rusi kranti karan ghatnaye aur vaishvik prabhav
परिचय
rusi kranti karan ghatnaye aur vaishvik prabhav– जानें कैसे 1917 की रूसी क्रांति ने त्सार शासन को समाप्त किया, समाजवादी आंदोलन को जन्म दिया और दुनिया भर पर गहरा प्रभाव डाला। सरल हिंदी में क्रांति के प्रमुख कारणों, घटनाओं और इसके वैश्विक असर की पूरी जानकारी पाएं।
- रूसी क्रांति (Russian Revolution) 20वीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तनों में से एक है, जिसने रूस को एक समाजवादी राज्य में परिवर्तित कर दिया। इस क्रांति का प्रभाव न केवल रूस में बल्कि पूरे विश्व पर पड़ा और यह एक ऐतिहासिक घटना बन गई जिसने पूंजीवाद (Capitalism) के खिलाफ समाजवाद (Socialism) की विचारधारा को बढ़ावा दिया। इस लेख में हम 1917 की रूसी क्रांति के प्रमुख कारणों, घटनाओं और प्रभावों की विस्तार से चर्चा करेंगे।
रूसी क्रांति के महत्वपूर्ण कारण
- रूसी क्रांति के कई प्रमुख कारण थे जिनमें त्सार शासन का अत्याचार, आर्थिक अस्थिरता, युद्ध का प्रभाव और समाजवाद के विचारों का प्रसार शामिल थे। आइए इन कारणों पर विस्तार से चर्चा करें।
1. त्सार शासन का पतन
- 1917 में रूस में त्सार निकोलस द्वितीय की तानाशाही सरकार के खिलाफ असंतोष तेजी से बढ़ा। त्सार शासन कठोर, निरंकुश और जन-विरोधी था। त्सार निकोलस द्वितीय ने जनता की समस्याओं को नजरअंदाज किया और अधिकारों का हनन किया। जनता में त्सार के प्रति रोष बढ़ता गया और यह क्रांति का मुख्य कारण बना।
2. प्रथम विश्व युद्ध का प्रभाव
- प्रथम विश्व युद्ध ने रूस को आर्थिक और सैन्य दोनों रूपों से कमजोर बना दिया। युद्ध के कारण जनता को भुखमरी, गरीबी और बेरोजगारी का सामना करना पड़ा। युद्ध ने त्सार की सरकार की कमजोरियों को उजागर कर दिया और जनता में असंतोष को बढ़ावा दिया।
3. आर्थिक अस्थिरता और गरीबी
- रूस में आर्थिक अस्थिरता का वातावरण था। किसानों और मजदूरों की स्थिति बहुत दयनीय थी। सरकार की नीतियां समाज के गरीब तबके के हित में नहीं थीं, जिससे उनकी स्थिति और खराब होती गई। इसका फायदा उठाते हुए समाजवादी नेताओं ने गरीबों को अपने पक्ष में कर लिया।
4. मार्क्सवाद का प्रभाव
- रूसी समाज पर मार्क्सवाद का गहरा प्रभाव पड़ा। मार्क्सवाद की विचारधारा ने समाजवाद के विचार को बढ़ावा दिया, जिससे क्रांति का आधार मजबूत हुआ। लेनिन (Lenin) और ट्रॉट्स्की (Trotsky) जैसे नेताओं ने मार्क्सवाद के सिद्धांतों का प्रचार किया और इसे जनता के बीच लोकप्रिय बनाया।
फरवरी क्रांति (1917) और अंतरिम सरकार का गठन
- फरवरी 1917 में रूसी क्रांति का पहला चरण शुरू हुआ जिसे फरवरी क्रांति कहा जाता है। यह मुख्य रूप से त्सार शासन के खिलाफ जनता के असंतोष और राजनीतिक बदलाव की मांग के रूप में शुरू हुई थी।
प्रमुख घटनाएं:
- जनता का विरोध प्रदर्शन: जनता ने बड़े पैमाने पर हड़तालें और विरोध प्रदर्शन किए, जिसमें मुख्य रूप से किसान और मजदूर शामिल थे।
- त्सार निकोलस द्वितीय का त्याग पत्र: भारी दबाव के कारण त्सार ने सत्ता छोड़ दी, जिससे रूस में पहली बार लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना हुई।
- अंतरिम सरकार की स्थापना: त्सार के त्याग के बाद, रूस में एक अस्थायी सरकार की स्थापना हुई, जो कमजोर और अस्थिर साबित हुई।
व्लादिमीर लेनिन का उदय और बोल्शेविक पार्टी
- व्लादिमीर लेनिन (Vladimir Lenin) रूस में समाजवादी आंदोलन के प्रमुख नेता बने। उन्होंने 1917 की रूसी क्रांति के दौरान बोल्शेविक पार्टी का नेतृत्व किया। लेनिन ने समाजवाद की विचारधारा को बढ़ावा दिया और रूस के गरीब तबके को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया।
लेनिन के मुख्य योगदान:
- बोल्शेविक पार्टी का गठन: लेनिन ने समाजवादी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए बोल्शेविक पार्टी का गठन किया।
- शांति, भूमि और रोटी का नारा: लेनिन ने “शांति, भूमि और रोटी” का नारा दिया, जो किसानों, मजदूरों और सैनिकों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हुआ और बोल्शेविकों के समर्थन का मुख्य कारण बना।
- अक्टूबर क्रांति का नेतृत्व: लेनिन ने अक्टूबर क्रांति का नेतृत्व किया, जिससे रूस में समाजवादी शासन का मार्ग प्रशस्त हुआ।
अक्टूबर क्रांति (1917)
- अक्टूबर 1917 में बोल्शेविकों ने सशस्त्र विद्रोह किया, जिससे अंतरिम सरकार का पतन हुआ और रूस में समाजवादी सरकार का गठन हुआ। इसे अक्टूबर क्रांति के नाम से जाना जाता है। इस क्रांति के बाद बोल्शेविक सत्ता में आए और व्लादिमीर लेनिन ने सरकार का नेतृत्व किया।
अक्टूबर क्रांति की महत्वपूर्ण घटनाएं:
- अंतरिम सरकार का पतन: अक्टूबर क्रांति के बाद, अंतरिम सरकार का अंत हो गया और बोल्शेविकों ने सत्ता संभाली।
- समाजवादी शासन की स्थापना: इस क्रांति के बाद रूस में पहली बार समाजवादी सरकार की स्थापना हुई।
- जनता का समर्थन: शांति, भूमि और रोटी के नारे ने जनता को बोल्शेविकों का समर्थन देने के लिए प्रेरित किया।
रूसी गृह युद्ध (1918-1922)
- अक्टूबर क्रांति के बाद रूस में गृह युद्ध छिड़ गया। इसमें मुख्य रूप से रेड आर्मी (बोल्शेविक समर्थक) और व्हाइट आर्मी (राजशाही समर्थक) के बीच संघर्ष हुआ।
गृह युद्ध के प्रमुख बिंदु:
- रेड आर्मी और व्हाइट आर्मी: रेड आर्मी ने समाजवादी शासन का समर्थन किया, जबकि व्हाइट आर्मी ने राजशाही का समर्थन किया।
- रेड आर्मी की विजय: अंततः रेड आर्मी ने गृह युद्ध में विजय प्राप्त की और बोल्शेविकों का शासन स्थापित हुआ।
सोवियत संघ का गठन (1922)
- गृह युद्ध की समाप्ति के बाद, 1922 में रूस के विभिन्न क्षेत्रों को मिलाकर सोवियत संघ (USSR) की स्थापना हुई। यह दुनिया का पहला समाजवादी राज्य बना।
सोवियत संघ का महत्व:
- समाजवाद का विस्तार: सोवियत संघ के गठन से समाजवादी विचारधारा को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा मिला।
- वैश्विक समाजवादी आंदोलन का प्रसार: सोवियत संघ के गठन से दुनियाभर में समाजवादी विचारों का प्रसार हुआ।
रूसी क्रांति का वैश्विक प्रभाव
- रूसी क्रांति ने पूरे विश्व में समाजवादी आंदोलनों को प्रेरित किया और पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ समाजवादी विचारधारा को एक नई दिशा दी।
प्रमुख वैश्विक प्रभाव:
- समाजवादी आंदोलनों का विस्तार: रूसी क्रांति के बाद दुनिया के कई देशों में समाजवादी आंदोलन शुरू हुए।
- राजनीतिक और सामाजिक बदलाव: रूसी क्रांति के प्रभाव से दुनियाभर में सामाजिक और राजनीतिक बदलाव हुए।
प्रमुख घटनाएं और उनके वर्ष:
घटनाक्रम | तिथि | प्रभाव |
---|---|---|
त्सार शासन का पतन | 1917 | रूसी राजशाही का अंत |
फरवरी क्रांति | 1917 | अंतरिम सरकार की स्थापना |
लेनिन का उदय | 1917 | समाजवादी विचारधारा का प्रचार |
अक्टूबर क्रांति | अक्टूबर 1917 | बोल्शेविक शासन का उदय |
गृह युद्ध | 1918-1922 | सोवियत संघ का गठन |
निष्कर्ष
- रूसी क्रांति एक ऐसी ऐतिहासिक घटना थी जिसने न केवल रूस बल्कि दुनियाभर में समाजवाद के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। त्सार शासन का अंत और सोवियत संघ का गठन दो महत्वपूर्ण उपलब्धियां थीं, जिन्होंने रूसी समाज को एक नई दिशा दी। इस क्रांति का प्रभाव आज भी इतिहास में महसूस किया जाता है और यह पूंजीवाद के खिलाफ एक शक्तिशाली सामाजिक बदलाव का प्रतीक है।
1. रूसी क्रांति कब हुई?
A) रूसी क्रांति 1917 में हुई थी, और इसे दो भागों में बाँटा जाता है:
- फरवरी क्रांति (मार्च 1917) और
- अक्टूबर क्रांति (नवंबर 1917)।
2. 1917 की पहली रूसी क्रांति को किस नाम से जाना जाता है?
- 1917 की पहली रूसी क्रांति को फरवरी क्रांति कहा जाता है, जो मार्च 1917 में हुई थी। इसके दौरान जार निकोलस II को गद्दी छोड़नी पड़ी।
3. 1917 की रूसी क्रांति के समय किस जार का शासन था?
- इस समय जार निकोलस II का शासन था। उनका नेतृत्व कमजोर और अधिनायकवादी माना जाता था, जिसके कारण जनता में असंतोष बढ़ता गया।
4. रूसी क्रांति के कारण
- सामाजिक असमानता – अमीर और गरीब के बीच गहरी खाई थी। किसान और मजदूर अत्यधिक शोषण का सामना कर रहे थे।
- प्रथम विश्व युद्ध का प्रभाव – युद्ध में रूस की हार और आर्थिक संकट ने जनता को और परेशान कर दिया।
- अधिनायकवादी शासन – जार निकोलस II ने लोगों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया, जिससे उनके प्रति जनता का असंतोष बढ़ गया।
- भुखमरी और गरीबी – महंगाई, बेरोजगारी और खाने-पीने की कमी से जनता त्रस्त थी।
5. रूसी क्रांति में मार्क्सवाद का प्रभाव
- मार्क्सवादी विचारधारा का आधार – बोल्शेविक पार्टी ने कार्ल मार्क्स के विचारों को अपनाया, जो वर्ग संघर्ष और समानता पर आधारित थे।
- शोषण के खिलाफ संघर्ष – मार्क्सवाद के अनुसार समाज में पूंजीपतियों द्वारा शोषण को खत्म करने के लिए श्रमिकों का सशक्तिकरण जरूरी था।
- समाजवादी राज्य की स्थापना – मार्क्सवाद के प्रभाव से रूस में एक समाजवादी राज्य की स्थापना हुई, जिसमें संपत्ति का नियंत्रण राज्य के हाथों में आ गया।
- अन्य देशों पर प्रभाव – रूसी क्रांति की सफलता ने अन्य देशों में भी समाजवादी आंदोलनों को प्रेरणा दी।
6. रूसी क्रांति के प्रभाव
- सोवियत संघ की स्थापना – 1922 में USSR का गठन हुआ, जो समाजवादी राज्य था।
- राजनीतिक और सामाजिक बदलाव – राजशाही का अंत हुआ और समाज में समानता को बढ़ावा दिया गया।
- दुनिया भर में समाजवाद का प्रसार – इस क्रांति ने समाजवादी विचारों को अन्य देशों में फैलाया।
7. रूसी क्रांति के दो प्रमुख प्रभाव
- राजशाही का अंत – जार का शासन समाप्त हुआ और लोकतांत्रिक व समाजवादी प्रणाली स्थापित हुई।
- वर्गहीन समाज की स्थापना – समाज में अमीर-गरीब का भेद मिटाने का प्रयास हुआ, जिससे समानता का वातावरण बना।
8. रूसी क्रांति की विवेचना
- कारणों की विवेचना – सामाजिक असमानता, युद्ध में हार, भुखमरी और शोषण ने रूसी क्रांति के लिए जमीन तैयार की।
- प्रभाव की विवेचना – क्रांति के बाद राजशाही खत्म हुई और एक समाजवादी समाज की नींव पड़ी।
9. रूसी क्रांति क्यों हुई? इसके तीन प्रमुख कारण:
- आर्थिक असमानता – जनता अमीर और गरीब में बँटी हुई थी और जमींदारों का शोषण बढ़ गया था।
- प्रथम विश्व युद्ध का बोझ – रूस के युद्ध में शामिल होने से देश की आर्थिक स्थिति और खराब हो गई।
- अधिनायकवादी शासन – जार की नीतियों और जनता की उपेक्षा ने असंतोष को जन्म दिया।
10. रूसी क्रांति के प्रमुख कारण
- आर्थिक शोषण – किसानों और मजदूरों की हालत खराब थी।
- राजशाही का दमनकारी शासन – जार निकोलस II जनता की समस्याओं का समाधान नहीं कर सके।
रूसी क्रांति ने रूस में एक नए युग की शुरुआत की, जिसने समाज में समानता, स्वतंत्रता, और शोषण मुक्त समाज की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।
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FAQ
Q.1 rusi kranti kab hui?
ANS. रूसी क्रांति 1917 में रूस में हुई थी और इसे 20वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक माना जाता है। इस क्रांति ने रूस के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक ढांचे को पूरी तरह बदल दिया और सोवियत संघ (USSR) की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।
क्रांति के कारण:
- सामाजिक असमानता – रूस में अमीर और गरीब के बीच बहुत असमानता थी। जमींदार, अमीर वर्ग और राजा (जार) का शासन था, जबकि किसानों और मजदूरों की हालत बहुत खराब थी।
- प्रथम विश्व युद्ध – 1914 में शुरू हुआ प्रथम विश्व युद्ध रूस पर भारी पड़ा। युद्ध में रूस की हार और आर्थिक संकट ने जनता की समस्याओं को और बढ़ा दिया।
- अधिनायकवादी शासन – जार निकोलस II का शासन कठोर था और जनता की मांगों को अनसुना करता था। इससे लोगों में असंतोष बढ़ गया।
- भुखमरी और गरीबी – महंगाई, बेरोजगारी, और खाने-पीने की चीजों की कमी के कारण लोग परेशान थे और सुधार की मांग कर रहे थे।
क्रांति के दो चरण:
- फ़रवरी क्रांति (मार्च 1917) – जनता ने सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया और जार निकोलस II को गद्दी छोड़नी पड़ी। इसके बाद अंतरिम सरकार बनी, परंतु यह सरकार भी असफल रही।
- अक्टूबर क्रांति (नवंबर 1917) – व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक पार्टी ने सत्ता पर कब्जा कर लिया। लेनिन ने किसानों को ज़मीन, मजदूरों को अधिकार, और शांति का वादा किया। बोल्शेविकों ने राजशाही और पूंजीवादी व्यवस्था को खत्म कर समाजवादी राज्य की स्थापना की।
क्रांति के परिणाम:
- सोवियत संघ की स्थापना – 1922 में USSR का गठन हुआ।
- समाजवाद का प्रसार – समाजवाद की विचारधारा दुनिया में फैलने लगी।
- विश्व राजनीति पर प्रभाव – रूस की क्रांति ने कई देशों में समाजवादी आंदोलनों को प्रेरणा दी और ठंडी युद्ध की नींव रखी।
Q.2 1917 ki rusi kranti ke samay kis jar ka shasan tha
ANS. 1917 की रूसी क्रांति के समय रूस के शासक जार निकोलस II थे। उनका पूरा नाम जार निकोलस अलेक्जेंड्रोविच रोमानोव था, और वे रूस के अंतिम जार थे। निकोलस II का शासन 1894 से 1917 तक चला, लेकिन उनका नेतृत्व कमजोर और अधिनायकवादी माना जाता था। उनके शासनकाल में कई सामाजिक और आर्थिक समस्याएं थीं, जिनके कारण जनता में असंतोष बढ़ता गया।
जार निकोलस II के शासन की प्रमुख समस्याएं:
- अधिनायकवादी शासन – जार निकोलस II ने लोगों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया और अपने निर्णयों में जनता की राय शामिल नहीं की। इस वजह से लोगों में उनके प्रति असंतोष बढ़ा।
- प्रथम विश्व युद्ध का प्रभाव – निकोलस II ने रूस को प्रथम विश्व युद्ध में शामिल किया, जिससे देश की आर्थिक स्थिति खराब हो गई। युद्ध में मिली हार से रूस की जनता परेशान और असंतुष्ट हो गई।
- भुखमरी और गरीबी – निकोलस II के शासन में आर्थिक असमानता और गरीबी बढ़ती गई। किसानों और मजदूरों की स्थिति बेहद खराब थी, जिससे उनका आक्रोश बढ़ता गया।
- राजशाही पर विश्वास की कमी – जार निकोलस II जनता की मांगों को पूरा करने में असफल रहे। उनके शासन के दौरान कई बार विरोध प्रदर्शन हुए, लेकिन उन्होंने जनता की तकलीफों को अनदेखा किया।
- अंत:
जार निकोलस II के शासन की विफलताओं के कारण ही 1917 में रूसी क्रांति हुई, जिसमें उनका शासन समाप्त हो गया और उन्हें गद्दी छोड़नी पड़ी। अंततः उन्हें उनके परिवार सहित कैद कर लिया गया और 1918 में हत्या कर दी गई। रूसी क्रांति के बाद रूस में समाजवादी शासन की स्थापना हुई, जिसने रूस का सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक ढांचा बदल दिया।
Q.3 rusi kranti per marksvad ka kya prabhav pada
ANS. रूसी क्रांति पर मार्क्सवाद का प्रभाव
रूसी क्रांति पर मार्क्सवाद का गहरा प्रभाव पड़ा। मार्क्सवाद का विचार कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा दिया गया था, जिसमें समाज के सभी लोगों को समान अधिकार देने और पूंजीवादी शोषण को खत्म करने की बात कही गई थी। मार्क्सवादी विचारधारा का मुख्य लक्ष्य समाज में वर्ग संघर्ष को खत्म कर श्रमिकों और किसानों को सशक्त बनाना था।
रूसी क्रांति में मार्क्सवाद का योगदान:
- विचारधारा का आधार – मार्क्सवाद के सिद्धांतों पर आधारित होकर बोल्शेविक पार्टी ने क्रांति का नेतृत्व किया। बोल्शेविक नेता व्लादिमीर लेनिन ने मार्क्सवाद को अपनाकर किसानों और मजदूरों को एकजुट किया और उन्हें अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।
- शोषण के खिलाफ संघर्ष – मार्क्सवाद के अनुसार, समाज में दो मुख्य वर्ग होते हैं – शोषक (पूंजीपति) और शोषित (मजदूर)। रूसी क्रांति में इसी विचारधारा के आधार पर शोषण के खिलाफ आवाज उठाई गई, जिससे समाज में समानता का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।
- समाजवादी राज्य की स्थापना – मार्क्सवाद के प्रभाव से रूस में एक समाजवादी राज्य की स्थापना हुई, जिसमें निजी संपत्ति को खत्म कर संपत्ति का नियंत्रण राज्य के हाथ में दिया गया। इससे पूंजीपतियों का वर्चस्व समाप्त हुआ और श्रमिकों व किसानों को सशक्त बनाया गया।
- दुनिया पर असर – रूसी क्रांति में मार्क्सवाद की सफलता ने अन्य देशों में भी समाजवादी और कम्युनिस्ट आंदोलनों को प्रेरित किया। इससे समाज में परिवर्तन की लहर दुनिया भर में फैल गई।