भारत की आर्थिक समीक्षा Economic Survey
जानें कैसे भारत का Economic Survey देश की अर्थव्यवस्था के वर्तमान हालात और भविष्य की योजनाओं का विश्लेषण करती है। यह समीक्षा आर्थिक विकास, वित्तीय सुधार और समाज की आर्थिक स्थिति को बेहतर समझने में सहायक है।
- भारत का आर्थिक सर्वेक्षण एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ होता है जो सरकार द्वारा हर साल बजट से पहले जारी किया जाता है। यह देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति, चुनौतियों, और भविष्य की संभावनाओं का विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
- आर्थिक समीक्षा किसी भी देश की तरक्की और विकास के लिए अर्थव्यवस्था का मजबूत होना बेहद जरूरी होता है। लेकिन अर्थव्यवस्था की दशा और दिशा क्या है और यह किस रफ्तार से आगे बढ़ रही है इसे जानने और समझने के लिए आर्थिक समीक्षा बेहद जरूरी होती है। आर्थिक समीक्षा के जरिए कोई भी सरकार देश की आर्थिक व्यवस्था के अलग-अलग क्षेत्र की उपलब्धियां और चुनौतियों को संसद के माध्यम से देश के सामने रखती है।
- आर्थिक समीक्षा में न केवल बीते साल का लेखा-जोखा होता है, बल्कि भविष्य में अर्थव्यवस्था कैसी होनी चाहिए इसकी भी तस्वीर पेश की जाती है। साथ ही इसमें अलग-अलग आर्थिक क्षेत्र के आंकड़ों में पेश किए जाते हैं। यह वित्त मंत्रालय का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, जिसमें अर्थव्यवस्था की बुनियादी कारकों के साथ ही मानवी सामाजिक पहलुओं का गहन विश्लेषण किया जाता है।
- हर साल आम बजट से पहले पेश होने वाला यह दस्तावेज आमतौर पर केंद्रीय बजट के लिए एक नीतिगत दृष्टिकोण प्रदान करता है। आज हम बात करेंगे आर्थिक सर्वेक्षण से जुड़े मुख्य बातों की। साथ ही आर्थिक समीक्षा के महत्व को भी समझने की कोशिश करते हैं।
आर्थिक समीक्षा Economic Survey-
बीते एक साल में देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति क्या रही है। और आर्थिक मोर्चे पर देश ने कितनी तरक्की की है ,इससे जुड़ी रिपोर्ट आर्थिक समीक्षा के रूप में बजट पेश होने से पहले संसद के दोनों सदनों में पेश की जाती है। आर्थिक समीक्षा एक सर्वेक्षण में पिछले 1 साल में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट शामिल होती है। जिसमें प्रमुख चुनौतियां और उसे निपटने का जिक्र शामिल होता है। आर्थिक समीक्षा में इस बात का भी जिक्र होता है कि, साल भर में देश के विकास के हालात कैसे रही है और अर्थव्यवस्था की रफ्तार क्या रही है।
ऐसे में जानते हैं क्या होती है आर्थिक सर्वेक्षण और इसे तैयार करने में किन-किन पहलुओं का रखा जाता है ध्यान-
हर साल आम बजट पेश होने से पहले संसदके दोनों सदनों में देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ी देश की अर्थव्यवस्था और उससे जुड़ी प्रगति की रिपोर्ट पेश की जाती है। इस रिपोर्ट को आर्थिक सर्वेक्षण या आर्थिक समीक्षा कहा जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण को वित्त मंत्रालय पेश करता है। यह मंत्रालय की ओर से पेश किए जाने वाली आधिकारिक रिपोर्ट होती है।
- आर्थिक सर्वेक्षण में दरअसल पिछले 1 साल में देश की अर्थव्यवस्था में हुए विकास की समीक्षा होती है और मसलन पिछले 1 साल में विकास को लेकर क्या काम हुए हैं।
- बड़ी-बड़ी योजनाएं कितनी सफल रही है। सरकार ने आर्थिक दिशा में और क्या-क्या कदम उठाए हैं।
- साथ ही शार्ट और मीडियम टर्म में अर्थव्यवस्था किस तरह से परफॉर्मेंस करने वाली है।
- इसके साथ ही आर्थिक सर्वेक्षण में देश की अर्थव्यवस्था का पूर्वानुमान निर्माण नीति और चुनौतियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है।
- आर्थिक सर्वेक्षण में न केवल देश की अर्थव्यवस्था के बारे में पूरी जानकारी दी जाती है बल्कि सरकार के आर्थिक नीति का ब्यौरा दिया जाता है।
- जैसे की जीडीपी की ग्रोथ क्या रहेगी ,उद्योग और आधारभूत संरचना के आंकड़े कैसे रहेंगे। इसकी भी पूरी जानकारी आर्थिक सर्वेक्षण में रहती है।
- आर्थिक सर्वेक्षण में कृषि और औद्योगिक उत्पादन ,रोजगार, आयात- निर्यात, विदेशी मुद्रा भंडार और अन्य संबंधित आर्थिक आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है।
- इन सभी का असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है और आम बजट बनाते समय आर्थिक सर्वेक्षण में सुझाए गए आर्थिक चुनौतियों और उनके संभावित समाधान पर भी ध्यान दिया जाता है।
- हालांकि सरकार बजट बनाते समय आर्थिक सर्वेक्षण में सुझाए गए उपायों को मानने के लिए बाध्य नहीं है। सरकार इस फैसले के लिए पूरी तरह से स्वतंत्रता होती है ,कि बजट में क्या घोषणा करनी है और किन सुझाव को अमल में लाना है।
- आर्थिक सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार और उनकी टीम तैयार करती है।
- यह वित्त मंत्रालय का काफी अहम दस्तावेज होता है जो तैयार होने और वित्त मंत्री की अनुमति के बाद संसद में पेश किया जाता है।
- इसमें अर्थव्यवस्था की सभी पहलुओं को समेटे हुए विस्तृत सांख्यिकी आंकड़ों के जरिए उन्हें दर्शाया जाता है। ताकि भारत की अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर साफ-साफ नजर आए। साथ
- ही इसमें नीतिगत विचार आर्थिक मापदंडों पर प्रमुख आंकड़े और क्षेत्रवार प्रधानों का गहन विश्लेषण शामिल होता है।
- देश में आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने की परंपरा आजादी के बाद से ही शुरू हो गई है।
- पहले आर्थिक सर्वेक्षण साल 1950-51 में पेश किया गया था।
- साल 1964 तक इसे बजट के साथ ही पेश किया जाता था।
- लेकिन उसके बाद इसे बजट पेश करने के 1 दिन पहले पेश किया जाने लगा।
- साल 2015 के बाद आर्थिक सर्वेक्षण को दो खंडो में बांटकर पेश किया जाने लगा। पहले खंड में अर्थव्यवस्था की स्थिति बताई जाती है। जबकि दूसरे खंड में अर्थव्यवस्था की सभी प्रमुख क्षेत्रों को कवर करते हुए वित्तीय वर्ष की अधिक विस्तृत समीक्षा की जाती है। जिसमें प्रमुख आंकड़े और डाटा होते हैं।
- आर्थिक सर्वेक्षण को तैयार करने में आर्थिक पहलुओं के साथ-साथ सामाजिक पहलू पर पूरा ध्यान दिया जाता है। इनमें जनसांख्यिकीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण और नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के साथ ही, मानव विकास पर शिक्षा और विकास उर्जा और कौशल विकास से जुड़े कार्यक्रमों पर जोर ज्यादा है।
- आर्थिक सर्वेक्षण भविष्य में बनाए जाने वाले नीतियों के लिए एक आधार का काम करता है। इसमें लगाए गए अनुमानों और दिए गए सुझाव से यह पता चलता है की अर्थव्यवस्था के अलग-अलग सेक्टर में क्या-क्या करना है और किस क्षेत्र में कितना काम करने की जरूरत है।
- हालांकि आर्थिक सर्वेक्षण में सिर्फ सिफारिश होती है और इन पर कोई कानूनी बाध्यता नहीं होती है।
- आर्थिक सर्वेक्षण देश की अर्थव्यवस्था की दिशा दिखाता है और इसी से तय होता है कि देश की अर्थव्यवस्था कहा जाने वाली है। इस नीति के जरिये सरकार तय करती है कि उसे कहां से पैसा जुटाना हैं और कहां खर्चा करना है। सरकार अपनी नीतियों को इसी आधार पर अंजाम तक पहुंचआती है।
आर्थिक समीक्षा का महत्व-
- आर्थिक समीक्षा सरकार के साथ ही देश के लोगों को भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह माध्यम है जिसके जरिए आम जनता को देश की आर्थिक सेहत के बारे में व्यापक रूप से जानकारी मिलती है।
- आर्थिक समीक्षा अर्थव्यवस्था से जुड़ी हर पहलू के बारे में जानकारी देने वाला सबसे सटीक और प्रमाणित दस्तावेज है। इस नजरिए से यह बहुत महत्वपूर्ण है कि इससे सरकार की ओर से तैयार किया जाता है। लेकिन सरकार के लिए भी यह आर्थिक नीतियां बनाने और उन पर अमल के हिसाब से खास मायने रखता है।
- आर्थिक समीक्षा देश की आर्थिक स्थिति की दशा और दिशा बताती है। यह देश के विकास का सालाना लेखा जोखा है। इस नजरिए से यह सरकार के लिए मार्गदर्शन का कार्य करती है। देश की अर्थव्यवस्था किस तरफ जा रही है और किस तरफ जानी चाहिए इस पर आर्थिक समीक्षा का खास जोर होता है।
- आने वाले समय में किस तरह से नीति पर फोकस किया जाना चाहिए, इसके लिए आर्थिक समीक्षा की सिफारिशे बहुत महत्वपूर्ण होती है।
- सरकार इन सिफारिश पर गौरकर बेहतरीन बना सकती है। पहली की नीतियों में अगर कोई कमी है तो उसे भी दूर करने में आर्थिक समीक्षा सरकार के लिए मददगार साबित हो सकती है।
- किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए यह बेहद जरूरी है ,कि हर तरफ की आर्थिक गतिरोधों के बीच तालमेल बना रहे।
- व्यापक आर्थिक नीति के लिए यह जरूरी है कि आर्थिक गतिविधियों से जुड़े हर क्षेत्र में विकास का असुंतलन पैदा ना हो।
- आर्थिक समीक्षा इस बात पर खास ध्यान देती है और आर्थिक समीक्षा की सिफारिश से सरकार को भी इस असंतुलन को दूर करने में मदद मिलती है। सरकार को भविष्य की नीतियों के लिए सुझाव होते हैं।
- आर्थिक समीक्षा इस बात का जिक्र होता है कि जिन क्षेत्रों पर सरकार को ध्यान केंद्रित करना चाहिए। वह भविष्य में बनाए जाने वाली नीतियों के लिए एक दृष्टिकोण का काम करता है। देश के हर नागरिक को भी अपनी अर्थव्यवस्था की सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष को जानने का पूरा हक है।
- इस काम में आर्थिक समीक्षा खूब काम करती है। बजट से पहले आर्थिक समीक्षा बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इससे जनता को अर्थव्यवस्था का हाल पता चलता है। देश के अर्थव्यवस्था किस तरफ जा रही है।
- आर्थिक नीतियों और गतिविधियों से समाज के किन वर्गों को किस तरह का फायदा मिल रहा है। जीन वर्गों की उपेक्षा हो रही है। इन सब की बातों को कोई जानकारी कोई भी नागरिक आर्थिक समीक्षा के जरिए जान सकता है।
- आर्थिक समीक्षा सिर्फ आंकड़ों तक ही सीमित नहीं है। इसमें आर्थिक नीतियों और योजनाओं का भी विश्लेषण शामिल है। यह एक आम नागरिक के लिए जानकारी का पिटारा है। चाहे कॉलेज यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र हो या फिर रोजगार के लिए प्रतियोगी प्रतीक्षाओके तैयारी करने वाले छात्रा हो। हर किसी को अर्थव्यवस्था की सटीक और प्रमाणिक जानकारी आर्थिक समीक्षा से मिलती है। आर्थिक गतिविधियों का लेखा-जोखा आम लोगों तक भी पहुंचाया जाता है।
- अर्थव्यवस्था के लिहाज़ से भी आर्थिक समीक्षा बेहद कारगर है। जिसमें बीते एक साल की आर्थिक गतिविधि का लेखा-जोखा होता है। भविष्य में देश की अर्थव्यवस्था की राह कैसी होगी इसके बारे में भी विस्तार से समझाया जाता है।
- आम भाषा में यह कह सकते हैं कि यह सरकार की 1 साल का रिपोर्ट कार्ड पेश करता है। इसमें यह बताया जाता है कि सरकार ने एक साल में क्या विकास कार्य किए हैं।
- आर्थिक सर्वे में बताया जाता है कि विकास की प्रवृत्ति क्या रही है और किन योजनाओं को अमल में लाया गया और उनके क्या-क्या संभावित परिणाम सामने आने वाले हैं।
- आर्थिक समीक्षा में अर्थव्यवस्था के लिए एक पूर्वानुमान और नीतिगत चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और उसका जिक्र भी होता है।
- आर्थिक सर्वे के जरिए देश की अर्थव्यवस्था की सेहत की तस्वीर साफ होती है। इससे पता चलता है की अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कितनी कामयाबी मिली है। इसके जरिये सरकार यह बताने की कोशिश करटी हैं कि उसने आम लोगों के लिए जो योजनाएं शुरू की उसका कैसे असर रहा और उसमें कैसे सुधार किया जाए। अर्थव्यवस्था के लिए भविष्य में कितनी बेहतर संभावनाएं हैं आर्थिक सर्वे में यह पहलू भी ऊभर कर सामने आता है।
इस सर्वेक्षण में सरकार की आगामी योजनाओं, नीतियों और आर्थिक सुधारों की दिशा का भी संकेत मिलता है, जिससे यह समझने में आसानी होती है कि आने वाले बजट और नीतियों में किस तरह के कदम उठाए जा सकते हैं।
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