China Anaconda strategy plans to gradually increase pressure on Taiwan
चीन और ताइवान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, और इस समय चीन एक विशेष सैन्य रणनीति का उपयोग कर रहा है, जिसे ‘एनाकोंडा रणनीति’ के नाम से जाना जाता है। यह रणनीति सीधे आक्रमण के बजाय धीरे-धीरे ताइवान को कमज़ोर करने और उसकी गतिविधियों को सीमित करने के लिए बनाई गई है। चीन ताइवान के चारों ओर अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है, साथ ही उसे राजनीतिक और आर्थिक रूप से भी घेरने की कोशिश कर रहा है।
एनाकोंडा रणनीति क्या है?
‘एनाकोंडा रणनीति’ का नाम एनाकोंडा सांप से लिया गया है, जो अपने शिकार को धीरे-धीरे लपेट कर निचोड़ता है। इस रणनीति के तहत, चीन ताइवान को तुरंत घेरने या उस पर हमला करने के बजाय धीरे-धीरे उसे हर दिशा से घेरता जा रहा है। इस प्रक्रिया में ताइवान की सेना और उसकी सुरक्षा तंत्र पर लगातार दबाव बनाया जाता है, ताकि उसकी प्रतिरोध क्षमता को धीरे-धीरे कमजोर किया जा सके।
इस रणनीति के प्रमुख तत्व इस प्रकार हैं:
- सैन्य घेराबंदी: चीन लगातार ताइवान के चारों ओर अपने सैन्य अभ्यासों को बढ़ा रहा है। ताइवान के हवाई क्षेत्र में उड़ान भरने वाले चीनी विमानों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। यह चीनी नाकाबंदी का संकेत हो सकता है जो ताइवान को चारों ओर से घेरने की कोशिश कर रहा है।
- साइबर युद्ध: चीन सिर्फ सैन्य दबाव ही नहीं डाल रहा, बल्कि साइबर हमले और दुष्प्रचार के माध्यम से ताइवान की प्रमुख सेवाओं जैसे बिजली, संचार और इंटरनेट को बाधित करने की कोशिश भी कर सकता है।
- दुष्प्रचार और आर्थिक दबाव: चीन ताइवान के खिलाफ दुष्प्रचार का भी सहारा ले रहा है। इसका उद्देश्य ताइवान के आंतरिक हालात को अस्थिर करना और ताइवान की सरकार और उसके समर्थकों के खिलाफ गलत जानकारी फैलाना है।
ताइवान के चारों ओर सैन्य उपस्थिति बढ़ाना
चीन ने ताइवान के आसपास की अपनी सैन्य उपस्थिति को बढ़ाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। चीनी सेना नियमित रूप से ताइवान के नजदीक समुद्र और हवाई क्षेत्र में अपने जहाजों और विमानों को तैनात कर रही है।
- चीनी वायु सेना: ताइवान के हवाई क्षेत्र में चीनी सैन्य विमानों की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। ये विमान ताइवान की वायुसीमा के करीब उड़ान भरते हैं, जो ताइवान की वायु सेना के लिए चुनौती पेश करता है।
- चीनी नौसेना: चीनी नौसेना ने ताइवान जलडमरूमध्य और उसके आसपास गश्त बढ़ा दी है। इसके साथ ही, बड़े पैमाने पर नौसेना अभ्यास भी किए जा रहे हैं। ताइवान की नौसेना को चीनी नौसेना की बढ़ती संख्या और शक्तिशाली युद्धपोतों से सामना करना पड़ रहा है।
साइबर युद्ध और दुष्प्रचार
चीन ने सिर्फ सैन्य गतिविधियों तक ही अपनी रणनीति को सीमित नहीं रखा है। वह ताइवान के खिलाफ साइबर हमले और दुष्प्रचार की रणनीति का भी सहारा ले रहा है।
साइबर युद्ध
चीन ने ताइवान की साइबर सुरक्षा को कमजोर करने के प्रयास शुरू किए हैं। इसके तहत महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे जैसे बिजली आपूर्ति, सरकारी तंत्र, संचार नेटवर्क, और बैंकिंग प्रणाली पर साइबर हमले किए जा सकते हैं। चीन द्वारा की जाने वाली ये साइबर गतिविधियाँ ताइवान की आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता को कमजोर करने का प्रयास हैं।
दुष्प्रचार
चीन ताइवान में अस्थिरता पैदा करने के लिए दुष्प्रचार का भी सहारा लेता है। ताइवान के लोगों और उसके प्रमुख नेताओं के खिलाफ गलत जानकारी फैलाकर चीन ताइवान में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करना चाहता है।
ताइवान की आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव
चीन की इस घेराबंदी का उद्देश्य ताइवान को उसकी आपूर्ति श्रृंखला से काट देना है। ताइवान कई आवश्यक सामग्रियों जैसे खाद्य और ऊर्जा के लिए आयात पर निर्भर है। यदि चीन इन आपूर्तियों को बाधित करता है, तो ताइवान को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
सेमीकंडक्टर उद्योग पर प्रभाव
ताइवान का सेमीकंडक्टर उद्योग वैश्विक स्तर पर बहुत महत्वपूर्ण है। दुनिया की कई बड़ी कंपनियाँ ताइवान में बने सेमीकंडक्टर पर निर्भर हैं। यदि चीन ताइवान को घेरता है या उस पर हमला करता है, तो इसका सेमीकंडक्टर उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जो पूरी दुनिया की तकनीकी आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर सकता है।
ताइवान के रक्षा बलों पर प्रभाव
ताइवान की सेना को चीन की एनाकोंडा रणनीति के कारण भारी दबाव का सामना करना पड़ रहा है। ताइवान की नौसेना और वायुसेना को चीनी सैन्य अभ्यासों का मुकाबला करने के लिए लगातार तैयारी करनी पड़ रही है। ताइवान की सेना के पास सीमित संसाधन हैं, और उन्हें चीनी सेना की विशाल संख्या और आधुनिक तकनीक का सामना करने में मुश्किलें आ रही हैं।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि ताइवान की सामरिक स्थिति काफी नाजुक है। चीन की एनाकोंडा रणनीति से निपटने के लिए ताइवान को अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने की जरूरत है। इसके साथ ही, ताइवान को अंतरराष्ट्रीय समर्थन की भी जरूरत है, खासकर अमेरिका और जापान जैसे देशों से।
अंतर्राष्ट्रीय समर्थन और संभावनाएँ
ताइवान की सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन का महत्व बहुत बड़ा है। ताइवान का सेमीकंडक्टर उद्योग और उसकी लोकतांत्रिक प्रणाली कई देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं। अमेरिका और जापान जैसे देश ताइवान का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया, तो ये देश कितनी दूर तक जाएंगे।
अमेरिका की भूमिका
अमेरिका ने पहले से ही ताइवान की सुरक्षा को लेकर चीन को चेतावनी दी है। हाल ही में, अमेरिका ने ताइवान को रक्षा सहायता देने और उसे हथियारों की आपूर्ति करने की पेशकश की है।
जापान की भूमिका
जापान भी ताइवान की सुरक्षा को लेकर चिंतित है, क्योंकि ताइवान जापान के काफी करीब है। जापान ने ताइवान के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया है।
एनाकोंडा रणनीति के प्रभाव
चीन की एनाकोंडा रणनीति ने ताइवान की स्थिति को और भी अस्थिर कर दिया है। ताइवान की सैन्य तैयारियों और उसकी आपूर्ति श्रृंखला पर इस रणनीति का गहरा प्रभाव पड़ा है।