अक्षांश एवं देशांतर (Latitude And Longitude)
Latitude And Longitude: जानें कैसे ये दो महत्वपूर्ण घटक पृथ्वी पर किसी भी स्थान को सटीकता से निर्धारित करते हैं। इस लेख में अक्षांश और देशांतर की परिभाषा, उनकी उपयोगिता, और मानचित्र पर स्थान खोजने की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।
आज हम अक्षांश एवं देशांतर (Latitude And Longitude) के बारे में जानने वाले हे
- हमारी पृथ्वी गोलाकार नहीं है। यह उत्तर एवं दक्षिण ध्रुव पर थोड़ी चपटी तथा मध्य में थोड़ी उभरी हुई है। ग्लोब पृथ्वी का लघु रूप में एक वास्तविक प्रतिरूप है
- एक सुई ग्लोब में झुकी हुई अवस्था में स्थित होती है। जिसे अक्ष कहा जाता है। ग्लोब पर वह दो बिंदु जिनसे होकर सुई गुजरती है। उत्तर तथा दक्षिणी ध्रुव है.
- ग्लोब को इस सुई के चारों ओर पृथ्वी की भांति पश्चिम से पूर्व की ओर घुमाया जा सकता है। लेकिन इन दोनों में एक अंतर है। पृथ्वी पर वास्तव में ऐसी कोई सुई नहीं होती है। यह अपने अक्ष पर चारों ओर घूमती है जो एक काल्पनिक रेखा है.
- एक अन्य काल्पनिक रेखा भी ग्लोब को दो बराबर भागों में बांटती है। इसे विषुवृत्त कहा जाता है.
- पृथ्वी के उत्तर में स्थित आधे भाग को उत्तरी गोलार्ध तथा दक्षिण वाले आधे भाग को दक्षिणी गोलार्ध कहा जाता है। यह दोनों बराबर के आधे भाग होते हैं। इस प्रकार विषुवत रुत्त पृथ्वी पर एक काल्पनिक रूत्त बनाती है एवं यह पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों की स्थिति बताने का सबसे महत्वपूर्ण संदर्भ बिंदु है.
- विषुवत रुत्त से ध्रुवों तक स्थित सभी समांतर रुत्त को अक्षांश (समानांतर) रेखाएं कहा जाता है। अक्षांशों को अंश में मापा जाता है.
- विषुवत रुत्त शून्य अंश अक्षांश को दर्शाती है। क्योंकि विषुवत रुत्त से दोनों तरफ ध्रुव के बीच की दूरी पृथ्वी के चारों ओर के रुत्त का एक चौथाई है ,अतः इसका माप होगा 360 अंश का 1/4 यानी 90 अंश। इस प्रकार 90 अंश उत्तरी अक्षांश उत्तर ध्रुव को दर्शाता है तथा 90 अंश दक्षिणी अक्षांश दक्षिण ध्रुव को.
- इस प्रकार विषुवत रुत्त के उत्तर की सभी समानांतर रेखाओं को उत्तरी अक्षांश कहां जाता है तथा विषुवत रुत्त के दक्षिण स्थित सभी समानांतर रेखाओं को दक्षिणी अक्षांश कहा जाता है.
- प्रत्येक अक्षांश के मान के साथ उसकी दिशा यानी उत्तर या दक्षिण को भी लिखा जाता है। सामान्य इसे उत्तर या दक्षिण अक्षर से व्यक्ति किया जाता है.
महत्वपूर्ण अक्षांश (समानांतर) रेखाएं
- विषुवत रुत्त (0 *) उत्तर ध्रुव ( 90* उत्तर) तथा दक्षिणी ध्रुव ( 90* दक्षिण) के अतिरिक्त चार महत्वपूर्ण अक्षांश (समानांतर) रेखाएं और भी है यह है।
1 ) उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा (23 1/2* उत्तर)
2 ) दक्षिणी गोलार्ध में मकर रेखा ( 23 1 /2 * दक्षिण)
3 ) विषुवत रुत्त के 66 1 /2 * उत्तर में उत्तर ध्रुव रुत्त।
4 ) विषुवत रुत्त रेखा के 66 1 /2 * दक्षिण में दक्षिण ध्रुव रुत्त।
पृथ्वी के ताप कटिबंध
- कर्क रेखा एवं मकर रेखा के बीच के सभी अक्षांशों पर सूर्य वर्ष में एक बार दोपहर में सर के ठीक ऊपर होता है। इसलिए इस क्षेत्र में सबसे अधिक ऊष्मा प्राप्त होती है तथा इसे उष्णकटिबंध कहा जाता है.
- कर्क रेखा तथा मकर रेखा के बाद किसी भी अक्षांश पर दोपहर का सूर्य कभी भी सर के ऊपर नहीं होता है। ध्रुव की तरफ सूर्य की किरणें तिरछी होती जाती है
- इस प्रकार उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा एवं उत्तर ध्रुव वृत्त तथा दक्षिणी गोलार्ध में मकर रेखा एवं दक्षिण ध्रुव वृत्त के बीच वाले क्षेत्र का तापमान मध्यम रहता है। इसलिए इन्हें शीतोष्ण कटिबंध कहा जाता है.
- उत्तरी गोलार्ध में उत्तर ध्रुव वृत्त एवं उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिण ध्रुव वृत्त एवं दक्षिणी ध्रुव के बीच के क्षेत्र में ठंड बहुत होती है। क्योंकि यहां सूर्य और क्षितिज से ज्यादा ऊपर नहीं आ पाता है। इसलिए यही शीत कटिबंध कहलाते हैं.
देशांतर
- किसी स्थान की स्थिति को बताने के लिए उस स्थान के अक्षांश के अतिरिक्त जरूरी है कि यह पता हो कि उत्तर ध्रुव को दक्षिण ध्रुव से जोड़ने वाली संदर्भ रेखा से पूर्व या पश्चिम की ओर इन स्थानों की कितनी दूरी है। इन संदर्भ रेखाओं को देशांतरीय याम्योत्तर कहते हैं तथा उनके बीच की दूरी को देशांतर के अंशो में मापा जाता है.
- प्रत्येक अंश को मिनट में तथा मिनट को सेकंड में विभाजित किया जाता है। यह अर्धवृत्त है तथा उनके बीच की दूरी ध्रुवों की तरफ बढ़ने पर घाटती जाती है एवं ध्रुवों पर शून्य हो जाती है, जहां सभी देशांतरीय याम्योत्तर आपस में मिलती है.
- अक्षांश (समानांतर) रेखाओं से भिन्न सभी देशांतरीय याम्योत्तर की लंबाई समान होती है। इसलिए इन्हें सिर्फ मुख्य संख्याओं में व्यक्त करना कठिन था। तब सभी देशों ने निष्चय किया की ग्रीनिच जहां ब्रिटिश राजकीय वेधशाला स्थित है ,से गुजरने वाली याम्योत्तर से पूर्व और पश्चिम की ओर गिनती शुरू की जाए.
- इस याम्योत्तर को प्रमुख याम्योत्तर कहते हैं। इसका मान 0 डिग्री देशांतर शून्य डिग्री देशांतर है। तथा यहां से हम 180* पूर्व या 180* पश्चिम तक गणना करते हैं.
- प्रमुख याम्योत्तर तथा 180* यमोत्तर मिलकर पृथ्वी को दो समान भागों , पूर्वी गोलार्ध एवं पश्चिमी गोलार्ध में विभक्त करती है। इसलिए किसी स्थान के देशांतर के आगे पूर्व के लिए अक्षर पू. तथा पश्चिम के लिए अक्षर प. का उपयोग करते हैं.
- यह जानना रोचक होगा कि 180* पूर्व और 180* पश्चिम याम्योत्तर एक ही रेखा पर स्थित है.
देशांतर और समय
- समय को मापने का सबसे अच्छा साधन पृथ्वी चंद्रमा एवं ग्रहों की गति है
- स्थानीय समय का अनुमान सूर्य के द्वारा बनने वाली परछाई से लगाया जा सकता है। जो दोपहर में सबसे छोटी एवं सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सबसे लंबी होती है.
- ग्रीनिच पर स्थित प्रमुख याम्योत्तर पर सूर्य जिस समय आकाश के सबसे उंचे बिंदु पर होगा, उसे समय याम्योत्तर पर स्थित सभी स्थानों पर दोपहर होगी।
- पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर चक्कर लगाती है अंत वे स्थान जो ग्रीनिच के पूर्व में है ,उनका समय ग्रीनिच समय से आगे होगा तथा जो पश्चिम में है उनका समय पीछे होगा।
- पृथ्वी लगभग 24 घंटे में अपने अक्ष पर 360* घूम जाती है, अर्थात वह 1 घंटे में 15* एवं 4 मिनट में 1 * घूमती है। इस प्रकार जब ग्रीनिच में दोपहर के 12 बजाते हैं, तब ग्रीनिच से 15* पूर्व में समय होगा 15 x 4 =60 मिनट अर्थात ग्रीनिच के समय से एक घंटा आगे, अर्थात वहां दोपहर का एक बजा होगा।
- लेकिन ग्रीनिच से 15 * पश्चिम का समय ग्रीनिच से एक घंटा पीछे होगा या नहीं वहां, सुबह के 11:00 बजे होंगे। इसी प्रकार जब ग्रीनिच पर दोपहर के 12:00 बजे होंगे उसे समय 180* पर मध्य रात्रि होगी।
- किसी भी स्थान पर जब सूर्य आकाश में अपने उच्चतम बिंदु पर होता है ,दोपहर में उसे समय घड़ी में दिन के 12 बसते हैं। इस प्रकार घड़ी के द्वारा दिखाया गया समय उस स्थान का स्थानीय समय होगा।
- अलग-अलग याम्योत्तर पर स्थित स्थानों के स्थानीय समय में अंतर होता है.
- यह आवश्यक है कि देश के मध्य भाग से होकर गुजरने वाली किसी याम्योत्तर के स्थानीय समय को देश का मानक समय माना जाए। इस याम्योत्तर रेखा के स्थानीय समय को पूरे देश का मानक समय माना जाता है.
- भारत में 82 1 /2 * पूर्व( 82*30) को मानक याम्योत्तर माना गया है। इस याम्योत्तर के स्थानीय समय को पूरे देश का मानक समय माना जाता है। इसे भारतीय मानक समय के नाम से जाना जाता है.
- भारत ग्रीनिच के पूर्व 82*30 पूर्व में स्थित है तथा यहां का समय ग्रीनिच समय से 5 घंटा 30 मिनट आगे है.
- कुछ देशों का देशांतरीय विस्तार अधिक होता है। जिसके कारण वहां एक से अधिक मानक समय अपनाये गए हैं। उदाहरण के लिए रूस में 11 मानक समायो को अपनाया गया है। पृथ्वी को एक-एक घंटे वाले 24 समय क्षेत्र में बांटा गया है। इस प्रकार प्रत्येक समय क्षेत्र 15* देशांतर तक के क्षेत्र को घेरता है.
1) Difference between latitude and longitude अक्षांश और देशांतर के बीच का अंतर
अक्षांश (Latitude) और देशांतर (Longitude) पृथ्वी की सतह पर किसी स्थान को सटीकता से पहचानने के लिए उपयोग होने वाले दो महत्वपूर्ण जाल हैं। ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं, लेकिन उनके बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। आइए, विस्तार से समझते हैं:
1. परिभाषा
1.अक्षांश (Latitude):
- यह पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के बीच की दूरी को मापता है। अक्षांश रेखाएँ क्षैतिज (horizontal) होती हैं और ये भूमध्य रेखा (Equator) से उत्तर और दक्षिण की ओर फैली होती हैं। अक्षांश को 0° (भूमध्य रेखा) से 90° (उत्तरी या दक्षिणी ध्रुव) के बीच मापा जाता है।
2. देशांतर (Longitude):
- यह पृथ्वी के पूर्वी और पश्चिमी गोलार्ध के बीच की दूरी को मापता है। देशांतर रेखाएँ लंबवत (vertical) होती हैं और ये प्राइम मेरिडियन (Prime Meridian) से पूर्व और पश्चिम की ओर फैली होती हैं। देशांतर को 0° (प्राइम मेरिडियन) से 180° (पूर्व या पश्चिम) के बीच मापा जाता है।
2. माप की दिशा
- अक्षांश: उत्तर और दक्षिण की दिशा में मापा जाता है।
- देशांतर: पूर्व और पश्चिम की दिशा में मापा जाता है।
3. उदाहरण
- अक्षांश: दिल्ली का अक्षांश लगभग 28.6° उत्तर है।
- देशांतर: दिल्ली का देशांतर लगभग 77.2° पूर्व है।
4. उपयोग
1.अक्षांश:
- यह जलवायु, वनस्पति और अन्य भौगोलिक विशेषताओं को निर्धारित करने में मदद करता है।
- उच्च अक्षांश पर ठंडी जलवायु होती है, जबकि निम्न अक्षांश पर गर्म जलवायु होती है।
2.देशांतर:
- यह समय क्षेत्र (time zones) को निर्धारित करने में मदद करता है।
- प्रत्येक 15 डिग्री देशांतर पर एक नया समय क्षेत्र शुरू होता है।
5. ग्रिड सिस्टम
- अक्षांश और देशांतर का ग्रिड:
- जब अक्षांश और देशांतर को मिलाया जाता है, तो एक ग्रिड प्रणाली बनती है, जो पृथ्वी पर किसी भी स्थान की सटीक पहचान करने में मदद करती है।
सारांश
अक्षांश और देशांतर दोनों पृथ्वी पर किसी स्थान को निर्धारित करने के लिए आवश्यक हैं। अक्षांश जलवायु और भौगोलिक विशेषताओं को समझने में मदद करता है, जबकि देशांतर समय और स्थान की पहचान में महत्वपूर्ण है। भूगोल के छात्रों के लिए इन दोनों के बीच का अंतर समझना आवश्यक है, क्योंकि ये न केवल मानचित्र पढ़ने में सहायक होते हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भौगोलिक अध्ययन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
2) अक्षांश और देशांतर (Latitude And Longitude)के बीच की दूरी
अक्षांश (Latitude) और देशांतर (Longitude) के बीच की दूरी निर्धारित करने के लिए निम्नलिखित जानकारी महत्वपूर्ण है:
1. अक्षांश की दूरी
- प्रत्येक अक्षांश डिग्री (°) के बीच की दूरी लगभग 111 किलोमीटर होती है। यह दूरी पृथ्वी की गोलाई के कारण स्थिर है।
2. देशांतर की दूरी
- देशांतर के लिए दूरी अलग-अलग होती है क्योंकि यह पृथ्वी के आकार के अनुसार घटती-बढ़ती है।
- Equator (भूमध्य रेखा) पर, प्रत्येक देशांतर डिग्री के बीच की दूरी लगभग 111 किलोमीटर होती है।
- जैसे-जैसे आप उत्तरी या दक्षिणी ध्रुव की ओर जाते हैं, देशांतर की दूरी घटती जाती है। ध्रुवों पर, देशांतर रेखाएँ आपस में मिल जाती हैं, जिससे वहां दूरी शून्य हो जाती है।
सारांश
- अक्षांश: 1° = लगभग 111 किलोमीटर।
- देशांतर: 1° = लगभग 111 किलोमीटर (भूमध्य रेखा पर), लेकिन ध्रुवों की ओर बढ़ने पर यह दूरी कम होती जाती है।
3) अक्षांश और देशांतर (Latitude And Longitude) कितना डिग्री है?
1. अक्षांश (Latitude):
- अक्षांश की डिग्री 0° से लेकर 90° तक होती है।
- 0°: भूमध्य रेखा (Equator)
- 90° उत्तर: उत्तरी ध्रुव (North Pole)
- 90° दक्षिण: दक्षिणी ध्रुव (South Pole)
2. देशांतर (Longitude):
- देशांतर की डिग्री 0° से लेकर 180° तक होती है।
- 0°: प्राइम मेरिडियन (Prime Meridian)
- 180°: अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International Date Line), जो पूर्व और पश्चिम के बीच विभाजन करती है।
सारांश
- अक्षांश: 0° से 90° (उत्तरी और दक्षिणी)
- देशांतर: 0° से 180° (पूर्व और पश्चिम)
4) अक्षांश और देशांतर (Latitude And Longitude)को कैसे समझें?
1. परिभाषा:
- अक्षांश (Latitude): यह पृथ्वी की सतह पर किसी बिंदु की उत्तर या दक्षिण स्थिति को दर्शाता है। इसे भूमध्य रेखा से मापा जाता है।
- देशांतर (Longitude): यह पृथ्वी की सतह पर किसी बिंदु की पूर्व या पश्चिम स्थिति को दर्शाता है। इसे प्राइम मेरिडियन से मापा जाता है।
2. ग्रिड प्रणाली:
- अक्षांश और देशांतर मिलकर एक ग्रिड प्रणाली बनाते हैं, जो पृथ्वी पर किसी भी स्थान को सटीकता से पहचानने में मदद करती है। अक्षांश रेखाएँ क्षैतिज होती हैं, जबकि देशांतर रेखाएँ लंबवत होती हैं।
3. माप की दिशा:
- अक्षांश: उत्तरी (North) या दक्षिणी (South) दिशा में।
- देशांतर: पूर्वी (East) या पश्चिमी (West) दिशा में।
4. उपयोगिता:
- अक्षांश जलवायु और भौगोलिक विशेषताओं को समझने में मदद करता है।
- देशांतर समय क्षेत्र और स्थान पहचानने में महत्वपूर्ण है।
5) अक्षांश और देशांतर (Latitude And Longitude)PDF
अक्षांश एवं देशांतर (Latitude And Longitude)
6) अक्षांश और देशांतर (Latitude And Longitude) रेखाएं कितनी होती है
1. अक्षांश रेखाएं:
- अक्षांश रेखाएं पृथ्वी पर 0° से 90° तक होती हैं।
- मुख्य रेखाएँ:
- भूमध्य रेखा (Equator): 0° अक्षांश
- उत्तरी ध्रुव (North Pole): 90° उत्तर
- दक्षिणी ध्रुव (South Pole): 90° दक्षिण
- कुल मिलाकर, 90° उत्तर से 90° दक्षिण तक 180 अक्षांश रेखाएं होती हैं।
2. देशांतर रेखाएं:
- देशांतर रेखाएं पृथ्वी पर 0° से 180° तक होती हैं।
- मुख्य रेखाएँ:
- प्राइम मेरिडियन (Prime Meridian): 0° देशांतर
-
- अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International Date Line): 180° देशांतर
- कुल मिलाकर, 0° से 180° पूर्व और 0° से 180° पश्चिम तक 360 देशांतर रेखाएं होती हैं।
7) अक्षांश और देशांतर (Latitude And Longitude) कैसे निकाले
1. अक्षांश निकालने की विधि:
- अक्षांश को निकालने के लिए किसी बिंदु के उत्तरी या दक्षिणी स्थिति को मापा जाता है।
- उपकरण:
- ग्लोब या मानचित्र का उपयोग करें।
- सेलेस्टियल नेविगेशन के लिए सूर्य या अन्य तारे की ऊँचाई का माप लें।
- प्रक्रिया:
- यदि आप भूमध्य रेखा से उत्तरी दिशा में हैं, तो अक्षांश सकारात्मक (उत्तरी) होगा, और यदि दक्षिण दिशा में हैं, तो यह नकारात्मक (दक्षिणी) होगा।
- उदाहरण: यदि किसी स्थान की दूरी भूमध्य रेखा से 30° उत्तर है, तो अक्षांश 30°N होगा।
2. देशांतर निकालने की विधि:
- देशांतर को निकालने के लिए किसी बिंदु की पूर्वी या पश्चिमी स्थिति को मापा जाता है।
- उपकरण:
- ग्लोब या मानचित्र का उपयोग करें।
- सौर समय का माप लें (जो कि सूर्योदय के समय से लेकर उस स्थान पर सूर्य के उच्चतम बिंदु तक होता है)।
- प्रक्रिया:
- यदि आप प्राइम मेरिडियन से पूर्व की दिशा में हैं, तो देशांतर सकारात्मक (पूर्व) होगा, और यदि पश्चिम दिशा में हैं, तो यह नकारात्मक (पश्चिमी) होगा।
- उदाहरण: यदि किसी स्थान का प्राइम मेरिडियन से 45° पूर्व है, तो देशांतर 45°E होगा।
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