भारत भूमि और उसके निवासी India land and its inhabitants
India land and its inhabitants और इसके निवासियों की समृद्ध विविधता – जानें भारत के विभिन्न क्षेत्रों, संस्कृतियों, परंपराओं और लोगों की अनोखी विशेषताओं के बारे में। भारत की धरती और इसकी जनसंख्या की पूरी जानकारी.
- भारत बेजोड़ संस्कृति वाला देश है और यह विश्व की प्राचीनतम और महानतम सभ्यताओं में से एक है। यह उत्तर में बर्फ से ढके हिमालय से लेकर दक्षिण में धूप से सरोबार और तटवर्ती गांवों और दक्षिण -पश्चिम तट पर आद्र उष्ण कटिबंधीय जंगलों, पूर्व में ब्रह्मपुत्र घाटी के उपजाऊ क्षेत्र से लेकर पश्चिम में थार रेगिस्तान तक फैला है। भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर है।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पिछले 66 वर्षों के दौरान भारत ने चहुमुखी सामाजिक आर्थिक प्रगति की है। आकर की दृष्टि से भारत विश्व में सातवें और जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे स्थान पर है। पर्वतमाला और समुद्र इसे शेष एशिया से पृथक करते हैं और एक विशिष्ट भौगोलिक पहचान प्रदान करते हैं। यह उत्तर में विशाल हिमालय से गिरा है और दक्षिण की और विस्तार के साथ कर्क रेखा पर शंकु आकार धारण किया पूर्व में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरब सागर के बीच हिंद महासागर में फैला है.
- पूरी तरह उत्तरी गोलार्ध में स्थित इसकी मुख्य भूमि की अवस्थिति 8*4 और 37*6 अक्षांश उत्तर तथा 68*7 और 97*25 देशांतर पूर्व में है। उत्तर से दक्षिण तक इसका अक्षांशीय विस्तार करीब 3214 किलोमीटर और पूर्व से पश्चिम की तरफ देशांतरीय विस्तार करीब 2933 किलोमीटर है। इसकी स्थलीय सीमा करीब 15200 किलोमीटर है। मुख्य भूमि ,लक्षद्वीप समूह और अंडमान निकोबार द्वीप समूह सहित तट रेखा की कुल लंबाई 7516.6 किलोमीटर है.
प्राकृतिक पृष्ठभूमि
- भारत की सीमा उत्तर- पश्चिम में अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान, उत्तर में चीन ,भूटान तथा नेपाल ,सुदूर पूर्व में म्यांमार और पूर्व में बांग्लादेश से लगती है। पाक जल डमरू मध्य और मन्नार की खाड़ी से निर्मित एक तंग समुद्री चैनल श्रीलंका को भारत से पृथक करता है। देश को मुख्य रूप से 6 अंचलों उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी, मध्यवर्ती और पूर्वोत्तर आंचल में वर्गीकृत किया जा सकता है।
प्राकृतिक संरचना
- मुख्य भूमि चार भागों विशाल हिमालय क्षेत्र, गंगा और सिंधु के मैदानी भाग, रेगिस्तानी क्षेत्र और दक्षिणी प्रायद्वीप में बाटी हैं।
हिमालय पर्वतमाला में तीन लगभग समांतर श्रुंखलाये हैं, जो बड़े पठारों और घाटियों से विभाजित है, जिनमें से कश्मीर और कल्लू जैसी कुछ विस्तृत और अत्यंत उपजाऊ घाटिया प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। इन पर्वतमालाओं में विश्व की कुछ सबसे ऊंची चोटीया स्थित है। - समुद्र तल से बहुत अधिक ऊंची होने के कारण इसके कुछ दर्रो से होकर ही यात्रा की जा सकती है ,जिनमें दार्जिलिंग के उत्तर- पूर्व में चुंबी घाटी होते हुए मुख्य भारत -तिब्बत व्यापार मार्ग पर स्थित जिलेप-ला ,नाथु-ला और कल्पा (किन्नौर) के उत्तर- पूर्व में सतलज घाटी के शिपकि-ला प्रमुख है। पर्वतमाला करीब 2400 किलोमीटर में फैली है, जो अलग-अलग स्थान पर 240 से 320 किलोमीटर तक चौड़ी है।
- पूर्व में भारत और म्यांमार तथा भारत और बांग्लादेश के बीच अपेक्षाकृत कम ऊंचाई की पर्वत श्रुंखलाये हैं। लगभग समूचे पूर्व- पश्चिम में गारो, खासी, जयंतिया और नगा पर्वतमालाये इस श्रृंखला को उत्तर- दक्षिण में मिजो और रखाई पर्वतमाला के साथ जोड़ती है.
- गंगा और सिंधु के मैदानी भाग करीब 2400 किलोमीटर लंबे और 240 से 320 किलोमीटर चौड़े है ,जो तीन विशेष नदी प्रणालियों -सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र के थालो से मिलकर बने हैं। यह मैदान नदियों की बाढ़ के साथ बहकर आई कछारी मिट्टी से बने दुनिया के सबसे बड़े मैदाने में से है जो धरती पर सर्वाधिक घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है। दिल्ली में यमुना और बंगाल की खाड़ी के बीच करीब 1600 किलोमीटर क्षेत्र की ऊंचाई में केवल 200 मी का ढाल है.
रेगिस्तानी क्षेत्र को दो भागों में बांटा जा सकता है-
- वृहत रेगिस्तान और लघु रेगिस्तान। वृहत रेगिस्तान कच्छ के रन से उत्तर की ओर लूनी नदी तक फैला है। समूचा राजस्थान-सिंध सीमावर्ती क्षेत्र इसमें समाहित है। लघु रेगिस्तान का विस्तार जैसलमेर और जोधपुर के बीच लूणी से उत्तर -पश्चिम तक है। वृहत और लघु रेगिस्तानों के बीच बंजर भूमि क्षेत्र है जिसमें चूना पत्थर की पहाड़ियों से सटी चट्टानी भूमि शामिल है.
- प्रायद्वीप पठार गंगा और सिंधु के मैदाने से सटा है। जिसमें 460 से 1220 मीटर तक अलग-अलग ऊंचाई वाले पहाड़ और पर्वतमाला शामिल है। इनमें अरावली ,विंध्य , सतपुड़ा, मैकल और अजंता पर्वतमाला प्रमुख है। प्रायद्वीप के एक तरफ पूर्वी घाट स्थित है जिनकी ऊंचाई करीब 610 मीटर है और दूसरी तरफ पश्चिमी घाट है जिनकी ऊंचाई सामान्यतः 915 से 1220 मीटर तक है ,जो कुछ स्थानों पर 2440 मीटर तक जाती है।
- पश्चिमी घाटों और अरब सागर के बीच एक संकीर्ण तटवर्ती पट्टी है। जबकि पूर्वी घाटों और बंगाल की खाड़ी के बीच एक वृहत्तर तटवर्ती क्षेत्र है। पठार का दक्षिणी बिंदु नीलगिरी पर्वत माला से निर्मित है, जहां पूर्वी और पश्चिमी घाट मिलते हैं। उसके परे कार्डमम हिल्स है जिसे पश्चिमी घाट का विस्तार माना जा सकता है.
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भौगोलिक संरचना
- भौगोलिक क्षेत्र मुख्य रूप से भौतिक विशेषताओं का अनुसरण करता है और इसे तीन क्षेत्र में वर्गीकृत किया जा सकता है। यह है हिमालय और उसे जुड़ी पर्वतमालाओं का समूह सिंधु- गंगा का मैदान और प्रायद्वीप ढाल।
- उत्तर में हिमालय और पूर्व में नगा -लुशाई पर्वत निर्माण करने वाली हलचलों से निर्मित क्षेत्र है। इस क्षेत्र का अधिकतर भाग जो आज विश्व के कुछ सर्वाधिक मनोरम पर्वतीय दृश्य प्रस्तुत करता है ,वह करीब 60 करोड़ वर्ष पूर्व समुद्र था। करीब 7 करोड़ वर्ष पहले शुरू हुई हलचलों से हुई पर्वत निर्माण की श्रृंखलाओं में तलछट चट्टानों ने अधिक ऊंचाई ग्रहण की।
- मौसमी परिवर्तनों और भू-क्षरण से चट्टानों के टूटने के कारण मैदाने का निर्माण हुआ।,जो आज हमें दिखाई देता है। सिंधु -गंगा के मैदान विस्तृत कछारी क्षेत्र है, जो उत्तर में हिमालय को दक्षिण के प्रायद्वीप से पृथक करते हैं.
- प्रायद्वीप अपेक्षाकृत स्थिर क्षेत्र है और इसमें कभी कभार भूकंप से हलचल पैदा होती है। इस क्षेत्र में 380 करोड़ वर्ष पूर्व धरती के निर्माण के समय के अत्यंत प्राचीन कायंतरित शैल पाए जाते हैं, शेष चट्टानों में गोंडवाना संरचना, दक्षिणी पठार संरचना और कम प्राचीन तलछट भूमि शामिल है.