भारत के निर्वाचन आयोग का इतिहास History of Election Commission of India
History of Election Commission of India– जानिए कैसे भारत के लोकतंत्र को सशक्त बनाने में चुनाव आयोग की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। इसकी स्थापना, कार्यप्रणाली और ऐतिहासिक योगदान की पूरी जानकारी।
- भारत के निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। यह स्थाई स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है। संविधान ने संसद और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के विधान मंडलों तथा राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की समस्त प्रक्रिया का अधीक्षन , निर्देशन और नियंत्रण का अधिकार आयोग में निहित किया है.
- निर्वाचन आयोग आम चुनाव और उपचुनाव दोनों के चुनाव कार्यक्रम का निर्धारण करता है। यह मतदाता सुचिया तैयार करता है और उनका रखरखाव करता है तथा समय-समय पर उन्हें अध्यतन करता है। उम्मीदवारों के नामांकन का पर्यवेक्षण ,राजनीतिक दलों का पंजीकरण ,उम्मीदवारों के धन एवं खर्च सहित चुनाव प्रचार की निगरानी करता है।
- यह चुनाव प्रक्रिया की मीडिया द्वारा कवरेज में सहायता करता है ,मतदाताओं को शिक्षित और जागरूक करने के उपाय करता है ,मतदान केन्द्रो और बूथों की व्यवस्था करता है और मतगणना तथा नतीजे की घोषणा की निगरानी करता है।
- यह एवं इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के जरिए मतदान करता है और हाल ही में प्रायोगिक आधार पर वीवीपीएटी की शुरुआत की गई है। निर्वाचन आयोग ने मतदान के समय मतदाता फोटो पहचान पत्रों , फोटो पर्चियां के वितरण के माध्यम से अनिवार्य पहचान का भी प्रावधान किया है.
- चुनाव संविधान के प्रावधानों के अनुरूप ,संसद द्वारा बनाए कानूनों की सहायता से कराए जाते हैं। प्रमुख कानून राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम 1952, जनप्रतिनिधित्व कानून 1950 और जनप्रतिनिधित्व कानून अधिनियम 1951 है.
- सभी राजनीतिक दलों को निर्वाचन आयोग में पंजीकरण कराने की आवश्यकता होती है। चुनाव चिन्ह आदेश 1968 में निर्धारित मानदंड के आधार पर आयोग राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय एवं राज्य दलों के रूप में मान्यता प्रदान करता है। यह मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के बंटवारे/ विलई से संबंध विवादों का भी फैसला करता है.
- आयोग के अंतर्गत एक छोटा सचिवालय है। विभाग का कार्य खंडो , शाखोऔ और अनुभागों में आयोजित होता है। आयोग में कार्यात्मक एवं क्षत्रिय खंड है जिनमें प्रमुख उप निर्वाचन आयुक्त एवं महानिदेशक होते हैं। इसके प्रमुख कार्यात्मक खंड है – नियोजन ,न्यायिक, मतदाता सुचिया, राजनीतिक दल, चुनाव खर्च, संचार, व्यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं मतदाता भागीदारी ,अंतरराष्ट्रीय सहयोग, प्रशिक्षण ,सांख्यिकी एवं प्रलेखन, स्वचालन और प्रौद्योगिकी , प्रशासन ,वित्त एवं समन्वय।
- क्षेत्रीय कार्य पांच क्षेत्रों के लिए उत्तरदाई अलग-अलग इकाइयों में विभाजित है ,जिनमें देश के 29 राज्य और सात केंद्र शासित प्रदेशों को प्रबंधन की सुविधा के लिए शामिल किया गया है.
- राज्य स्तर पर चुनाव कार्य का पर्यवेक्षण, आयोग का समग्र नियंत्रण राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के हाथ होता है ,जिसकी नियुक्ति आयोग द्वारा राज्य सरकार के वरिष्ठ लोक सेवकों के बीच में से चयन के आधार पर की जाती है। भारत में जिला और उपमंडलीय स्तरों पर क्षेत्रीय प्रशासन जिला मजिस्ट्रेट , सब डिविजनल मजिस्ट्रेट ,राजस्व मंडलीय अधिकारी ,तहसीलदार आदि द्वारा संचालित किया जाता है।
- निर्वाचन आयोग राज्य सरकार के इन अधिकारियों को जिला निर्वाचन अधिकारी, निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी ,निर्वाचन अधिकारी, सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी, सहायक निर्वाचन अधिकारी आदि की नियुक्ति कर चुनाव कार्य में इनका उपयोग करता है। चुनाव के समय में निर्वाचन आयोग को कमोबेश पूर्णकालीन आधार पर उपलब्ध होते हैं.
2014 के लोकसभा चुनाव में आयोग ने 83 करोड़ 40 लाख मतदाताओं का प्रबंधन किया। जो कई महाद्वीपों की कुल आबादी से अधिक है.
- निर्वाचन आयोग ने शिक्षण , अनुसंधान, प्रशिक्षण और निर्वाचन लोकतंत्र एवं चुनाव प्रबंधन का अत्याधुनिक संसाधन केंद्र भारतीय अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन प्रबंधन संस्थान शुरू किया है। 150 प्रशिक्षुओ की क्षमता वाला यह संस्थान वर्तमान में निर्वाचन सदन से काम करता है। संस्थान निर्वाचन आयोग के क्षेत्र अधिकारियों और विदेशी भागीदारों के लिए पाठ्यक्रम आयोजित करता है।
- आयोग अन्य देशों के निर्वाचन प्रबंधन निकायों के साथ विशेषज्ञता एवं अनुभव की भागीदारी बढ़ा रहा है और द्वीपक्षीय अनुरोध एवं बहू पक्षिय प्रबंध के आधार पर निर्वाचन सहायता एवं प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहा है। भारत के निर्वाचन आयोग ने यूएनडीपी ,अंतरराष्ट्रीय आइडिईए और आईएफईएस के साथ सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर करने के अलावा 16 देशो के साथ सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं.