Bhagatsingh
“Bhagatsingh भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीर क्रांतिकारी, जिनकी शहादत ने देश की आजादी की लड़ाई में नई ऊर्जा भरी। जानें भगत सिंह की जीवन कहानी, उनके विचार, और जलियाँवाला बाग हत्याकांड से प्रेरित उनके क्रांतिकारी कदमों का इतिहास।”
- आज हम उस महान क्रांतिकारी के बारे मे जानेंगे जिनको सारा हिंदुस्तान अपना आदर्श मानता है और आने वाली कई सदीयां उनको अपना आदर्श मानते रहेंगी|
शहीद भगतसिंह जी अरेस्ट कैसे हुए थे ? ये जाने से पहले हमे इसके पीछे घटे हुए ऐतिहासिक घटनाक्रम के बारे मे जानना होगा |
आज हम शहीद भगतसिंह Bhagatsingh जी अरेस्ट कैसे हुए थे ? Bhagatsinghके बारे में जानंगे।
सायमन कमिशन
- साल 1919 के एक्ट को पारित करते समय ब्रिटिश सरकारने यह घोषणा की थी की, वह 10 वर्ष पश्चात पुन: इन सुधारो की समीक्षा करेगी किंतु, नवंबर 1927 मे ही उसने आयोग की नियुक्ती की घोषणा करदी जिसका नाम –भारतीय विधिक आयोग था| सर जॉन सायमन इसके अध्यक्ष तथा सभी सातो सदस्य अंग्रेज थे| कालांतर मे इस जॉन सायमन के कारण इसे सायमन आयोग के नाम से ही जाना जाने लगा| इस आयोग को वर्तमान सरकारी व्यवस्था ,शिक्षा के प्रसार तथा प्रतिनिधी संस्थाओके अध्ययन के पश्यात यह रिपोर्ट देने थी की,भारत मे उत्तरदायी सरकार की स्थापना कहा तक लाजमी हे तथा भारत इसके लिये कहा तक तैयार है,
- यद्यपी संविधानिक सुधारो के संबंध में ब्रिटिश सरकार द्वारा अगला कदम १९२९ मे उठाया जाना था, किंतु ब्रिटन की तत्कालीन सत्तारूढ पार्टी कंजर्वेटिव्ह पार्टी विपक्षी लेबर पार्टी से भयभीथ तथा ब्रिटन के सर्वाधिक बहुमूल्य उपनिवेश के भविष्य के प्रश्न को संभवत: सत्तारूढ होने वाली लेबर पार्टी के लिये नही छोडना चाहती थी| कंजर्वेटिव्ह या रुढीवादी दल के तत्कालीन सेक्रेटरी ऑफ स्टेट लॉर्ड बर्कन हेड का मानना था की भारत के लोग संवेदनिक सुधारो हेतू एक सुनिश्चित योजना बनाने मे सक्षम है| फलत इसीलिये उन्होने सायमन कमिशन की नियुक्ती की|
सायमन कमिशन ने जो सुझाव दिया था कि,
- प्रांतीय क्षेत्रों मे कानून तथा व्यवस्था सहित सभी क्षेत्रों मे उत्तरदायी सरकार गठीत की जाये |
- केंद्रीय विधानमंडल या पुनर्गठन किया जाये इसमे संगीय भावना हो तथा इसके सदस्य प्रांतीय विधानमंडलो द्वारा अप्रत्यक्ष तरीके से चुने जाये |
- केंद्र के उत्तरदायी सरकार का गठन न किया जाये क्योंकि इसके लिए अभी उचित समय नही आया है |
भारत में सायमन कमिशन के विरुद्ध त्वरित तथा तीव्र जना क्रोश पैदा हो गया | भारतीय जनाक्रोश का प्रमुख कारण, किसी भी भारतीय को कमिशन का सदस्य न बनाया जाना | तथा भारत के स्वशासन के संबंध में निर्णय विदेशी यो द्वारा किया जाना था, जो की भारत वासी यही समजते थे की भारत का संविधान भारतीयो कोही बनाना चाहिए | अंत कमिशन मे किसी भी भारतीय सदस्य को न लिये जाने से उन्होने यह अनुमान लगाया की अंग्रेज भारतीयो को सुशासन के योग्य नही समजते|
- 3 फरवरी 1928 को सायमन कमिशन मुंबई पोहोचा | इसके मुंबई पोहोचते ही देश के सभी प्रमुख नगरो में हडतालो और जुलूसों का आयोजन किया गया | जहा कही भी कमिशन गया उसका स्वागत काले झंडो तथा “सायमन गो बॅक” के नारो से किया गया केंद्रीय विधानसभा में भी सायमन का स्वागत करणे से इन्कार कर दिया|
- सायमन कमिशन के विरुद्ध जनाक्रोश का सबसे प्रमुख तथ्य यह था की इसमे बडी संख्या मे युवाओ ने भाग लिया| तथा पहली बार राजनीतिक भागीदारी का अनुभव प्राप्त किया| ,
- युवाऔने कमिशन के विरुद्ध किये जा रहे विरोध प्रदर्शनोमे सक्रिय भूमिका निभाई, तथा उसे क्रांतीय स्वरूप प्रदान किया| इसी चरण मे सुभाषचंद्र बोस प्रमुख युवा राष्ट्रवादीओके रूप में उभरे इस युवा राष्ट्रवादीयोने विभिन्न स्थानों के दोरै किये तथा विभिन्न स्थानों पर सभाओ का संबोधन किया|
- युवाओ में विरोध प्रदर्शन की चेतना उभारणे से मौलिक समाजवादी विचारो के अंकुरण एवा विकास को उर्वर भूमी प्राप्त हुई जिसका प्रभाव पंजाब नौजवान सभा ,मजदूर युवक किसान दल तथा हिंदुस्तानी सेवा समिती जैसे संघटना मे परिक्षित हुआ |
पोलीस प्रशासन का दमन बढते गया
- पुलिस ने सायमन कमिशन के विरुद्ध प्रदर्शनकारियों पर दमन का चक्र चालाया था कइ स्थानो पर उसने लाठीया बरसायी यहा तक की उसने वरिष्ठ नेता व को भी नही बक्शा | जवाहरलाल नेहरू तथा जीबी पंत को लखनऊ मे बुरी तरहा पीठा गया|
- इसी बीच हिंदुस्तान में धीरे -धीरे जब हिंदुस्तान सोशालिस्ट रिपब्लिकन असोसिएशन के क्रांतिकारी विध्वंसक तथा क्रांतिकारी गतिविधियों से दूर होते जा रहे थे उसी समय नवंबर 1928 मे शेर- ए- पंजाब लाला लजपत राय जी की लाठी चार्ज से मृत्यू से वे पुन:. भडक उठे |
- 1928 मे लाहोर में सायमन कमिशन के भारत दौरे का विरोध करणे हेतू एक प्रदर्शन आयोजित किया गया| प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व लाला लाजपत राय कर रहे थे| लाहोर में सहायक पोलीस कप्तान सॉण्डर्स ने सायमन कमिशन के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे लोगो पर लाठी चार्ज का आदेश दे दिया| इसके परिणाम स्वरूप लाला लाजपत रायजी को बूरी तरह से चोट लगी तथा 15 नंबर 1928 को देश के लिये शहीद हो गये|
- हिंदुस्तान सोशालिस्ट रिपब्लिकन असोसिएशन के तीन प्रमुख सदस्य भगतसिंग Bhagatsingh ,चंद्रशेखर आजाद तथा राजगुरू ने लाला लाजपत रायजी की मौत के लिये सॉन्डर्स को दोषी मानते हुए 17 डिसेंबर 1928 को सॉण्डर्स की हत्या कर दी|
केंद्रीय विधानसभा में बंम विस्फोट (अप्रेल 1929)
- हिंदुस्तान सोशालिस्ट रिपब्लिकन असोसिएशन के नेतृत्व मे जनता को यह समझाने का निर्णय आ गया की उसका उद्देश अब परिवर्तित हो गया है तथा वह जनक्रांती मी विश्वास रखता है इसी समय ब्रिटिश सरकार भारतीयों पर विशेषकर मजदूरोकें मौलिक अधिकारो पर प्रतिबंध लगाने के उद्देश असे ट्रेड डिस्पूट बिल तथा पब्लिक सेफ्टी बिल पास करने की योजना बना रही थी| इसके विरोध प्रदर्शन करते हुए भगतसिंह Bhagatsingh तथा बटुकेश्वर दत्त को केंद्रीय विधानसभा मे बम फेकने का उत्तरदायित्व सोपा गया ,बंम फेकने का उद्देश किसी की हत्या करना नही था, बल्कि सरकार को विरोध से अवगत करना था| बहरे को सुनाना था|
- इसलिये जानबूजकर मामुली बम बनाया गया, तथा 8 एप्रिल 1929 को भगतसिंह तथा बटुकेश्वर दत्तने केंद्रीय विधानसभा के कक्ष मे खाली बेंचो मे इस बम को फेका बम फेकने का मुख्य उद्देश अपनि गिरफ्तारी देकर अदालत को अपनी विचारधारा के प्रचार का माध्यम बनाना था | जिससे जनता उनके विचारों तथा राजनीतिक दर्शन से परिचित हो सके| बम फेकने के उपरांत भगतसिंह Bhagatsingh तथा बटुकेश्वर दत्त आसानी से भाग सकते थे किंतुवे इन्कलाब जिंदाबाद के नारे लगाते रहे
- भगतसिंह Bhagatsingh तथा बटुकेश्वर दत्तने जाणबुझ कर स्वयंको गिरफ्तार कराया था क्युकी वे जनता को यह संदेश देना चाहते थे की, क्रांतिकारी गतिविधियों की सजा क्रांतिकारी स्वयं भुगतानेको तैयार है | क्योंकि उस समय जनता मे यह धारणा बनती जा रही थी की आतंकवादी गतिविधियों के पश्चात क्रांतिकारी बचकर निकले जाते हे तथा सरकार की दमन की सजा जनता को भूगतनी पडती है| सरकार ने चंद्रशेखर आजाद के अतिरिक्त सभी प्रमुख क्रांतिकारियो को पकड लिया भगतसिंह Bhagatsingh, सुखदेव, राजगुरू पर लाहोर षडयंत्र केस के तहत मुकदमा चलाया गया | अन्य क्रांतीकारियो को कडी सजाये हो गई| जेल मे इन क्रांतीकारियों ने जेल की अमानवीय परिस्थितीयों के विरोध मे भूकहड ताल कर दी तथा मांग की की राजनीतिक बंधियों के साथ हिरासत के दौरान सन्मानीय तथा न्यायोचीत व्यवहार किया जाये| जतिन दास पहले शहीद बने| जेल मे 64 दिनो की भूक हडताल के कारण उनकी मृत्यू हो गई| भगतसिंग Bhagatsingh, राजगुरू और सुखदेव को फासी की सजा सुनाई गई तथा 23 मार्च 1931 वाले काले दिन उन्हे फासी पर चढाया दिया गया| इस खबर से पुरा देश स्तब्ध रह गया हर जुबान पर भगतसिंह का नाम आने लगा पुरे राष्ट्रमें इन महान देशभक्तो की कुर्बानी को प्रणाम किया और इसी तरह से हस्ते हस्ते सुली पर तीनो शहीद भगतसिंग Bhagatsingh राजगुरू हर सुखदेव देश के लिए शहीद हो गये|
इन्कलाब जिन्दाबाद
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चलिए कुछ प्रश्न देखते है।
Bhagatsingh-
Q.1 भगत सिंह जन्म और मृत्यु तिथि? Bhagat Singh date of birth and death?
ANS.भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को हुआ था और उनका निधन (फांसी) 23 मार्च 1931 को हुआ था।
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