गदर आंदोलन Ghadar Movement

गदर आंदोलन Ghadar Movement

गदर आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक अध्याय है। इसका गठन 1 नवंबर 1913 को संयुक्त राज्य अमेरिका के  सैन फ्रांसिस्को  में लाला हरदयाल द्वारा किया गया था। इसके प्रमुख सहयोगियों में रामचंद्र, बरकतउल्ला और कुछ अन्य क्रांतिकारी शामिल थे। सेन फ्रांसिस्को में गदर दल का मुख्यालय स्थापित किया गया और अमेरिका के विभिन्न शहरों में इसकी शाखाएं खोली गईं। यह एक क्रांतिकारी संस्था थी जिसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन से भारत को मुक्त कराना था।

आज हम गदर आंदोलन Ghadar Movement के बारे में जानने वाले है।

गदर आंदोलन की पृष्ठभूमि-

गदर आंदोलन का नाम 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की याद में रखा गया था। ‘गदर’ शब्द का अर्थ विद्रोह होता है, और यह आंदोलन वास्तव में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक सशस्त्र विद्रोह का प्रतीक था। गदर दल ने एक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन भी शुरू किया जिसका नाम ‘गदर’ था। यह पत्रिका ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों को जागरूक करने और उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित करने का कार्य करती थी।

गदर आंदोलन के सदस्य-

गदरआंदोलन के कार्यकर्ताओं में मुख्यतः पंजाब के किसान और भूतपूर्व सैनिक शामिल थे, जो रोजगार की तलाश में कनाडा और अमेरिका के विभिन्न भागों में बसे हुए थे। अमेरिका और कनाडा के विभिन्न शहरों के अतिरिक्त पश्चिमी तट पर भी इनकी संख्या काफी अधिक थी। गदर दल की स्थापना से पहले भी ब्रिटिश विरोधी क्रांतिकारी गतिविधियाँ प्रारंभ हो चुकी थीं। इनमें रामदास पूरी, जीडी कुमार, तारकनाथ दास और सोहन सिंह भकना भी मुख्य भूमिका में थे।

लाला हरदयाल की भूमिका-

1911 में लाला हरदयाल के अमेरिका पहुंचने के बाद इन क्रांतिकारी गतिविधियों में और तेजी आई। उनके प्रयासों से 1913 में गदर दल की स्थापना की गई। इससे पूर्व, क्रांतिकारी गतिविधियों के संचालन हेतु वैंकूवर, कनाडा में स्वदेशी सेवक गृह और सिएटल में यूनाइटेड इंडिया हाउस की स्थापना की जा चुकी थी। इन दोनों संस्थाओं का उद्देश्य भी क्रांतिकारी गतिविधियों को सहायता देना और भारत को विदेशी दासता से मुक्त करना था।

गदर दल का उद्देश्य-

गदर आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश अधिकारियों की हत्या करना, क्रांतिकारी और साम्राज्यवाद विरोधी साहित्य का प्रकाशन, विदेश में नियुक्त भारतीय सैनिकों के मध्य कार्य करना और उनमें ब्रिटेन विरोधी भावनाएं जगाना, हथियार प्राप्त करना, भारतीय क्रांतिकारियों के मध्य उन्हें वितरित करना और एक-एक करके सभी ब्रिटिश उपनिवेशों में विद्रोह प्रारंभ करना था।

प्रमुख सदस्य-

गदर आंदोलन की गतिविधियों में लाला हरदयाल की भूमिका सबसे प्रमुख थी। इसके अतिरिक्त रामचंद्र, भगवान सिंह, करतार सिंह सराभा, बरकतुल्लाह और भाई परमानंद भी गदर के प्रमुख सदस्यों में से थे। इन सभी ने भारत में स्वतंत्रता की स्थापना को अपना मुख्य लक्ष्य घोषित किया।

गदर आंदोलन के प्रमुख घटनाक्रम-

गदर दल की स्थापना के पश्चात जैसे ही इसकी गतिविधियाँ प्रारंभ हुईं, दो महत्वपूर्ण घटनाओं ने इसमें उत्प्रेरक की भूमिका निभाई। ये घटनाएँ थीं कामागाटामारू प्रकरण और प्रथम विश्व युद्ध का प्रारंभ होना।

कामागाटामारू प्रकरण-

यह घटना 1914 में घटित हुई जब एक जापानी जहाज, कामागाटामारू, जिसमें 376 भारतीय यात्री सवार थे, कनाडा के वैंकूवर बंदरगाह पर पहुंचा। लेकिन कनाडा की सरकार ने इन यात्रियों को उतरने की अनुमति नहीं दी और जहाज को वापस भारत भेज दिया। यह घटना भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव का प्रतीक बन गई और गदर आंदोलन को एक नई दिशा दी।

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https://iasbharti.com/komagata-maru-incident/#more-283

 प्रथम विश्व युद्ध का प्रारंभ-

1914 में प्रथम विश्व युद्ध शुरू होने के बाद, गदर दल के सदस्यों ने इसे एक अवसर के रूप में देखा। उन्होंने भारतीय सैनिकों को ब्रिटिश सेना के खिलाफ विद्रोह करने के लिए प्रेरित किया। इसके लिए उन्होंने हथियार और गोला-बारूद जुटाने का भी प्रयास किया।

गदर आंदोलन की गतिविधियाँ-

गदर आंदोलन Ghadar Movement

गदर आंदोलन ने भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक प्रयास किए। इसके लिए उन्होंने हथियारों की तस्करी की, बम बनाने की तकनीक सीखी और क्रांतिकारी साहित्य का प्रकाशन किया। गदर दल के सदस्य भारत में जाकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन करने लगे। इनमें से कई सदस्यों ने अपनी जान की बाजी लगाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया।

आंदोलन की चुनौतियाँ और असफलताएँ-

हालांकि गदर आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक नई ऊर्जा भरी, लेकिन इसे कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। ब्रिटिश सरकार ने गदर दल के सदस्यों पर कड़ी नजर रखी और कई सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। इसके बावजूद, गदर आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीयों में स्वतंत्रता के प्रति एक नई जागरूकता उत्पन्न की।

आंदोलन का प्रभाव और विरासत-

गदर आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। इस आंदोलन ने भारतीयों में स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता और संघर्ष की भावना को प्रबल किया। गदर दल के सदस्यों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।

लाला हरदयाल, करतार सिंह सराभा, भाई परमानंद और अन्य गदरियों की वीरता और साहस की कहानियाँ आज भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। उनकी कुर्बानियाँ और संघर्ष हमें याद दिलाते हैं कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए कितने त्याग और बलिदान की आवश्यकता होती है।

निष्कर्ष-

गदर आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय है जिसने भारतीयों में स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता और संघर्ष की भावना को प्रबल किया। इस आंदोलन ने दिखाया कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए हमें संगठित होकर, साहस और दृढ़ संकल्प के साथ संघर्ष करना होगा। गदर आंदोलन के वीरों की कुर्बानियाँ हमें हमेशा प्रेरित करती रहेंगी और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हमें सतर्क बनाए रखेंगी।

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