Election of the Vice President
उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पद है, जो राष्ट्रपति के बाद आता है। यह पद अमेरिका के उपराष्ट्रपति के मॉडल पर आधारित है।
भारत में Election of the Vice President की प्रक्रिया को जानें! इस लेख में हम उपराष्ट्रपति के चुनाव के महत्व, प्रक्रिया, और इसके राजनीतिक प्रभावों पर चर्चा करेंगे। जानें कैसे यह पद देश की राजनीतिक स्थिरता में योगदान करता है।
राष्ट्रपति की तरह उपराष्ट्रपति को सीधे जनता द्वारा नहीं चुना जाता। उनका चुनाव अप्रत्यक्ष विधि से होता है। उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में दो मुख्य अंतर हैं:
- उपराष्ट्रपति के चुनाव में संसद के निर्वाचित और मनोनीत दोनों सदस्य भाग लेते हैं, जबकि राष्ट्रपति के चुनाव में केवल निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
- उपराष्ट्रपति के चुनाव में राज्य विधानसभाओं के सदस्य शामिल नहीं होते हैं, जबकि राष्ट्रपति के चुनाव में राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भी भाग लेते हैं।
राष्ट्रपति का पद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें केंद्र और राज्य दोनों के प्रशासन की शक्तियाँ होती हैं। इसलिए, राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के साथ राज्य विधानसभाओं के सदस्य भी शामिल होते हैं। जबकि, उपराष्ट्रपति का मुख्य कार्य राज्यसभा की अध्यक्षता करना है, इसलिए इसमें राज्य विधायकों की भागीदारी आवश्यक नहीं मानी गई।
दोनों के चुनाव की प्रक्रिया समान है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और एकल संक्रमणीय मत द्वारा गुप्त मतदान से होता है।
उपराष्ट्रपति पद के लिए आवश्यक योग्यताएँ-
उपराष्ट्रपति बनने के लिए निम्नलिखित योग्यताएँ होनी चाहिए:
- उम्मीदवार भारत का नागरिक हो।
- उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष हो।
- वह राज्यसभा सदस्य बनने के योग्य हो।
- वह किसी लाभ के पद पर न हो (केंद्र, राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण के अंतर्गत)
हालांकि, वर्तमान राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल या मंत्री इस नियम से बाहर होते हैं। उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए 20 प्रस्तावक और 20 अनुमोदक होने चाहिए और भारतीय रिजर्व बैंक में कुछ राशि जमानत के रूप में जमा करनी होती है।
उपराष्ट्रपति की शपथ
उपराष्ट्रपति बनने से पहले शपथ या प्रतिज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर करते हैं। यह शपथ राष्ट्रपति या उनके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति द्वारा दिलवाई जाती है।
उपराष्ट्रपति पद की शर्तें
संविधान में उपराष्ट्रपति के लिए दो मुख्य शर्तें हैं:
- वह संसद या राज्य विधानमंडल का सदस्य न हो। यदि निर्वाचित होता है, तो पद ग्रहण करते ही उस सदन की सीट खाली मानी जाएगी।
- वह किसी लाभ के पद पर न हो।
उपराष्ट्रपति का कार्यकाल
उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है, लेकिन वे अपना त्यागपत्र किसी भी समय राष्ट्रपति को दे सकते हैं। उन्हें कार्यकाल पूरा होने से पहले भी हटाया जा सकता है। राज्यसभा द्वारा पूर्ण बहुमत से संकल्प पारित कर उन्हें हटाया जा सकता है, जिसमें लोकसभा की सहमति आवश्यक होती है। इसके लिए 14 दिन का अग्रिम नोटिस देना आवश्यक है।
उपराष्ट्रपति कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी तब तक पद पर बने रह सकते हैं जब तक उनका उत्तराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर लेता। वे पुनः निर्वाचित भी हो सकते हैं और कितनी भी बार इस पद पर रह सकते हैं।
उपराष्ट्रपति पद की रिक्तता
उपराष्ट्रपति का पद निम्नलिखित कारणों से रिक्त हो सकता है:
- 5 वर्षीय कार्यकाल समाप्त होने पर।
- त्यागपत्र देने पर।
- बर्खास्तगी पर।
- अयोग्यता या निर्वाचन अवैध घोषित होने पर।
यदि कार्यकाल समाप्त होने पर पद रिक्त होता है, तो नए चुनाव कराने चाहिए। अन्य कारणों से पद रिक्त होने पर जल्द से जल्द चुनाव कराना आवश्यक है।
उपराष्ट्रपति के चुनाव से जुड़े विवाद और संदेहों का निपटारा उच्चतम न्यायालय करता है। उच्चतम न्यायालय का निर्णय अंतिम होता है। निर्वाचन मंडल के अपूर्ण होने के आधार पर चुनाव को चुनौती नहीं दी जा सकती। यदि उच्चतम न्यायालय किसी उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को अवैध घोषित करता है, तो उस घोषणा से पहले किए गए कार्य अवैध नहीं माने जाएंगे।
उपराष्ट्रपति की शक्तियाँ और कार्य
- उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में कार्य करते हैं। उनकी शक्तियाँ और कार्य लोकसभा अध्यक्ष के समान होते हैं।
- राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर, उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं। वे अधिकतम 6 महीने तक कार्यवाहक राष्ट्रपति रह सकते हैं, इस अवधि में नए राष्ट्रपति का चुनाव कराना आवश्यक है।
राष्ट्रपति की अनुपस्थिति, बीमारी या अन्य कारणों से उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं। इस दौरान उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य नहीं करते, उनके कार्यों का निर्वहन उपसभापति करते हैं।
भारत और अमेरिका के उपराष्ट्रपति में तुलना
भारत और अमेरिका के उपराष्ट्रपति के पदों में अंतर हैं। अमेरिका में उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के पद रिक्त होने पर, राष्ट्रपति का शेष कार्यकाल पूरा करते हैं। भारत में उपराष्ट्रपति केवल कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं जब तक नया राष्ट्रपति पद ग्रहण नहीं कर लेता।
इस प्रकार, उपराष्ट्रपति का पद राष्ट्रपति के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पद है, लेकिन इसके कार्य और चुनाव प्रक्रिया विशेष रूप से निर्दिष्ट हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण और अलग भूमिका प्रदान करते हैं।
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