भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना Justice Sanjiv Khanna is the 51st Chief Justice of India

Justice Sanjiv Khanna is the 51st Chief Justice of India


प्रस्तावना

Justice Sanjiv Khanna is the 51st Chief Justice of India– जानें उनकी न्यायिक यात्रा, प्रमुख फैसले और भविष्य की योजनाएँ। संवैधानिक अधिकारों के रक्षक के रूप में उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं, जो भारत के न्यायिक इतिहास में मील का पत्थर साबित हुए।

भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना Justice Sanjiv Khanna is the 51st Chief Justice of India

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है। न्यायमूर्ति खन्ना बिना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद पर आसीन हुए सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचे, जो इस पद के लिए दुर्लभ मार्ग है। 11 नवंबर को वे शपथ लेकर देश की न्यायिक सर्वोच्चता का पद ग्रहण करेंगे।

विषय विवरण
नाम न्यायमूर्ति संजीव खन्ना
पद भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश
शपथ ग्रहण तिथि 11 नवंबर, 2024
कार्यकाल समाप्ति 13 मई, 2025
पद नामांकित CJI डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा
प्रमुख क्षेत्र संवैधानिक कानून, मध्यस्थता, वाणिज्यिक कानून

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का करियर और योगदान

न्यायमूर्ति खन्ना ने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में पंजीकरण किया और तीस हजारी कोर्ट से अपनी यात्रा शुरू की। वे एक वरिष्ठ वकील के रूप में आयकर विभाग और दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। उनके करियर की महत्वपूर्ण बातें निम्नलिखित हैं:

  1. दिल्ली उच्च न्यायालय में कार्यकाल: न्यायमूर्ति खन्ना 2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश बने और 2006 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए।
  2. सुप्रीम कोर्ट की नियुक्ति: जनवरी 2019 में उन्होंने बिना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद का अनुभव लिए सर्वोच्च न्यायालय का पदभार संभाला।
  3. प्रमुख मामले:
  • आधार मामले में निर्णय के हिस्से के रूप में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया।
  • पूर्वोत्तर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA) के अंतर्गत मानवाधिकारों की रक्षा के लिए कई फैसले दिए।

भारत में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति प्रक्रिया

  • मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए परंपरा है कि वर्तमान CJI अपने सेवानिवृत्ति से एक महीने पूर्व अपने उत्तराधिकारी का सुझाव देते हैं।

मुख्य प्रक्रिया (जस्टिस खन्ना का मामला):

  • कानूनी मंत्री का प्रस्ताव: सीजेआई को उत्तराधिकारी का नाम प्रस्तुत करने के लिए कहा गया।
  • सरकार की स्वीकृति: राष्ट्रपति ने नए CJI के रूप में जस्टिस खन्ना के नाम को मंजूरी दी।

नियुक्ति की प्रक्रिया:

चरण विवरण
सिफारिश वर्तमान CJI की ओर से सरकार को सिफारिश भेजी जाती है।
कानूनी मंत्री की मंजूरी सिफारिश को कानून मंत्रालय द्वारा पुनरीक्षित किया जाता है।
राष्ट्रपति की नियुक्ति अंतिम निर्णय राष्ट्रपति द्वारा लिया जाता है।

न्यायमूर्ति खन्ना के कुछ महत्वपूर्ण फैसले

न्यायमूर्ति खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट में कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं जिनका सामाजिक और संवैधानिक प्रभाव पड़ा:

  1. निजता का अधिकार: आधार डेटा में निजता के अधिकार की पुष्टि की।
  2. मानवाधिकार: अफस्पा के तहत मानवाधिकारों की सुरक्षा के मामलों में संजीदा निर्णय।
  3. संविधान के अनुच्छेद 370 का उन्मूलन: जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाने के मामले में चर्चा की।

 जस्टिस खन्ना के प्रमुख फैसले

मामले का नाम विवरण प्रभाव
आधार बनाम निजता निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है। नागरिक सुरक्षा में वृद्धि
AFSPA मामले मानवाधिकारों की रक्षा पर जोर। पूर्वोत्तर राज्यों में प्रभाव
अनुच्छेद 370 उन्मूलन जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे का उन्मूलन संवैधानिक संरचना में बदलाव

न्यायपालिका में जस्टिस खन्ना का योगदान

  • उनके न्यायिक योगदान में संवैधानिक कानून, अधिकारों की रक्षा और भ्रष्टाचार विरोधी गतिविधियों का गहरा प्रभाव रहा है।

भ्रष्टाचार-विरोधी निर्णय

  • उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल मामलों में कठोर निर्णय दिए, जो भारत की न्यायिक प्रणाली के लिए मील का पत्थर साबित हुए।

भविष्य की चुनौतियाँ और दृष्टिकोण

  • मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल संक्षिप्त होगा, लेकिन यह न्यायपालिका की साख और विश्वास को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है।

निष्कर्ष

  • न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का CJI पद पर आसीन होना भारत के न्यायिक इतिहास में एक अनूठी घटना है। उनके फैसले और दृष्टिकोण से भारतीय न्यायपालिका को नई दिशा मिलेगी।

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