रों में ज्वार का जल भरते रखने से नमकीन दलदल अधिक पाए जाते हैं।
- इस भाग में अनेक स्थानों पर खनिज तेल मिलने तथा सारे गुजरात में वस्त्र उद्योग का निरंतर विकास होने से तटीय पट्टी में भी पर्याप्त आर्थिक विकास होता जा रहा है।
- यहां पर अनेक व्यापारिक एवं औद्योगिक केंद्र विकसित हो गए हैं। नर्मदा नदी बांध परियोजना पूरी हो जाने से इसकी अधिक तेजी से विकास हो रहा है। अधिकांश तटीय मैदान उपजाऊ कांप मिट्टी के बने हैं.
कच्छ प्रायद्वीप मैदान (Kutch Peninsular Coast Plain)
- कक्षा एक द्वीप है किंतु इसको देश की मुख्य भूमि से अलग करने वाली खाड़ी रण आफ कच्छ इतनी उथली है कि शुष्क ऋतु में कच्चा मुख्य भूमि से मिल जाता है। और वर्षा ऋतु में इससे अलग हो जाता है। कच्छ का मैदान नमकीन रेतीला मैदान है।
- यह समुद्र के नीचे रह चुका है वर्षा की कमी के कारण यह शुष्क व अर्द्धशुष्क मैदान है। यह अनरुत्त समतल मैदान के भांति है। कहीं-कहीं बालू व चट्टानों की द्वीप ऊभरे दिखाई देते हैं। प्रदीप के मध्य गिरीनगर नाम से पहाड़िया पाई जाती है। वर्षा के दिनों में यहां बाढ़ आ जाती है.
गुजरात का मैदान (Gujrat Plains)
- यह मैदान कच्छ और सौराष्ट्र के पूर्व की ओर फैला है। इसमें गुजरात का भीतरी मैदान और खंभात की खाड़ी तटवर्ती क्षेत्र सम्मिलित है। इसका ढाल पश्चिम तथा दक्षिण पश्चिम की ओर है।
- यहां पर माही, साबरमती, नर्मदा और ताप्ती नदियां बहती हुई अरब सागर में गिरती है। इन नदियों ने यहां भारी मात्रा में कांप जमा कर दी है।
- यह समुद्र तल से अधिक ऊंचा नहीं है। साबरमती के मुहाने पर तो यह केवल 12 मीटर ऊंचा है। तटीय क्षेत्रों में ज्वार का जल भरते रहने के कारण नमकीन दलदल पाए जाते हैं जबकि भीतरी भागों में उपजाऊ कांप भूमि पर कृषि की जाती है.
मालाबार तटीय मैदान (Malabar coastal plain)
- यह मैदान गोवा से लेकर मंगलौर तक 225 किमी की लंबाई में फैला है। यह प्राचीन रूपांतरित चट्टानों द्वारा निर्मित है। इसका तट कॉपी कटा फटा है।
- पश्चिमी घाट पर्वत से निकलने वाली अनेक छोटी-छोटी कॉप व तीव्रगामी नदियों ने यहां भारी मात्रा में अवसाद एकत्र करके कांप के मैदाने का निर्माण किया है। जो काफी उपजाऊ है। यहां पर लेटराइट पहाड़ियां मिलती है।
- तट के ऊपर लहरों का भी प्रभाव रहता है समस्त तट भूमि तक बालू का स्तूप सैंड ड्यून्स पाए जाते हैं। गोवा में स्थित मांडवी जुआरी संकीर्ण खाड़ी सबसे महत्वपूर्ण वृताकार खुली खाडी के रूप में है।
- वर्षा अधिक होने तथा सामान्य तापमान अनुकूल होने से सुपारी,गरम मसाले ,केला ,आम ,नारियल, चावल अधिक पैदा होते हैं.
दक्षिणी तटीय मैदान (South Coastal Plains)
- यह प्रमुखत; केरल का तटीय मैदान है ,जो मंगलौर से कुमारी अंतरीप (कन्याकुमारी) तक 500 किमी की लंबाई में फैला है। यह काफी चौड़ा तटीय मैदान है।
- इसमें लंबे और संकरे प्रवात ( लगूंस) या कायल पाए जाते हैं। नदियों के मुहाने पर बालू जम जाने से भी झीलों का निर्माण हुआ है। इन झीलों को परस्पर नहरों द्वारा मिला दिया गया है और लोग उसमें नौकाओं द्वारा यात्रा तथा व्यापार करते हैं।
- कोचीन का बंदरगाह इसी प्रकार की झील के मुंह को गहरा करके बनाया गया है। यहां पर मछलियां भी पकड़ी जाती है।
- तटीय मैदान पर नारियल, चावल, सुपारी, केला व गरम मसाले उगाए जाते हैं.
उत्कल का मैदान (The utkal plain )
- यह मैदान उड़ीसा में तट के सहारे लगभग 400 किमी की लंबाई में फैले है। महानदी के डेल्टा में यह अधिक चौड़ा है ,यह जहां बालू के अनेक टीले पाए जाते हैं। तथा तट रेखा सीधी व सपाट है। इस डेल्टा के दक्षिण में चिल्का झील है जो 75 किमी लंबी है।
- इस झील के पूर्व व उत्तर की ओर रेत के निक्षेप है तथा दक्षिण व पश्चिम की ओर पहाड़ी चट्टानें है। झील के दक्षिण में पूर्वी घाट समुद्र तट के काफी समिप रहते हुए विशाखापट्टनम जिले तक चले गए हैं।
- विशाखापट्टनम बंदरगाह डॉल्फिन नाम की चट्टान के पीछे सुरक्षित है। इस चट्टान के पीछे सुरक्षित गहरे जल में जलयान आसानी से ठहर सकते हैं। अनेक छोटी-छोटी नदियां पूर्वी घाट की पहाड़ियों से उतरकर यहां समुद्र में गिरती है।
- जिनके मुहानों पर कई छोटे-छोटे बंदरगाह हो का विकास हुआ है। इनका महत्व मत्स्य पालन एवं अनुतटीय व्यापार के लिए पर्याप्त है।
- डेल्टाई वह तटीय भाग में मिट्टी उपजाऊ होने के कारण चावल और जुट पैदा किया जाता है.
तमिलनाडु का मैदान (the tamilnadu plain )
- यह मैदान तमिलनाडु वह पांडिचेरी के तटीय प्रदेश पर फैला है। इसका विस्तार चेन्नई के उत्तर में पुलिकट झील से लेकर दक्षिण में कुमारी अंतरिप तक 675 किमी लंबाई में फैला है।
- यह 100 किमी चौड़ा है. कावेरी नदी के किनारे यह 130 किमी तक की चौड़ाई में फैला है।
- पुलिकट वलयाकार प्रवाल (lagoon ) झील है। जिसको श्रीहरिकोटा नाम की द्वीप समूह द्वीप समुद्र से अलग किए हुए हैं। यह दीप प्राचीन चट्टानों से निर्मित तटवर्ती श्रेणी है। चावल यहां की प्रमुख फसल है। तट के साथ-साथ रेत के टीले हैं। जिस पर नारियल खूब होता है।
- तमिलनाडु व श्रीलंका के बीच मन्नार की खाड़ी में अनेक छोटे-छोटे प्रवाल द्वीप पाए जाते हैं.
गंगा ब्रह्मपुत्र डेल्टा के दक्षिणी भाग को छोड़कर पूर्वी तट पर स्थित महाद्वीपीय मग्न तटीय भूमि पश्चिमी तट की अपेक्षा काफी संकरी है.
तटीय मैदाने का आर्थिक एवं सामाजिक महत्व-New Coastal Plains Of India (तटीय मैदान)
- तटिया मैदाने ने भारत में प्रवेश के लिए सुगम मार्ग प्रदान किया है। विदेशी शासको ने समुद्र तट स्थित बंदरगाहों पर सबसे पहले अपना प्रभाव जमाया और फिर उसके बाद धीरे-धीरे वह अपना प्रभाव देश के भीतर बढ़ाने में सफल हुए.
- भारत का 98% विदेशी व्यापार इन तटो पर स्थित बंदरगाहों द्वारा होता है
- तटीय मैदानों पर उपजाऊ कांप चावला की खेती के लिए महत्वपूर्ण है। यहां पर नारियल ,सुपारी ,केले के पेड़ बहुतायात से पाए जाते हैं.
- खनिज पदार्थ की दृष्टि से इन तटों का महत्व बहुत अधिक है। मुंबई हाय व बसई तेल क्षेत्र इसके उदाहरण है। यहां से अगले दो वर्ष 120 लाख टन तक तेल उत्पादित होने लगेगा। केरल राज्य के तटीय प्रदेश की बालू से मोनोसाइट प्राप्त होता है जो की एक परमाणु खनिज है तटीय प्रदेश नमक बनाने के लिए महत्वपूर्ण है.
- तटीय प्रदेश मछली उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है। मालाबार तट और पूर्वी तट में स्थित नदियों के डेल्टाओं से मछलीया पकड़ी जाती है.
- तटीय प्रदेश स्थित सभी बंदरगाह विशेष रूप से बड़े बंदरगाह औद्योगिक नगर के रूप में विकसित हो गए हैं। मुंबई कोलकाता देश के सबसे बड़े व्यापारिक एवं औद्योगिक महानगर है। सूती, वस्त्र ,तेल, शोधन, जुट,जलयान निर्माण उद्योगों का यहां पर भारी जमाव मिलता है.
द्वीप समूह (आइसलैंड)
- भारत के कुल 247 द्वीप है जिनमें से 222 दीप बंगाल की खाड़ी में तथा शेष अरब सागर में स्थित है। खाड़ी व सागर दोनों में स्थित द्वीप एक दूसरे से संरचना की दृष्टि से भिन्नता रखते हैं।
- अब सागरीय दीप प्राचीन भुण्डल के अवशिष्ट भाग है। तथा प्रवाल भित्ति द्वारा निर्मित है। बंगाल की खाड़ी के द्वीप टरशियरी पर्वतमाला की धरातलीय विशेषता के परिचायक है तथा समुद्र तल से 750 मीटर की ऊंचाई तक स्थित है.
- दोनों और के द्वीपों का दो भागों में बांटकर अध्ययन किया जा सकता है। एक वह जो तट के प्राय निकट है ऑफशोर आइसलैंड तथा तट से एक से पांच किलोमीटर की दूरी पर है
- दूसरे वे जो तट से काफी दूर अर्थात पाच किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित है इन्हें दूरवर्ती द्वीप डिस्टेंस आइसलैंड कहा जा सकता है.
coastal plains of india images भारत के तटीय मैदानों की तस्वीरें
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चलिए कुछ प्रश्न देखते है।
Q.1 तटीय मैदान क्या हैं वे भारत में कहां स्थित हैं?
ANS. तटीय मैदान वे क्षेत्र हैं जो समुद्र तट के पास होते हैं और जिनकी सतह अपेक्षाकृत सपाट होती है। ये मैदान समुद्र के पानी द्वारा जमा की गई मिट्टी और तलछट से बनते हैं। जब समुद्र की लहरें तट पर लगती हैं, तो मिट्टी और रेत को ले आती हैं, जिससे ये मैदान बनते हैं।
भारत में तटीय मैदान-
- गंगetic तटीय मैदान (Gangetic Coastal Plain)- यह मैदान उत्तर भारत के गंगा नदी के किनारे स्थित है। इसमें पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं।
- कोरमंडल तटीय मैदान (Coromandel Coastal Plain)- यह मैदान दक्षिण-पूर्व भारत के तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में स्थित है।
- कर्क तटीय मैदान (Konkan Coastal Plain)- यह पश्चिमी भारत में स्थित है और महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों को शामिल करता है।
- सौराष्ट्र तटीय मैदान (Saurashtra Coastal Plain)- यह गुजरात के तटीय क्षेत्रों में स्थित है।
- केरल तटीय मैदान (Kerala Coastal Plain)- यह दक्षिण-पश्चिम भारत में स्थित है, खासकर केरल राज्य में।
ये तटीय मैदान कृषि के लिए उपजाऊ होते हैं और यहां पर समुद्री जीवन, पर्यटन और व्यापार के अवसर भी होते हैं।
Q.2 भारत के पश्चिमी तटीय मैदान और पूर्वी तटीय मैदान कितने भागों में विभाजित है?
ANS. पश्चिमी तटीय मैदान-
पश्चिमी तटीय मैदान भारत के पश्चिमी तट पर स्थित हैं और इसे 3 प्रमुख भागों में बांटा गया है:
- कोनकण तटीय मैदान (Konkan Coastal Plain)- यह भाग महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों में फैला हुआ है। इसमें मुंबई और गोवा जैसे प्रमुख शहर शामिल हैं।
- सौराष्ट्र तटीय मैदान (Saurashtra Coastal Plain)- यह भाग गुजरात के तटीय क्षेत्रों में स्थित है।
- कच्छ तटीय मैदान (Kutch Coastal Plain)- यह गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है और यह रण-ए- कच्छ के पास है।
पूर्वी तटीय मैदान-
पूर्वी तटीय मैदान भारत के पूर्वी तट पर स्थित हैं और इसे 2 प्रमुख भागों में बांटा गया है:
- उत्तरी पूर्वी तटीय मैदान (Northern Eastern Coastal Plain)- यह भाग पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्रों में स्थित है, जिसमें सुंदरबन डेल्टा भी शामिल है।
- कोरमंडल तटीय मैदान (Coromandel Coastal Plain)- यह भाग तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में फैला हुआ है।
ये तटीय मैदान कृषि, उद्योग और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं और यहां की जलवायु भी विशेष होती है।
Q.3 भारत में कितने तटीय क्षेत्र हैं?
ANS. भारत में कुल मिलाकर 4 प्रमुख तटीय क्षेत्र हैं, जो देश के समुद्र तट के आसपास फैले हुए हैं। ये तटीय क्षेत्र हैं-
1)पश्चिमी तटीय क्षेत्र (Western Coastal Region)-
- स्थान: पश्चिमी भारत के तट पर
- राज्य: गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल
- विशेषताएं: यहाँ के प्रमुख तटीय मैदानों में कोनकण, सौराष्ट्र, और कच्छ शामिल हैं।
2)पूर्वी तटीय क्षेत्र (Eastern Coastal Region)-
- स्थान: पूर्वी भारत के तट पर
- राज्य: पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु
- विशेषताएं: यहाँ के प्रमुख तटीय मैदानों में उत्तरी पूर्वी तटीय मैदान और कोरमंडल तटीय मैदान शामिल हैं।
3)अंडमान और निकोबार द्वीप (Andaman and Nicobar Islands)-
- स्थान: भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण-पूर्व में, बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीपसमूह
- विशेषताएं: यहाँ का तटीय क्षेत्र सुंदर समुद्र तटों और समृद्ध समुद्री जीवन से भरपूर है।
4)लक्षद्वीप द्वीप (Lakshadweep Islands)-
- स्थान: भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी तट पर, अरब सागर में स्थित द्वीपसमूह
- विशेषताएं: यहाँ के तटीय क्षेत्र नीले पानी, सुंदर प्रवाल भित्तियों और द्वीपों से भरे हुए हैं।
ये तटीय क्षेत्र भारत के पर्यावरण, जलवायु, और आर्थिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
Q.4 भारत के तटीय मैदान का वर्णन कीजिए?
ANS. भारत के तटीय मैदान समुद्र के किनारे स्थित हैं और इनकी सतह आमतौर पर सपाट होती है। ये मैदान समुद्र के पानी द्वारा लायी गई मिट्टी और तलछट से बने होते हैं।
पश्चिमी तटीय मैदान-
- स्थान: पश्चिमी भारत में
- मुख्य भाग: कोनकण, सौराष्ट्र, कच्छ
- विशेषताएं: यहाँ पर गर्म और आर्द्र जलवायु होती है। कृषि के लिए उपजाऊ मिट्टी और समुद्री संसाधन जैसे मछलियाँ भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं।
पूर्वी तटीय मैदान-
- स्थान: पूर्वी भारत में
- मुख्य भाग: उत्तरी पूर्वी तटीय मैदान और कोरमंडल तटीय मैदान
- विशेषताएं: यहाँ की जलवायु भी आर्द्र होती है और यह कृषि के लिए भी उपजाऊ है। गंगा, ब्रह्मपुत्र जैसे बड़े नदियाँ इन क्षेत्रों से होकर बहती हैं, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाती हैं।
अंडमान और निकोबार द्वीप-
- स्थान: बंगाल की खाड़ी में
- विशेषताएं: यहाँ का तटीय क्षेत्र सुंदर समुद्री तटों और समृद्ध समुद्री जीवन से भरा हुआ है।
लक्षद्वीप द्वीप-
- स्थान: अरब सागर में
- विशेषताएं: यहाँ की तटीय भूमि खूबसूरत प्रवाल भित्तियों और नीले पानी से ढकी हुई है।
Q.5 भारत के तटीय क्षेत्रों के नाम?
ANS. गुजरात का तटीय क्षेत्र-
- स्थान: गुजरात के पश्चिमी किनारे पर।
- विशेषताएँ: यहाँ की तटरेखा बहुत लंबी है और इसमें कई प्रमुख बंदरगाह हैं जैसे कि कांडला और मुंद्रा।
महाराष्ट्र का तटीय क्षेत्र-
- स्थान: महाराष्ट्र के पश्चिमी किनारे पर।
- विशेषताएँ: यहाँ की तटरेखा में मुंबई, गोवा, और सिंधुदुर्ग जैसे प्रमुख स्थल हैं। यहाँ पर सुंदर समुद्र तट और बंदरगाह हैं।
गोवा का तटीय क्षेत्र-
- स्थान: गोवा के पश्चिमी किनारे पर।
- विशेषताएँ: गोवा के समुद्र तट सुंदर और पर्यटन के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ पर कई खूबसूरत समुद्र तट हैं जैसे बागा और कलंगुट।
कर्नाटका का तटीय क्षेत्र-
- स्थान: कर्नाटका के पश्चिमी किनारे पर।
- विशेषताएँ: यहाँ की तटरेखा में मैंगलोर और उडुपी जैसे प्रमुख शहर हैं। यहाँ के समुद्र तट भी बहुत खूबसूरत हैं।
केरल का तटीय क्षेत्र-
- स्थान: केरल के पश्चिमी किनारे पर।
- विशेषताएँ: केरल की तटरेखा पर बहुत सारे खूबसूरत समुद्र तट हैं जैसे कोवलम और वर्कला। यहाँ की बैकवाटर और सुंदर दृश्य प्रसिद्ध हैं।
तमिलनाडु का तटीय क्षेत्र-
- स्थान: तमिलनाडु के पूर्वी किनारे पर।
- विशेषताएँ: यहाँ की तटरेखा में चेन्नई, कांचीपुरम, और रामेश्वरम जैसे प्रमुख स्थल हैं। यहाँ पर सुंदर समुद्र तट और ऐतिहासिक स्थल भी हैं।
आंध्र प्रदेश का तटीय क्षेत्र-
- स्थान: आंध्र प्रदेश के पूर्वी किनारे पर।
- विशेषताएँ: यहाँ की तटरेखा में विशाखापट्टनम और श्रीहरिकोटा जैसे प्रमुख स्थल हैं। यहाँ के समुद्र तट भी सुन्दर हैं।
ओडिशा का तटीय क्षेत्र-
- स्थान: ओडिशा के पूर्वी किनारे पर।
- विशेषताएँ: यहाँ के समुद्र तट सुंदर और कम भीड़भाड़ वाले हैं। पुरी और कटक जैसे प्रमुख शहर यहाँ हैं।
Q.6 उत्तरी सरकार तट किस राज्य में है?
ANS.
उत्तरी सरकार तट
- राज्य: उत्तर प्रदेश
- स्थान: उत्तर प्रदेश का तटीय क्षेत्र उत्तर भारत के सबसे बड़े तटीय क्षेत्रों में शामिल नहीं है, लेकिन गंगा नदी के तट पर स्थित क्षेत्र इस नाम से जाना जाता है।
- विशेषताएँ- उत्तर प्रदेश का तटीय क्षेत्र गंगा नदी के किनारे बसा है और इसे सरकार तट कहा जाता है। यहाँ पर नदी के किनारे के इलाकों में खेती और बस्तियाँ स्थित हैं।
उत्तरी सरकार तट विशेष रूप से गंगा नदी के किनारे के क्षेत्रों में आता है, जो नदी के पानी के प्रवाह और जीवन के लिए महत्वपूर्ण होता है।
Q.7 पूर्वी तटीय मैदान का विस्तार?
ANS.
- स्थान: भारत के पूर्वी किनारे पर स्थित है।
- राज्य: यह मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, और तमिलनाडु राज्यों में फैला हुआ है।
- विशेषताएँ
- आकृति: यह क्षेत्र एक चौड़ा और सपाट मैदान है जो बंगाल की खाड़ी के किनारे पर स्थित है।
- सामान्य विशेषताएँ: यहाँ की तटरेखा समतल होती है और कई प्रमुख नदियाँ जैसे गंगा, यमुना, और महानदी यहाँ से बहती हैं।
- मौसम: यहाँ की जलवायु उष्णकटिबंधीय है, जिसमें गर्मी और नमी अधिक रहती है।
- खेती: यहाँ की उपजाऊ भूमि पर धान, गन्ना, और अन्य फसलें उगाई जाती हैं।
- महत्व: पूर्वी तटीय मैदान भारत की कृषि के लिए महत्वपूर्ण है और यहाँ पर कई बड़े शहर और बंदरगाह भी हैं जैसे कि कोलकाता और विशाखापट्टनम।
पूर्वी तटीय मैदान की उपजाऊ भूमि और समुद्र से निकटता इसे एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बनाती है, जहाँ पर खेती, उद्योग और व्यापार के लिए बहुत संभावनाएँ हैं।
Q.8 समुद्र तटीय मैदान का महत्व बताइए?
ANS.
खेती के लिए उपजाऊ भूमि-
- समुद्र तटीय मैदान की मिट्टी बहुत उपजाऊ होती है, जो किसानों को अच्छा उत्पादन करने में मदद करती है। यहाँ पर धान, गन्ना, और अन्य फसलें अच्छे से उगती हैं।
आर्थिक गतिविधियाँ-
- इन क्षेत्रों में बड़े-बड़े बंदरगाह होते हैं जो व्यापार के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इससे आयात और निर्यात का काम आसान होता है और रोजगार के अवसर मिलते हैं।
पेयजल संसाधन-
- समुद्र के पास होने के कारण इन क्षेत्रों में कई नदियाँ और जलाशय होते हैं, जो पानी की अच्छी आपूर्ति करते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन-
- समुद्र तटीय मैदानों में सुंदर समुद्र तट होते हैं जो पर्यटन के लिए बहुत आकर्षक होते हैं। यहाँ लोग छुट्टियाँ बिताने और प्राकृतिक सौंदर्य देखने के लिए आते हैं।
जलवायु-
- समुद्र के करीब होने के कारण इन क्षेत्रों की जलवायु सामान्यतः नम रहती है, जिससे यहाँ पर मौसम सुखद रहता है और खेती में मदद मिलती है।
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