2024 रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार डेमिस हसबिस, जॉन एम जम्पर, और डेविड बेकर को 2024 Nobel Prize in Chemistry goes to Demis Hassabis, John M Jumper, and David Baker

2024 Nobel Prize in Chemistry goes to Demis Hassabis, John M Jumper, and David Baker

2024 का रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों—डेमिस हसबिस, जॉन एम जम्पर, और डेविड बेकर—को उनके प्रोटीन पर किए गए अभूतपूर्व कार्य के लिए दिया गया। हसबिस और जम्पर ने Google DeepMind में एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) मॉडल, अल्फाफोल्ड2, विकसित किया, जिसने प्रोटीन की 3D संरचना की भविष्यवाणी करने में उल्लेखनीय सटीकता दिखाई। वहीं, डेविड बेकर ने पूरी तरह से नए प्रोटीन डिज़ाइन करने की तकनीक विकसित की जो प्राकृतिक रूप से मौजूद नहीं हैं। इन वैज्ञानिकों का यह कार्य दवाओं, चिकित्सा और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए द्वार खोल रहा है।

2024 रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार डेमिस हसबिस, जॉन एम जम्पर, और डेविड बेकर को 2024 Nobel Prize in Chemistry goes to Demis Hassabis, John M Jumper, and David Baker

2024 Nobel Prize in Chemistry goes to Demis Hassabis, John M Jumper, and David Baker को उनके प्रोटीन अनुसंधान में AI आधारित अद्वितीय योगदान के लिए दिया गया। जानें, कैसे उनका काम चिकित्सा और जैव प्रौद्योगिकी में क्रांति ला रहा है।

AI और प्रोटीन संरचना की भविष्यवाणी में क्रांति

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग पिछले कुछ दशकों में सभी क्षेत्रों में बढ़ता जा रहा है, लेकिन 2024 में, हसबिस और जम्पर ने AI के इस्तेमाल से प्रोटीन अनुसंधान में एक क्रांति ला दी। प्रोटीन की संरचना की भविष्यवाणी करना हमेशा से एक चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है क्योंकि प्रोटीन अपने अमीनो एसिड अनुक्रम के आधार पर विभिन्न तरीके से मुड़ते हैं। पारंपरिक तरीकों से इसका अध्ययन करने में कई वर्ष लगते थे, लेकिन अल्फाफोल्ड2 ने इस प्रक्रिया को तेजी से बदल दिया।

अल्फाफोल्ड2 का परिचय और उसके उपयोग

2020 में, अल्फाफोल्ड2 ने वैज्ञानिक समुदाय को हिला कर रख दिया जब उसने प्रोटीन संरचनाओं की भविष्यवाणी में क्रिस्टलोग्राफी जैसी सटीकता दिखाई। इसके बाद यह टूल तेजी से दुनिया भर में लोकप्रिय हो गया, और अक्टूबर 2024 तक इसे दो मिलियन से अधिक वैज्ञानिकों ने उपयोग किया। इस टूल ने चिकित्सा, कृषि, और पर्यावरण विज्ञान सहित कई क्षेत्रों में नये अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित किया।

डेविड बेकर और नए प्रोटीन डिज़ाइन की प्रगति

जबकि हसबिस और जम्पर मौजूदा प्रोटीन संरचनाओं पर काम कर रहे थे, डेविड बेकर ने नए प्रोटीन डिज़ाइन करने की प्रक्रिया को पूरी तरह से बदल दिया। उनके कम्प्यूटेशनल टूल्स ने वैज्ञानिकों को उन प्रोटीनों को डिज़ाइन करने की अनुमति दी जो प्राकृतिक रूप से मौजूद नहीं हैं। उनके द्वारा डिज़ाइन किए गए प्रोटीनों का उपयोग नैनोटेक्नोलॉजी, नई दवाइयाँ, और औद्योगिक प्रक्रियाओं को बेहतर और अधिक टिकाऊ बनाने में हो सकता है।

प्रोटीन संरचनाओं की भविष्यवाणी के फायदे

  1. चिकित्सा अनुसंधान में लाभ: प्रोटीन की संरचना की सटीक भविष्यवाणी से दवाओं के विकास में बड़ी क्रांति हुई है। इससे वैज्ञानिक जटिल बीमारियों जैसे कैंसर और न्यूरोलॉजिकल विकारों के नए उपचारों पर तेजी से काम कर पा रहे हैं।
  2. कृषि में सुधार: इस AI तकनीक का उपयोग कृषि में किया जा सकता है ताकि पादप रोगों से बचाव के लिए नए प्रकार के प्रोटीन डिज़ाइन किए जा सकें। इससे खेती को अधिक उत्पादक और टिकाऊ बनाने में मदद मिल सकती है।
  3. पर्यावरण विज्ञान में नवाचार: पर्यावरण संरक्षण के लिए डिज़ाइन किए गए प्रोटीन से प्रदूषण को कम करने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में मदद मिल सकती है।

AI आधारित प्रोटीन अनुसंधान के चैलेंज

AI आधारित प्रोटीन अनुसंधान में बहुत सी चुनौतियाँ भी हैं। पहला, अल्फाफोल्ड2 को उपयोग करने के लिए जटिल डेटा सेट और बहुत अधिक कम्प्यूटेशनल संसाधनों की आवश्यकता होती है। दूसरा, प्रोटीन संरचनाओं की भविष्यवाणी के बावजूद, यह सुनिश्चित करना कि डिज़ाइन किया गया प्रोटीन वास्तविक जीवन में भी वैसा ही कार्य करे, एक बड़ी चुनौती है।

बॉक्स: अल्फाफोल्ड2 और इसके पीछे के वैज्ञानिकों का परिचय

डेमिस हसबिस और जॉन एम जम्पर ने Google DeepMind में अल्फाफोल्ड2 का विकास किया। उनका AI मॉडल 2020 में जारी किया गया और उसने जैव रसायन विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन किया। उनके इस मॉडल की खासियत यह है कि यह प्रोटीन की संरचना की भविष्यवाणी क्रिस्टलोग्राफी जैसी तकनीकों के मुकाबले बहुत तेज़ी से और अधिक सटीकता के साथ कर सकता है।

डेविड बेकर का योगदान

डेविड बेकर ने अपने कम्प्यूटेशनल टूल्स की मदद से नए प्रोटीन डिज़ाइन किए जो स्वाभाविक रूप से प्रकृति में नहीं होते हैं। उनके द्वारा डिज़ाइन किया गया एक प्रसिद्ध प्रोटीन Top7 है, जो 2003 में बनाया गया था। इस प्रोटीन की सफलता के बाद, उन्होंने कई अन्य प्रोटीन डिज़ाइन किए जो नई दवाओं के विकास और औद्योगिक प्रक्रियाओं में क्रांति ला सकते हैं।

प्रोटीन डिज़ाइन में नवाचार और भविष्य

प्रोटीन डिज़ाइन की प्रगति से चिकित्सा विज्ञान, औद्योगिक अनुसंधान, और कृषि विज्ञान में क्रांतिकारी परिवर्तन होने की उम्मीद है। भविष्य में, इन प्रोटीनों का उपयोग कैंसर जैसी जटिल बीमारियों के इलाज में, पर्यावरण को बचाने, और नई दवाइयों को विकसित करने के लिए किया जा सकता है।

निष्कर्ष

2024 के नोबेल पुरस्कार विजेताओं का यह कार्य विज्ञान की दुनिया में नई क्रांति ला रहा है। हसबिस, जम्पर, और बेकर का अनुसंधान न केवल जैव रसायन विज्ञान को बदल रहा है बल्कि यह नई प्रौद्योगिकियों के विकास के द्वार भी खोल रहा है। इस प्रगति से चिकित्सा, कृषि और पर्यावरण में नए-नए नवाचारों की संभावनाएँ बढ़ गई हैं, जो भविष्य में मानव जीवन को बेहतर बना सकते हैं।

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