Rowlatt Act 1919: History, Objectives, Effects रॉलेट एक्ट 1919: इतिहास, उद्देश्य, प्रभाव

Rowlatt Act 1919: History, Objectives, Effects


Rowlatt Act 1919: History, Objectives, Effects 1919 क्या था? जानिए इसके पीछे का इतिहास, उद्देश्य, दुष्परिणाम, गांधी जी का विरोध, और जलियाँवाला बाग हत्याकांड से इसका संबंध। UPSC मुख्य परीक्षा के लिए सम्पूर्ण और विश्लेषणात्मक लेख।

Rowlatt Act 1919: History, Objectives, Effects रॉलेट एक्ट 1919: इतिहास, उद्देश्य, प्रभाव


रॉलेट एक्ट 1919: इतिहास, उद्देश्य, प्रभाव और विरोध (UPSC मुख्य परीक्षा विशेष)


परिचय

रॉलेट एक्ट 1919 ब्रिटिश सरकार द्वारा पारित किया गया एक ऐसा काला कानून था जिसने भारतीय जनता की स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों को कुचलने का कार्य किया। इसे “काला कानून” (Black Act) कहा गया क्योंकि इसके अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को बिना सबूत और बिना मुकदमे के जेल में बंद किया जा सकता था।


रॉलेट एक्ट का ऐतिहासिक संदर्भ

  • प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के दौरान भारत में राजनीतिक असंतोष तेजी से बढ़ रहा था।

  • ब्रिटिश सरकार ने युद्ध के दौरान “भारत रक्षा अधिनियम 1915” (Defence of India Act) लागू किया था, जिससे अस्थायी रूप से प्रेस और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया था।

  • युद्ध समाप्त होने के बाद उम्मीद थी कि इन अस्थायी कानूनों को समाप्त कर दिया जाएगा, लेकिन इसके विपरीत सर थॉमस रॉलेट की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई जिसने सिफारिश दी कि ऐसे कठोर प्रावधान स्थायी रूप से लागू किए जाएं।


रॉलेट एक्ट 1919 के प्रमुख प्रावधान

  1. बिना मुकदमा चलाए किसी को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा जा सकता था।

  2. संदेह के आधार पर व्यक्ति को हिरासत में लिया जा सकता था।

  3. कोर्ट में जमानत का प्रावधान नहीं था।

  4. अभियुक्त को वकील रखने का अधिकार नहीं था।

  5. सीक्रेट ट्रायल की व्यवस्था थी।

  6. प्रेस और समाचार पत्रों पर सेंसरशिप लागू थी।

  7. सरकारी अधिकारियों को विशेष अधिकार प्राप्त थे।


रॉलेट एक्ट का उद्देश्य

  • क्रांतिकारी गतिविधियों को दबाना

  • ब्रिटिश सत्ता की पकड़ मजबूत करना

  • राष्ट्रवादी आंदोलनों को कुचलना

  • महात्मा गांधी जैसे नेताओं की बढ़ती लोकप्रियता को रोकना


भारतीयों की प्रतिक्रिया और विरोध

  • पूरे देश में इस अधिनियम के खिलाफ जबरदस्त जनविरोध हुआ।

  • महात्मा गांधी ने इसे “सत्य और अहिंसा के खिलाफ” करार दिया।

  • उन्होंने “रॉलेट सत्याग्रह” की शुरुआत की।

  • देशभर में हड़तालें, धरने, जुलूस, और बंद आयोजित किए गए।

  • भारत के प्रमुख शहरों में लाखों लोगों ने भाग लिया।


रॉलेट सत्याग्रह (Rowlatt Satyagraha)

  • 6 अप्रैल 1919 को गांधी जी ने पूरे देश में हड़ताल और उपवास की घोषणा की।

  • यह सत्याग्रह पूर्णत: अहिंसक होना था।

  • गांधी जी ने भारतीयों से अपील की कि वे इस अधिनियम का अहिंसात्मक रूप से बहिष्कार करें।

रॉलेट सत्याग्रह की विशेषताएं:

  • भारत में पहली बार देशव्यापी आंदोलन

  • मुस्लिम और हिंदू एकता का प्रतीक।

  • महात्मा गांधी के राष्ट्रीय नेता के रूप में उदय।


जलियाँवाला बाग हत्याकांड और रॉलेट एक्ट

  • रॉलेट एक्ट का विरोध अमृतसर में बहुत उग्र रूप ले चुका था।

  • 13 अप्रैल 1919 को ब्रिगेडियर जनरल डायर ने अमृतसर के जलियाँवाला बाग में एक शांतिपूर्ण जनसभा पर गोलियाँ चलवा दीं।

  • करीब 1000 से अधिक निर्दोष लोग मारे गए और हजारों घायल हुए।

  • यह घटना रॉलेट एक्ट के विरोध को और अधिक तीव्र बना गई।


रॉलेट एक्ट का दुष्परिणाम

  1. जनता में भय और क्रोध की भावना का प्रसार हुआ।

  2. ब्रिटिश सरकार के प्रति विश्वास समाप्त हो गया।

  3. राष्ट्रीय आंदोलन में जनता की भागीदारी बढ़ी।

  4. गांधी जी का अहिंसा पर आधारित आंदोलन का मार्ग सशक्त हुआ।

  5. क्रांतिकारियों को नई ऊर्जा और समर्थन मिला।

  6. असहयोग आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार हुई।


ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया

  • रॉलेट एक्ट और जलियाँवाला कांड की अंतरराष्ट्रीय निंदा हुई।

  • ब्रिटिश संसद ने जांच के लिए हंटर आयोग (Hunter Commission) की नियुक्ति की।

  • जनरल डायर को दोषी नहीं ठहराया गया, लेकिन इस्तीफा देने पर मजबूर किया गया।

  • सरकार ने आंदोलनकारियों पर कठोर दमनकारी कदम उठाए।


रॉलेट एक्ट और गांधी जी की भूमिका

  • गांधी जी ने पहली बार जनता को प्रत्यक्ष रूप से जोड़ने का प्रयास किया।

  • उन्होंने सत्याग्रह को संगठित, अहिंसक और अनुशासित रूप दिया।

  • गांधी जी का यह पहला राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व था।


UPSC के लिए मुख्य बिंदु (Main Points for UPSC Mains):

विषय विवरण
अधिनियम का नाम रॉलेट एक्ट (Rowlatt Act), 1919
समिति रॉलेट समिति (Sir Sidney Rowlatt)
उद्देश्य राजद्रोह की गतिविधियों को रोकना
प्रभाव नागरिक स्वतंत्रता पर कठोर प्रहार
विरोध का तरीका रॉलेट सत्याग्रह, महात्मा गांधी के नेतृत्व में
प्रमुख घटना जलियाँवाला बाग हत्याकांड
परिणाम राष्ट्रीय आंदोलन की नई दिशा, असहयोग आंदोलन की भूमिका

निष्कर्ष (Conclusion)

रॉलेट एक्ट भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक निर्णायक मोड़ था। इसने न केवल ब्रिटिश सरकार के असली चेहरे को उजागर किया, बल्कि महात्मा गांधी को एक राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित किया। यह अधिनियम ब्रिटिश अत्याचारों का प्रतीक बन गया और इसके विरोध ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को गति प्रदान की।


महत्वपूर्ण प्रश्न (UPSC Mains Answer Format):

प्रश्न 1: रॉलेट एक्ट 1919 क्या था? इसके प्रमुख प्रावधानों एवं प्रभावों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
रॉलेट एक्ट 1919 एक ऐसा ब्रिटिश कानून था जिसे भारत में “काला कानून” कहा गया क्योंकि इसने न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर नागरिक स्वतंत्रता को कुचल दिया। इसके अंतर्गत बिना मुकदमे गिरफ्तारी, जमानत की मनाही, वकील का अधिकार नहीं, प्रेस सेंसरशिप, आदि शामिल थे। इसने जनता के बीच भय का वातावरण बनाया और महात्मा गांधी ने इसके विरुद्ध रॉलेट सत्याग्रह आरंभ किया। इसने राष्ट्रीय आंदोलन को व्यापक जन समर्थन प्रदान किया।

प्रश्न 2: रॉलेट एक्ट और जलियाँवाला बाग हत्याकांड के बीच क्या संबंध है? UPSC मुख्य परीक्षा की दृष्टि से विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
रॉलेट एक्ट का विरोध पूरे देश में हुआ, विशेषकर पंजाब में। अमृतसर में इस विरोध के दौरान 13 अप्रैल 1919 को जलियाँवाला बाग में शांतिपूर्ण सभा पर जनरल डायर ने गोलियाँ चलवाईं। यह घटना इस अधिनियम के विरोध की परिणति थी, जिससे भारतीय जनमानस और भी भड़क उठा। गांधी जी ने इस घटना को ब्रिटिश दमन का प्रतीक बताया और इसके बाद असहयोग आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार हुई।

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