Impact of Russian Revolution on Indias freedom struggle
Impact of Russian Revolution on Indias freedom struggle को गहरी प्रेरणा दी, जिसने क्रांतिकारियों में जोश भरा और समाजवादी विचारधारा को मजबूत किया। जानिए कैसे रूसी क्रांति ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी।
परिचय
- 1917 की रूसी क्रांति ने वैश्विक राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया। इस क्रांति के परिणामस्वरूप रूसी साम्राज्य का पतन हुआ और बोल्शेविकों के नेतृत्व में सोवियत संघ की स्थापना हुई। इस क्रांति ने न केवल रूस के भीतर सत्ता के स्वरूप को बदला बल्कि दुनिया भर में उपनिवेशवादी शासन के खिलाफ संघर्ष कर रहे देशों के स्वतंत्रता आंदोलनों पर भी गहरा प्रभाव डाला। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में रूसी क्रांति का प्रभाव गहन और व्यापक था, जिसने भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरणा दी और उनके विचारधारा में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए।
रूसी क्रांति का संक्षिप्त विवरण
- रूसी क्रांति की शुरुआत 1917 में हुई जब रूस के नागरिकों ने ज़ार निकोलस II की साम्राज्यवादी सत्ता के खिलाफ विद्रोह किया। यह क्रांति दो प्रमुख चरणों में हुई: फरवरी क्रांति और अक्टूबर क्रांति। फरवरी क्रांति ने ज़ार की सत्ता को समाप्त कर दिया और एक अंतरिम सरकार की स्थापना की, जबकि अक्टूबर क्रांति में बोल्शेविकों ने व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में सत्ता पर कब्जा किया। इस क्रांति के पीछे गरीबी, असमानता, और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रूस की आर्थिक और सामाजिक समस्याएं मुख्य कारण थीं।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर प्रभाव
1. क्रांतिकारी विचारधारा का उदय
- रूसी क्रांति ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी विचारधारा के उभार को बढ़ावा दिया। भारतीय नेताओं जैसे भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, और अन्य क्रांतिकारी समूहों ने रूसी क्रांति से प्रेरणा लेकर साम्राज्यवादी शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष का रास्ता अपनाया। भगत सिंह ने विशेष रूप से मार्क्सवाद और लेनिनवाद से प्रेरणा ली और इसे भारतीय संघर्ष में लागू करने की कोशिश की।
2. गांधी और रूसी क्रांति
- महात्मा गांधी ने रूसी क्रांति से कुछ अलग दृष्टिकोण अपनाया। उन्होंने क्रांति की हिंसात्मक प्रवृत्ति का विरोध किया, लेकिन इसके सामाजिक न्याय और समानता के संदेश का स्वागत किया। गांधी ने अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग पर चलकर ब्रिटिश शासन का विरोध किया, लेकिन रूसी क्रांति की सफलता ने उन्हें यह विश्वास दिलाया कि एक मजबूत और संगठित आंदोलन ही सत्ता परिवर्तन कर सकता है।
3. नेहरू और समाजवाद
- जवाहरलाल नेहरू, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता थे, रूसी क्रांति से गहराई से प्रभावित हुए। नेहरू ने 1927 में रूस का दौरा किया और सोवियत समाजवाद की विचारधारा से प्रभावित होकर भारत में समाजवादी सिद्धांतों को लागू करने का समर्थन किया। उन्होंने भारतीय समाज में वर्ग संघर्ष और गरीबी उन्मूलन के लिए समाजवादी नीतियों को जरूरी माना, जो स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतीय राज्य के निर्माण में महत्वपूर्ण साबित हुईं।
4. अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
- रूसी क्रांति ने वैश्विक स्तर पर उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलनों को समर्थन दिया। सोवियत संघ ने न केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन किया बल्कि अन्य देशों में भी साम्राज्यवादी शासन के खिलाफ संघर्ष कर रहे आंदोलनों को समर्थन दिया। इसका प्रभाव भारतीय नेताओं पर पड़ा, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता को समझा और स्वतंत्रता संग्राम को वैश्विक स्तर पर ले जाने की कोशिश की।
5. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का गठन
- 1920 के दशक में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया गया, जो मुख्य रूप से रूसी क्रांति से प्रेरित थी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ किसानों और मजदूरों के संघर्ष को मजबूत किया और समाजवादी विचारधारा के तहत एक सशक्त राजनीतिक आंदोलन खड़ा किया। इसने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को एक नया आयाम दिया और श्रमिक वर्ग के हितों को स्वतंत्रता संघर्ष का हिस्सा बनाया।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में रूसी क्रांति के मुख्य प्रभाव
प्रभाव |
विवरण |
क्रांतिकारी विचारधारा |
रूसी क्रांति ने भारतीय क्रांतिकारियों को प्रेरणा दी, जिससे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सशस्त्र संघर्ष की धारणा मजबूत हुई। |
समाजवाद का उदय |
जवाहरलाल नेहरू और अन्य नेताओं ने सोवियत समाजवाद से प्रेरित होकर भारतीय समाज में समाजवादी नीतियों को बढ़ावा दिया। |
सामाजिक समानता और न्याय |
रूसी क्रांति ने भारतीय नेताओं को सामाजिक समानता और न्याय के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया। |
अंतर्राष्ट्रीय समर्थन |
सोवियत संघ ने उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलनों का समर्थन किया, जिससे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन मिला। |
कम्युनिस्ट आंदोलन का उदय |
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का गठन हुआ, जिसने किसानों और मजदूरों के हितों को स्वतंत्रता संघर्ष के साथ जोड़ा। |
क्रांतिकारी संगठनों पर प्रभाव
1. हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA)
- HSRA, जिसे भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, और अन्य प्रमुख क्रांतिकारियों ने स्थापित किया था, रूसी क्रांति से गहराई से प्रभावित था। इस संगठन ने मार्क्सवादी और समाजवादी विचारधारा को अपनाया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया।
2. किर्ती किसान पार्टी
- भगत सिंह और उनके साथियों ने ‘किर्ती किसान पार्टी’ के रूप में किसानों और मजदूरों के संघर्ष को संगठित करने का प्रयास किया। इस पार्टी ने रूसी क्रांति के आदर्शों से प्रेरणा लेकर समाज में समानता और न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाया।
3. गदर पार्टी
- गदर पार्टी, जो प्रवासी भारतीयों द्वारा स्थापित की गई थी, रूसी क्रांति से प्रेरित होकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष में जुट गई। पार्टी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को मजबूत किया और भारतीय क्रांतिकारियों को प्रेरित किया।
रूसी क्रांति के भारतीय नेताओं पर प्रभाव
नेता |
प्रेरणा का स्रोत |
प्रभाव |
महात्मा गांधी |
सामाजिक न्याय |
अहिंसात्मक सत्याग्रह के माध्यम से सत्ता परिवर्तन का विश्वास |
जवाहरलाल नेहरू |
समाजवाद |
भारत में समाजवादी नीतियों का समर्थन |
भगत सिंह |
मार्क्सवाद |
सशस्त्र संघर्ष और समाजवादी क्रांति की दिशा |
रूसी क्रांति का भारतीय संगठनों पर प्रभाव
संगठन |
रूसी क्रांति से प्रभाव |
संघर्ष की रणनीति |
HSRA |
मार्क्सवाद और लेनिनवाद |
सशस्त्र संघर्ष और क्रांतिकारी गतिविधियाँ |
किर्ती किसान पार्टी |
समाजवाद |
किसानों और मजदूरों के हितों की रक्षा |
गदर पार्टी |
साम्राज्यवाद विरोधी |
ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रवासी भारतीयों का संगठन |
सांस्कृतिक और साहित्यिक प्रभाव
1. साहित्य में क्रांति का प्रभाव
- रूसी क्रांति का प्रभाव भारतीय साहित्य पर भी पड़ा। प्रेमचंद, यशपाल, और अन्य साहित्यकारों ने अपने लेखन में रूसी क्रांति के आदर्शों और समाजवादी विचारधारा को प्रस्तुत किया। भारतीय साहित्य में समानता, न्याय, और समाजवाद जैसे मुद्दे प्रमुख बन गए।
2. विचारधारा का प्रसार
- रूसी क्रांति के प्रभाव से भारतीय समाज में समाजवाद, मार्क्सवाद, और लेनिनवाद की विचारधारा का प्रसार हुआ। इन विचारधाराओं ने भारतीय समाज में आर्थिक और सामाजिक न्याय के मुद्दों को केंद्र में रखा।
निष्कर्ष
- रूसी क्रांति का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर व्यापक प्रभाव पड़ा। इसने भारतीय नेताओं और क्रांतिकारियों को प्रेरणा दी, जिससे स्वतंत्रता संघर्ष को एक नया मोड़ मिला। समाजवाद, समानता, और न्याय की विचारधाराएँ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अभिन्न हिस्सा बन गईं। रूसी क्रांति से प्रेरित होकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने एक नया दिशा प्राप्त किया, जिसने अंततः भारत को स्वतंत्रता की ओर अग्रसर किया।