Endangered Vulture Census 2024
- गिद्ध गणना 2024 एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जिसे वर्ल्ड वाइड फंड (WWF)-भारत द्वारा 7 सितंबर से 6 अक्टूबर, 2024 तक आयोजित किया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य भारत में गिद्धों की घटती संख्या का सटीक आकलन करना और विशेष रूप से उन प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित करना है, जो विलुप्ति के कगार पर हैं। यह पहल अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस के समय के साथ जुड़ी हुई है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
- इस गणना का मुख्य उद्देश्य न केवल गिद्धों की वास्तविक संख्या का पता लगाना है, बल्कि लोगों को गिद्धों के पारिस्थितिकी तंत्र में निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका के प्रति जागरूक करना भी है। गिद्ध हमारे पर्यावरण के सफाईकर्मी हैं, और उनकी घटती संख्या हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हो सकती है।
- यह परियोजना गिद्धों की सुरक्षा और उनके संरक्षण के प्रति लोगों की सोच को बदलने का एक प्रयास है। गिद्ध गणना 2024 के माध्यम से, WWF-भारत यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि गिद्धों का अस्तित्व सुरक्षित रहे और वे हमारे पर्यावरण का हिस्सा बने रहें।
आज हम Endangered Vulture Census 2024 के बारे में जानने वाले है।
गिद्ध क्यों महत्वपूर्ण हैं?
- गिद्ध हमारे पर्यावरण के अदृश्य नायक हैं। ये पक्षी प्राकृतिक सफाईकर्मी की भूमिका निभाते हैं, जो बीमारियों को फैलने से रोकते हैं। गिद्ध मरे हुए जानवरों के शवों को खाकर उन्हें नष्ट कर देते हैं, जिससे संक्रमण और महामारी का खतरा कम हो जाता है।
- गिद्धों की मौजूदगी से पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बना रहता है। जब गिद्धों की संख्या में कमी आती है, तो शवों के न सड़ने के कारण पर्यावरण में संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है। यह न केवल जानवरों के लिए, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है।
- गिद्धों का संरक्षण इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे प्राकृतिक खाद्य श्रृंखला के अहम हिस्से हैं। इनकी घटती संख्या न केवल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए संकट पैदा कर सकती है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है।
गिद्धों की आबादी के सामने चुनौतियाँ
- गिद्धों की आबादी पिछले कुछ दशकों में तेजी से घट रही है, और इसके पीछे कई गंभीर चुनौतियाँ हैं। गिद्ध, जो पर्यावरण के स्वाभाविक सफाईकर्मी माने जाते हैं, आज विलुप्ति के कगार पर हैं। इस लेख में हम उन चुनौतियों पर चर्चा करेंगे, जिनके कारण गिद्धों की संख्या में कमी आई है, और उनके संरक्षण के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर भी विचार करेंगे।
1. डाइक्लोफेनाक का उपयोग
- गिद्धों के लिए सबसे बड़ी चुनौती डाइक्लोफेनाक नामक दवा है। यह दवा मवेशियों के इलाज में इस्तेमाल होती है, लेकिन जब गिद्ध मरे हुए मवेशियों को खाते हैं, तो यह दवा उनके शरीर में प्रवेश कर जाती है और उनके गुर्दों को नुकसान पहुंचाती है। इसके परिणामस्वरूप गिद्धों की बड़ी संख्या में मौत हो रही है।
2. पर्यावास की हानि
- जंगलों की कटाई और शहरीकरण के कारण गिद्धों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं। यह गिद्धों के लिए एक बड़ी समस्या है, क्योंकि उन्हें सुरक्षित जगहों की आवश्यकता होती है जहां वे घोंसले बना सकें और भोजन प्राप्त कर सकें।
3. खाद्य स्रोत की कमी
- गिद्धों के लिए खाद्य स्रोत में कमी भी एक बड़ी चुनौती है। मवेशियों की संख्या में कमी, पशु शवों का सुरक्षित निपटान, और मांसाहार में बदलाव के कारण गिद्धों के भोजन के स्रोतों में कमी आई है। इससे उनकी संख्या में गिरावट आई है।
4. जहर और अन्य खतरनाक रसायन
- कई बार गिद्ध गलती से जहर या अन्य खतरनाक रसायनों से दूषित शव खा लेते हैं। इससे उनकी मौत हो जाती है, और धीरे-धीरे उनकी आबादी घटती जा रही है।
- गिद्धों के लिए एक अन्य चुनौती मानवजनित खतरे हैं, जैसे कि बिजली के तारों से टकराव, शिकार, और अवैध व्यापार। ये सभी कारक गिद्धों की संख्या में गिरावट का कारण बन रहे हैं।
गिद्ध गणना 2024 के लक्ष्य
- “गिद्ध गणना 2024” पहल के मुख्य लक्ष्य हैं-
- गिद्ध गणना 2024 एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जिसका उद्देश्य भारत में गिद्धों की संख्या का सटीक आकलन और उनके संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाना है। इस पहल के कुछ प्रमुख लक्ष्य हैं:
1. गिद्धों की आबादी की निगरानी
- इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य गिद्धों की जनसंख्या पर नजर रखना है। इसके लिए व्यवस्थित तरीके से डेटा एकत्रित किया जाएगा, जिससे यह समझने में मदद मिलेगी कि गिद्धों की संख्या में कैसे बदलाव आ रहे हैं।
2. महत्वपूर्ण आवासों की पहचान
- गिद्धों के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थानों का पता लगाना इस पहल का दूसरा मुख्य लक्ष्य है। यह जानकारी गिद्धों के लिए सुरक्षित आवास सुनिश्चित करने में सहायक होगी।
3. पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन
- गिद्धों की आबादी पर पर्यावरण के प्रभाव का मूल्यांकन करना भी इस परियोजना का एक अहम हिस्सा है। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि पर्यावरणीय बदलाव गिद्धों पर कैसे असर डाल रहे हैं।
इस पहल से प्राप्त डेटा गिद्धों के संरक्षण के लिए और अधिक प्रभावी रणनीतियाँ बनाने में मदद करेगा।
सामुदायिक भागीदारी
- WWF-India इस परियोजना में व्यापक सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित कर रहा है। नागरिक वैज्ञानिकों, पक्षी प्रेमियों, और स्थानीय समुदायों को इस पहल में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। WWF-India के वरिष्ठ निदेशक दीपांकर घोष ने स्वयंसेवकों की भूमिका को गिद्धों के संरक्षण के लिए डेटा एकत्र करने में महत्वपूर्ण बताया है।
कौन सी गिद्ध प्रजातियाँ गिनी जाएँगी?
इस गणना में भारत में पाई जाने वाली विभिन्न गिद्ध प्रजातियों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इनमें निम्नलिखित प्रजातियाँ शामिल हैं:
- सफ़ेद-पूंछ वाला गिद्ध
- लाल सिर वाला गिद्ध
- भारतीय गिद्ध
- दाढ़ी वाला गिद्ध
- पतला-चोंच वाला गिद्ध
- हिमालयन ग्रिफ़ॉन
- यूरेशियन ग्रिफ़ॉन
- मिस्र का गिद्ध
- सिनेरियस गिद्ध
यह गणना गिद्धों के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी और इनके अस्तित्व को सुरक्षित रखने के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित करेगी।
WWF-India के बारे में
- WWF-India (वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर) एक अग्रणी संगठन है जो भारत में पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग के लिए कार्य करता है। 1969 में स्थापित, यह संगठन देश के विभिन्न हिस्सों में जमीनी स्तर पर काम कर रहा है, ताकि जैव विविधता की रक्षा की जा सके और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखा जा सके।
WWF-India का मिशन
- WWF-India का मिशन पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना और मानवता की भलाई के लिए सतत विकास को बढ़ावा देना है। संगठन का मुख्य उद्देश्य वन्यजीवों, वन क्षेत्रों, और जल संसाधनों का संरक्षण करना है, साथ ही समुदायों को उनके संरक्षण में शामिल करना है।
WWF-India के प्रमुख कार्यक्षेत्र
- जैव विविधता संरक्षण
WWF-India देश की महत्वपूर्ण जैव विविधता की रक्षा के लिए विभिन्न परियोजनाएँ चला रहा है। इसमें बाघ, गैंडा, गिद्ध, और अन्य संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए कार्यक्रम शामिल हैं। - जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई
WWF-India जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है। संगठन कार्बन उत्सर्जन को कम करने और सतत जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता फैलाता है। - सतत कृषि और खाद्य सुरक्षा
संगठन सतत कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देता है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं। WWF-India किसानों को प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में सहायता करता है। - सामुदायिक भागीदारी
WWF-India स्थानीय समुदायों और नागरिकों को पर्यावरण संरक्षण में शामिल करने के लिए कई कार्यक्रम चला रहा है। संगठन का मानना है कि सतत विकास तभी संभव है जब लोग स्वयं इसमें भाग लें और अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करें।
WWF-India की प्रमुख पहल
- WWF-India ने समय-समय पर कई महत्वपूर्ण पहलें की हैं, जिनमें ‘गिद्ध संरक्षण परियोजना,’ ‘लिविंग हिमालयन नेटवर्क,’ और ‘गंगा संरक्षण अभियान’ शामिल हैं। ये पहलें न केवल वन्यजीवों के संरक्षण के लिए, बल्कि पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ाने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
चलिए कुछ प्रश्न देखते है।
Q.1 भारत में गिद्ध का संख्या कितना है? What is the number of vultures in India?
ANS.
- भारत में गिद्धों की संख्या में पिछले कुछ दशकों में तेजी से गिरावट आई है। 1990 के दशक में इनकी संख्या लाखों में थी, लेकिन अब यह संख्या कुछ हज़ारों में सिमट गई है। प्रमुख रूप से डाइक्लोफेनाक नामक दवा के उपयोग और पर्यावास की हानि के कारण गिद्धों की संख्या में कमी आई है। 2024 में गिद्धों की सटीक संख्या का आकलन करने के लिए ‘गिद्ध गणना 2024’ जैसी पहल की जा रही है, जिससे इनके संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
- संकटग्रस्त गिद्धों की प्रजातियाँ
भारत में 9 मुख्य गिद्ध प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से कई विलुप्ति के कगार पर हैं। इनमें सफ़ेद-पूंछ वाला गिद्ध, भारतीय गिद्ध, और हिमालयन ग्रिफ़ॉन प्रमुख हैं। - संरक्षण के प्रयास
गिद्धों के संरक्षण के लिए सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इनमें गिद्ध संरक्षण परियोजनाएँ और डाइक्लोफेनाक के उपयोग पर प्रतिबंध शामिल हैं।
Q.2 भारत में गिद्धों की तेजी से घटती जनसंख्या का मुख्य कारण क्या है? What is the main reason for the rapidly decreasing population of vultures in India?
ANS. भारत में गिद्धों की तेजी से घटती जनसंख्या का मुख्य कारण-
- भारत में गिद्धों की जनसंख्या में आई तेजी से गिरावट का मुख्य कारण डाइक्लोफेनाक (Diclofenac) नामक दवा है। यह दवा मवेशियों के इलाज के लिए उपयोग की जाती है। जब गिद्ध मरे हुए मवेशियों के शवों को खाते हैं, तो यह दवा उनके शरीर में प्रवेश कर जाती है और उनके गुर्दों (किडनी) को गंभीर नुकसान पहुंचाती है। इसके परिणामस्वरूप, गिद्धों की बड़ी संख्या में मौत हो जाती है।
अन्य कारण-
- पर्यावास की हानि: जंगलों की कटाई और शहरीकरण के कारण गिद्धों के प्राकृतिक आवास कम हो रहे हैं।
- खाद्य स्रोत की कमी: मवेशियों की घटती संख्या और शवों के निपटान के तरीकों में बदलाव से गिद्धों के भोजन की कमी हो गई है।
- जहर और रसायन: गिद्ध गलती से जहर या अन्य खतरनाक रसायनों से दूषित शव खा लेते हैं, जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है।
Q.3 गिद्ध संरक्षण परियोजना की शुरुआत कब हुई? When did the Vulture Conservation Project start?
ANS. गिद्ध संरक्षण परियोजना की शुरुआत-
- भारत में गिद्धों की तेजी से घटती जनसंख्या को देखते हुए, गिद्ध संरक्षण परियोजना (Vulture Conservation Project) की शुरुआत 2004 में की गई। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य गिद्धों की विलुप्त हो रही प्रजातियों का संरक्षण करना और उनकी संख्या को बढ़ाना है।
परियोजना के प्रमुख बिंदु:
- कैप्टिव ब्रीडिंग: इस परियोजना के तहत गिद्धों के प्रजनन केंद्र (Captive Breeding Centers) स्थापित किए गए हैं, जहाँ गिद्धों को सुरक्षित वातावरण में पाला जाता है।
- डाइक्लोफेनाक पर प्रतिबंध: गिद्धों की मौत के प्रमुख कारण डाइक्लोफेनाक दवा के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है।
- सामुदायिक जागरूकता: गिद्धों के संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं।
Q.4 भारत में कितने गिद्ध प्रजनन केंद्र हैं? How many vulture breeding centres are there in India?
ANS. भारत में गिद्ध प्रजनन केंद्रों की संख्या-
- भारत में गिद्धों की घटती संख्या को बचाने के लिए देशभर में कुल 8 गिद्ध प्रजनन केंद्र (Vulture Breeding Centers) स्थापित किए गए हैं। ये केंद्र गिद्धों की संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण और पुनर्वास के लिए काम कर रहे हैं।
मुख्य गिद्ध प्रजनन केंद्र-
- पिंजौर (हरियाणा) – एशिया का सबसे बड़ा गिद्ध प्रजनन केंद्र।
- राजभाटखावा (पश्चिम बंगाल)
- रानी (असम)
- भोपाल (मध्य प्रदेश)
- भोपालगढ़ (राजस्थान)
- इन केंद्रों में गिद्धों को सुरक्षित और नियंत्रित वातावरण में पाला जाता है, ताकि उनकी संख्या में वृद्धि हो सके। यह पहल गिद्धों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उनकी प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने में सहायक साबित हो रही है।
Q.5 गिद्धों की घटती जनसंख्या के पीछे कौन सी दवा थी? Which medicine was behind the decreasing population of vultures?
ANS. गिद्धों की घटती जनसंख्या के पीछे मुख्य दवा-
- गिद्धों की तेजी से घटती जनसंख्या का प्रमुख कारण डाइक्लोफेनाक (Diclofenac) नामक दवा है। यह दवा मवेशियों के इलाज के लिए उपयोग की जाती है, लेकिन जब गिद्ध मरे हुए मवेशियों के शवों को खाते हैं, तो डाइक्लोफेनाक उनके शरीर में प्रवेश कर जाता है। इससे गिद्धों के गुर्दे (किडनी) को गंभीर नुकसान पहुँचता है और उनकी मृत्यु हो जाती है।
मुख्य बिंदु-
- डाइक्लोफेनाक का प्रभाव: यह दवा गिद्धों के लिए विषाक्त होती है और उनके गुर्दों को नुकसान पहुँचाती है।
- परिणाम: इसके कारण गिद्धों की संख्या में भारी कमी आई है।
- समाधान: इस दवा के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है और गिद्ध संरक्षण परियोजनाएँ चलाई जा रही हैं।