Indias Mangrove Forests Coastal Protection Biodiversity and Environmental Conservation
परिचय
- मैंग्रोव वन भारत के तटीय क्षेत्रों में स्थित ऐसे अद्वितीय वन हैं, जो जैव विविधता, पर्यावरणीय संतुलन और तटीय सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये वन न केवल वन्यजीवों को आवास प्रदान करते हैं, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं जैसे चक्रवात, सुनामी, और तटीय कटाव से भी रक्षा करते हैं। मैंग्रोव वनों की खासियत यह है कि ये खारे और मीठे पानी के मिश्रण में उगते हैं। इस लेख में हम भारत के मैंग्रोव वनों के इतिहास, वर्तमान स्थिति, महत्व, विविधता, चुनौतियाँ, संरक्षण प्रयास, और इनके भविष्य पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
भारत के मैंग्रोव वनों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
- भारत में मैंग्रोव वनों का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। तटीय क्षेत्रों में बसे समुदायों के लिए ये वन मछली पकड़ने, लकड़ी, और औषधीय पौधों का स्रोत रहे हैं। प्राचीन भारतीय साहित्य और संस्कृतियों में भी मैंग्रोव वनों का उल्लेख मिलता है। हालाँकि, शहरीकरण और औद्योगीकरण के चलते इन वनों का तेजी से क्षरण हुआ है।
आज हम Indias Mangrove Forests Coastal Protection Biodiversity and Environmental Conservation के बारे में जानने वाले है।
भारत में मैंग्रोव वनों का भूगोल और विस्तार
भारत में मैंग्रोव वनों का प्रमुख विस्तार पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह में है। इनमें से सबसे प्रसिद्ध सुंदरबन मैंग्रोव वन है, जो दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है।
- सुंदरबन मैंग्रोव वन: यह वन क्षेत्र 10,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें 40% भारत में और 60% बांग्लादेश में स्थित है। यहाँ की प्रमुख विशेषता है रॉयल बंगाल टाइगर का आवास।
- गुजरात के मैंग्रोव वन: ये कच्छ के रण और खंभात की खाड़ी में विस्तारित हैं और स्थानीय मछुआरों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- महाराष्ट्र के मैंग्रोव वन: मुंबई, रायगढ़ और रत्नागिरी में स्थित ये वन तटीय क्षेत्रों की रक्षा करते हैं।
- ओडिशा के मैंग्रोव वन: भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान इस राज्य का प्रमुख मैंग्रोव वन है, जो विविध वन्यजीवों का घर है।
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह: ये द्वीपसमूह भारत के मैंग्रोव वनों का सबसे समृद्ध क्षेत्र है, जहाँ की पारिस्थितिकी तंत्र अद्वितीय है।
1. सुंदरबन – पश्चिम बंगाल
- स्थिति: सुंदरबन विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव जंगल है और यह भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित है।
- विवरण: सुंदरबन 10,000 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें 4,000 वर्ग किमी भारत में और शेष भाग बांग्लादेश में है। यह यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध है।
- प्राकृतिक विशेषताएँ: यहाँ की मुख्य विशेषता रॉयल बंगाल टाइगर है। इसके अलावा यहाँ विभिन्न प्रकार के सरीसृप, पक्षी और जलीय जीव भी पाए जाते हैं। यह क्षेत्र कई ज्वार-भाटे नदियों और दलदलों से भरा हुआ है।
2. भीतरकनिका, महानदी – ओडिशा
- स्थिति: ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले में स्थित भीतरकनिका मैंग्रोव वन मुख्यतः महानदी डेल्टा में फैला हुआ है।
- विवरण: भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के रूप में संरक्षित इस क्षेत्र में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र पाया जाता है।
- प्राकृतिक विशेषताएँ: यहाँ पर साल्टवॉटर क्रोकोडाइल्स, इंडियन पाइथन, किंग कोबरा, और ओलिव रिडले समुद्री कछुए देखे जा सकते हैं। यह क्षेत्र जैव विविधता से परिपूर्ण है और पक्षीविज्ञानियों के लिए स्वर्ग है।
3. गोदावरी, कृष्णा डेल्टा – आंध्र प्रदेश
- स्थिति: आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्र में स्थित ये मैंग्रोव वन मुख्यतः गोदावरी और कृष्णा नदियों के डेल्टा में स्थित हैं।
- विवरण: ये मैंग्रोव वन तटीय इकोसिस्टम की सुरक्षा के साथ-साथ स्थानीय मछली पालन में भी सहायक होते हैं।
- प्राकृतिक विशेषताएँ: यहाँ विभिन्न प्रकार के क्रीकेटाइल्स, कछुए और समुद्री पक्षी पाए जाते हैं। यह क्षेत्र सामुद्रिक वन्यजीवों और मैंग्रोव पौधों के लिए महत्वपूर्ण है।
4. पिचवरम, मथिपेट, पॉइंट कलीमियर – तमिलनाडु
- स्थिति: तमिलनाडु के दक्षिणी तट पर स्थित ये मैंग्रोव वन मुख्यतः पिचवरम, मथिपेट, और पॉइंट कलीमियर में पाए जाते हैं।
- विवरण: पिचवरम मैंग्रोव वन भारत का सबसे पुराना और दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है।
- प्राकृतिक विशेषताएँ: यहाँ किंगफिशर, सीगल, और हेरॉन्स जैसे पक्षी आमतौर पर देखे जा सकते हैं। यह क्षेत्र सामुद्रिक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है और स्थानीय मछुआरों की आजीविका में भी सहायक है।
5. गल्फ ऑफ कच्छ, खंभात – गुजरात
- स्थिति: गुजरात के तटीय क्षेत्रों में स्थित यह मैंग्रोव वन मुख्यतः कच्छ की खाड़ी और खंभात की खाड़ी में फैला हुआ है।
- विवरण: कच्छ की खाड़ी का क्षेत्र समृद्ध मैंग्रोव वनस्पति और समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है।
- प्राकृतिक विशेषताएँ: यहाँ पर समुद्री कछुए, डॉल्फिन, और विविध प्रकार के समुद्री पक्षी पाए जाते हैं। यह क्षेत्र मछली पालन और अन्य जलीय जीवों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
6. कुंडापुर – कर्नाटक
- स्थिति: कर्नाटक के उडुपी जिले में स्थित यह मैंग्रोव वन मुख्यतः कुंडापुर क्षेत्र में फैला हुआ है।
- विवरण: कुंडापुर के मैंग्रोव जंगल स्थानीय मछली पालन और तटीय क्षेत्रों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- प्राकृतिक विशेषताएँ: यहाँ विभिन्न प्रकार के जलीय जीव और पक्षी पाए जाते हैं। यह क्षेत्र तटीय पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
7. आचरा, रत्नागिरी – महाराष्ट्र
- स्थिति: महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में स्थित ये मैंग्रोव वन मुख्यतः आचरा और आसपास के क्षेत्रों में फैले हुए हैं।
- विवरण: ये मैंग्रोव वन स्थानीय मछुआरों के लिए आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण हैं और तटीय इकोसिस्टम को स्थिर रखने में सहायक हैं।
- प्राकृतिक विशेषताएँ: यहाँ समुद्री पक्षी, कछुए, और अन्य जलीय जीव पाए जाते हैं। यह क्षेत्र पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
8. वेम्बनाड – केरल
- स्थिति: केरल के एर्नाकुलम और कोट्टायम जिलों में फैला यह मैंग्रोव वन मुख्यतः वेम्बनाड झील के आसपास स्थित है।
- विवरण: वेम्बनाड झील भारत की सबसे लंबी झील है और इसके आस-पास का मैंग्रोव वन पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
- प्राकृतिक विशेषताएँ: यहाँ विभिन्न प्रकार के पक्षी, मछलियाँ, और अन्य जलीय जीव पाए जाते हैं। यह क्षेत्र सामुद्रिक और तटीय जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।
9. बारातांग द्वीप – अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
- स्थिति: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित यह मैंग्रोव वन मुख्यतः बारातांग द्वीप पर पाया जाता है।
- विवरण: यह क्षेत्र मैंग्रोव वनस्पति और जैव विविधता से भरपूर है और स्थानीय जनजातियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
- प्राकृतिक विशेषताएँ: यहाँ साल्टवॉटर क्रोकोडाइल्स, पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ, और अन्य जलीय जीव पाए जाते हैं। यह क्षेत्र पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और समुद्री जीवों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
मैंग्रोव वनों का पर्यावरणीय और आर्थिक महत्व
मैंग्रोव वन जलवायु परिवर्तन को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- कार्बन संकरण: मैंग्रोव वन वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं और इसे अपनी जड़ों और मिट्टी में संचित करते हैं, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि को कम करने में मदद मिलती है।
- तटीय संरक्षण: ये वन तटीय कटाव को रोकते हैं और समुद्र की लहरों के खिलाफ एक प्राकृतिक बफर के रूप में कार्य करते हैं, जिससे तटीय क्षेत्रों की रक्षा होती है।
- जैव विविधता का संरक्षण: मैंग्रोव वन सैकड़ों प्रकार के जीव-जंतुओं का आवास स्थल हैं, जिनमें मछलियाँ, पक्षी, सरीसृप, और समुद्री जीव शामिल हैं।
- आर्थिक महत्व: मछली पकड़ने, पर्यटन, और औषधीय पौधों के संग्रहण जैसे क्षेत्रों में मैंग्रोव वन स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका का महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
भारत के मैंग्रोव वनों की जैव विविधता
भारत के मैंग्रोव वन वनस्पतियों और जीवों की विविधता से समृद्ध हैं।
- वनस्पतियों की विविधता: यहाँ प्रमुख रूप से एविसेनिया, राइजोफोरा, ब्रूगुएरा, और सोनरैटिया प्रजातियाँ पाई जाती हैं। ये पौधे खारे पानी में उगने की क्षमता रखते हैं और अपनी जड़ों के माध्यम से मिट्टी को स्थिर करते हैं।
- जीवों की विविधता: यहाँ पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियों में रॉयल बंगाल टाइगर, मगरमच्छ, कछुए, केकड़े, और कई प्रकार की मछलियाँ शामिल हैं। सुंदरबन का रॉयल बंगाल टाइगर विश्व प्रसिद्ध है।
भारत में मैंग्रोव वनों के संरक्षण के प्रयास
मैंग्रोव वनों के संरक्षण के लिए सरकार और विभिन्न गैर-सरकारी संगठन सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।
- सरकारी नीतियाँ और कानून: मैंग्रोव वनों को संरक्षित करने के लिए कई राष्ट्रीय उद्यान और संरक्षित क्षेत्र घोषित किए गए हैं। वन संरक्षण अधिनियम 1980 और जैव विविधता अधिनियम 2002 जैसे कानून मैंग्रोव वनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- स्थानीय समुदायों की भागीदारी: तटीय क्षेत्रों के स्थानीय समुदायों को मैंग्रोव वनों के महत्व के बारे में जागरूक किया जा रहा है और उन्हें संरक्षण के प्रयासों में शामिल किया जा रहा है।
- अनुसंधान और विकास: मैंग्रोव वनों के संरक्षण और पुनर्स्थापना के लिए विभिन्न अनुसंधान परियोजनाएँ चलाई जा रही हैं, जिनका उद्देश्य मैंग्रोव वनों की पुनर्स्थापना और संरक्षण में नई तकनीकों का विकास करना है।
मैंग्रोव वनों के लिए मौजूदा चुनौतियाँ
मैंग्रोव वनों के सामने कई गंभीर चुनौतियाँ हैं:
- शहरीकरण और औद्योगीकरण: तटीय क्षेत्रों में तेजी से बढ़ता शहरीकरण और औद्योगिक गतिविधियाँ मैंग्रोव वनों के विनाश का मुख्य कारण हैं।
- प्राकृतिक आपदाएँ: जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती समुद्र तल की ऊँचाई और चक्रवात जैसे आपदाएँ मैंग्रोव वनों के लिए गंभीर खतरा हैं।
- समुद्री प्रदूषण: रासायनिक कचरा, प्लास्टिक, और अन्य प्रदूषक तत्त्व मैंग्रोव वनों की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं।
- अवैध कटाई और मछली पकड़ना: अवैध गतिविधियाँ जैसे अवैध लकड़ी की कटाई और मछली पकड़ना मैंग्रोव वनों को क्षति पहुँचाते हैं।
मैंग्रोव वनों के संरक्षण के लिए किए जा रहे उपाय
मैंग्रोव वनों के संरक्षण के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं:
- संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना: संवेदनशील तटीय क्षेत्रों को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जा रहा है।
- जैव विविधता के संरक्षण के उपाय: जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए शोध एवं संरक्षण कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं।
- समुद्री प्रदूषण पर नियंत्रण: समुद्री प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं और उनके प्रभावी अनुपालन के प्रयास किए जा रहे हैं।
- स्थानीय समुदायों का सशक्तिकरण: स्थानीय समुदायों को मैंग्रोव वनों के संरक्षण के महत्व के बारे में शिक्षित किया जा रहा है और उन्हें संरक्षण गतिविधियों में शामिल किया जा रहा है।
भविष्य की चुनौतियाँ और अवसर
- भविष्य में मैंग्रोव वनों के सामने कई चुनौतियाँ हैं, जैसे जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण, और औद्योगीकरण। हालाँकि, इनके संरक्षण में भी कई अवसर हैं। सरकार, गैर-सरकारी संगठनों, और स्थानीय समुदायों के संयुक्त प्रयासों से मैंग्रोव वनों का संरक्षण किया जा सकता है। मैंग्रोव वनों के भविष्य के लिए जागरूकता, शोध, और नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन महत्वपू
सारांश- Indias Mangrove Forests Coastal Protection Biodiversity and Environmental Conservation.
- भारत के मैंग्रोव वन न केवल तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए बल्कि जैव विविधता के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन वनों का संरक्षण हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए ताकि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए इस अमूल्य धरोहर को सुरक्षित रख सकें।
चलिए कुछ प्रश्न देखते है-
Q.1 भारत में सबसे बड़ा मैंग्रोव वन कौन सा है? Which is the largest mangrove forest in India?
ANS. सुंदरबन – भारत का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन-
- सुंदरबन भारत का सबसे बड़ा और विश्व प्रसिद्ध मैंग्रोव वन है। यह पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित है और इसका कुछ हिस्सा बांग्लादेश में भी फैला हुआ है। सुंदरबन लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें से लगभग 4,000 वर्ग किलोमीटर भारत में आता है। इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।
- सुंदरबन रॉयल बंगाल टाइगर के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इसके अलावा, यहाँ पर कई अन्य वन्यजीव, जैसे कि मगरमच्छ, हिरण, और विभिन्न प्रकार के पक्षी भी पाए जाते हैं। यह मैंग्रोव वन तटीय इलाकों को चक्रवात और तूफान से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यहाँ की जैव विविधता अद्वितीय है।
Q.2 भारत में मैंग्रोव वन का क्षेत्रफल कितना है? What is the area of mangrove forest in India?
ANS. भारत में मैंग्रोव वन का क्षेत्रफल-
- भारत में मैंग्रोव वनों का कुल क्षेत्रफल लगभग 4,975 वर्ग किलोमीटर है। ये मैंग्रोव वन मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, और महाराष्ट्र जैसे तटीय राज्यों में पाए जाते हैं। भारत में मैंग्रोव वन देश के कुल भूभाग का लगभग 0.15% हिस्सा कवर करते हैं। ये वन तटीय क्षेत्रों को चक्रवात, तूफान और कटाव से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, साथ ही जैव विविधता को बनाए रखने में भी सहायक होते हैं। भारत के सुंदरबन में स्थित मैंग्रोव वन सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण हैं, जो न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए अद्वितीय हैं।
Q.3 मैंग्रोव वन का प्रसिद्ध वृक्ष कौन सा है? Which is the famous tree of mangrove forest?
ANS. मैंग्रोव वन का प्रसिद्ध वृक्ष-