INS Tushil India-Russia Defence Cooperation INS तुशील भारत-रूस रक्षा सहयोग

INS Tushil India-Russia Defence Cooperation

INS तुशील का परिचय और कमीशन समारोह

INS Tushil India-Russia Defence Cooperation! यह उन्नत स्टील्थ मिसाइल फ्रिगेट भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा में नया अध्याय जोड़ता है। जानें इसकी तकनीकी विशेषताएं, सामरिक महत्व, और रक्षा साझेदारी की नई ऊंचाइयां।

INS Tushil India-Russia Defence Cooperation INS तुशील भारत-रूस रक्षा सहयोग

  • INS तुशील भारतीय नौसेना के लिए निर्मित एक स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट है, जिसे रूस के कलिनिनग्राद में यंत्र शिपयार्ड में कमीशन किया गया। इस समारोह में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने भाग लिया। INS तुशील का कमीशन भारतीय नौसेना की शक्ति और क्षेत्रीय सुरक्षा में उसकी क्षमता को और अधिक बढ़ाता है।

INS तुशील की तकनीकी विशेषताएँ:

  1. स्टील्थ प्रौद्योगिकी: यह दुश्मन के रडार से बचने की क्षमता रखता है।
  2. हथियार प्रणाली: इसमें लंबी दूरी की मिसाइलें, टॉरपीडो और एयर डिफेंस सिस्टम शामिल हैं।
  3. प्रणोदन प्रणाली: इसकी गति और संचालन क्षमता आधुनिकतम मानकों पर आधारित है।
  4. वजन और लंबाई: यह 6,620 टन वजनी और 124.8 मीटर लंबा है।
  5. क्रू सदस्य: इसमें लगभग 250 नौसेना अधिकारी और कर्मी कार्यरत हो सकते हैं।

मुख्य विशेषताएँ:

  1. स्टील्थ तकनीक: यह दुश्मनों के रडार को धोखा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  2. मिसाइल सिस्टम:
    1. ब्राह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
    2. एस-400 और सतह से हवा में मार करने वाले हथियार।
  3. एडवांस्ड सोनार सिस्टम: पनडुब्बियों और अन्य खतरों का पता लगाने में सक्षम।
  4. प्रणोदन प्रणाली:
    1. डीजल और गैस टर्बाइन का संयोजन।
    2. 30 नॉट्स तक की गति।
  5. रडार और सेंसर: लंबी दूरी तक निगरानी और लक्ष्य साधने की क्षमता।

भारत-रूस रक्षा सहयोग: INS तुशील का योगदान

INS तुशील भारत-रूस रक्षा संबंधों की सफलता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह ‘तलवार-क्लास फ्रिगेट्स’ की नवीनतम कड़ी है, जिसे भारत के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। इस परियोजना का संचालन भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग के तहत किया गया है, जो सैन्य तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देता है।

रक्षा संबंधों की चर्चा:

  • संयुक्त अभ्यास: INS तुशील के कमीशन के दौरान, भारत और रूस ने इंद्र युद्धाभ्यास जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यासों को विस्तार देने की योजना बनाई।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: रूस भारत को उन्नत तकनीकों का हस्तांतरण कर रहा है, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन को प्रोत्साहित करता है।
  • खरीद प्रक्रिया: भारत द्वारा रूसी हथियारों और उपकरणों की खरीद की नई योजनाओं पर चर्चा की गई।

राजनाथ सिंह की मॉस्को यात्रा

  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी मॉस्को यात्रा के दौरान, ‘अज्ञात सैनिक की समाधि’ पर श्रद्धांजलि अर्पित की। यह स्थल उन सोवियत सैनिकों की स्मृति में है जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दी। यह भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है।

भारतीय समुदाय से संवाद

  • रूस में भारतीय समुदाय के साथ संवाद का मुख्य उद्देश्य सांस्कृतिक और भावनात्मक संबंधों को मजबूत करना था। राजनाथ सिंह ने रूस में बसे भारतीयों से मुलाकात कर उनके अनुभव साझा किए और भारतीय संस्कृति के महत्व को रेखांकित किया।

भारत-रूस रक्षा संबंधों में INS तुशील की भूमिका

  • INS तुशील न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करता है, बल्कि यह भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक भी है। यह भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगा।

INS तुशील की मुख्य विशेषताएँ

विशेषता विवरण
प्रकार स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट
वजन 6,620 टन
लंबाई 124.8 मीटर
गति 30 नॉट्स
क्रू क्षमता 250 से अधिक
हथियार प्रणाली लंबी दूरी की मिसाइलें, टॉरपीडो

भारत और रूस के रक्षा सहयोग में प्रमुख क्षेत्रों का योगदान

क्षेत्र योगदान (%)
सैन्य अभ्यास 30%
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण 40%
हथियार आपूर्ति 20%
रणनीतिक सहयोग 10%

INS तुशील का महत्व

भारतीय नौसेना के लिए एक बढ़ी हुई क्षमता

  • समुद्री क्षेत्र में मल्टी-रोल ऑपरेशन
  • तटीय सुरक्षा और मानवीय राहत कार्यों में सहायता।
  • हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को सुदृढ़ करना।

राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से

  • INS तुशील क्षेत्रीय सुरक्षा और ‘सागर (Security and Growth for All in the Region)’ की अवधारणा को मजबूत करने का प्रतीक है।

INS तुशील: भविष्य की दृष्टि

  • INS तुशील का कमीशन भारत के सागर (Security and Growth for All in the Region) विज़न को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह फ्रिगेट समुद्री सुरक्षा, तटीय रक्षा और मानवीय सहायता अभियानों में उपयोगी होगा।
  • INS तुशील का कमीशन भारतीय नौसेना और भारत-रूस रक्षा संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ता है। यह भारत की समुद्री रणनीति को नई ऊंचाई प्रदान करेगा। इस फ्रिगेट की उन्नत तकनीक, बहु-भूमिका क्षमता, और रणनीतिक महत्व इसे भारतीय रक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती है।

 

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