मेगास्थनीज हमारे अतित का यात्री Megasthenes A traveller from our past

मेगास्थनीज हमारे अतित का यात्री Megasthenes A traveller from our past

Megasthenes A traveller from our past जानें, मेगास्थनीज की ऐतिहासिक यात्रा के बारे में, जिन्होंने प्राचीन भारत की संस्कृति, समाज, और शासन का अद्वितीय वर्णन किया। उनकी यात्रा ने भारत के प्राचीन इतिहास को समझने के कई महत्वपूर्ण सूत्र दिए हैं।

मेगास्थनीज हमारे अतित का यात्री Megasthenes A traveller from our past

  • मेगास्थनीज, एक प्राचीन यूनानी राजनयिक और इतिहासकार, जो भारत के मौर्य साम्राज्य के समय चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आए थे। उनकी यात्रा और उनके लेख, विशेषकर उनकी किताब “इंडिका,” हमें उस युग के भारतीय समाज, संस्कृति, शासन प्रणाली, और धर्म का अद्भुत चित्रण प्रदान करते हैं।
  • सेल्यूकस निकेटर ने मेगास्थनीज नामक राजदूत चंद्रगुप्त के दरबार में भेजा था। काबूल तथा पंजाब की यात्रा करते हुए मेगास्थनीज मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र पहुंचा था।
  • संयोग वर्ष वह देश के उस क्षेत्र को जानता था। जिसके लिए उसने यात्रा की थी। उसी के द्वारा उसने भारत के शेष भागों की जानकारी प्राप्त की। यंहा की भाषा और रीति रिवाज को न जानने के कारण उसके द्वारा प्रस्तुत किए गए उल्लेख में अनेक हमें कई कमियां नजर आई ,फिर भी उसके उल्लेख एक ऐतिहासिक साक्ष्य है जो उसके समय में घटित घटनाओं का वर्णन करती है।
  • मेगास्थनीज द्वारा लिखित इंडिका का मूल रूप नष्ट हो चुका है। लेकिन उसके कुछ अवशेष अभी ट्रॉब्रो, एरियन ,डायोडोरस , तथा अन्य लोगों के लेखों में वर्णित है। जो चंद्रगुप्त की नागरिक तथा सैन्य व्यवस्था, इस देश के जलवायु, जानवरों, पौधों तथा लोगों के आचार विचार का वर्णन करते हैं.

मेगास्थनीज कौन थे?

  • यूनानी इतिहासकार और राजदूत
  • उनके जीवन का संक्षिप्त परिचय
  • मेगास्थनीज का समय और उनके यात्रा के उद्देश्य

मेगास्थनीज का भारत आगमन

  • चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य
  • मेगास्थनीज का मिशन और चंद्रगुप्त के साथ उनके संबंध

मेगास्थनीज की ‘इंडिका’ का महत्व

  • “इंडिका” का अवलोकन
  • ‘इंडिका’ का भारतीय इतिहास में योगदान
  • अन्य प्राचीन यात्रियों और लेखकों द्वारा इंडिका का उल्लेख

इंडिका” को ऐतिहासिक दस्तावेज माना जाता है, जो भारत की प्राचीन संस्कृति और समाज का गहन अध्ययन प्रस्तुत करता है।

विषय विवरण
सामाजिक जीवन विभिन्न जातियों का उल्लेख
कृषि और व्यापार प्रमुख फसलों और व्यापारिक संबंधों का उल्लेख
धार्मिक प्रथाएँ धार्मिक स्थलों का वर्णन
शासक का दृष्टिकोण चंद्रगुप्त मौर्य के शासन का वर्णन

मेगास्थनीज की दृष्टि में भारतीय समाज और संस्कृति

  • सामाजिक संरचना
  • महिलाओं की स्थिति
  • धार्मिक जीवन और आस्थाएँ
  • भारतीय समाज के रीति-रिवाज

मौर्य शासन की विशेषताएँ

  • प्रशासनिक व्यवस्था
  • अर्थव्यवस्था और व्यापार प्रणाली
  • मेगास्थनीज द्वारा देखा गया न्यायिक ढांचा

मेगास्थनीज की दृष्टि में भारतीय भूगोल

  • नदियों का विवरण
  • जलवायु और कृषि प्रणाली
  • वन्य जीवन का वर्णन

राजा का शासन

  • प्रशासन के केंद्र में राजा था। मेगास्थनीज का मानना था कि राजा योग्य तथा मेहनती होता था। वह दिन भर अपने व्यक्तिगत आराम को त्याग कर न्यायालय में रहा था। प्रशासन का भार राजा और उसके मंत्रिमंडल पर निर्भर था। यूनानी लेखक राजा के मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या तथा मूल्यांकन करता की चर्चा करते हैं, जो राजा को लोक प्रशासन में सलाह देते थे।
  • राजा काफी संख्या में गुप्त लोगों को रखता था। जो राजा को गुप्त तथा अत्यधिक महत्व की बातों से सूचित करते थे। मेगास्थनीज इन गुप्तचर को पर्यवेक्षक के नाम से बुलाता है और यह पर्यवेक्षक अपने अधीन अन्य लोगों की नियुक्ति करते थे जो उनके सहायक हुआ करते थे।
  • मेगास्थनीज मौर्य कालीन सैन्य व्यवस्था का प्रस्तुत वर्णन देता है। इस बड़े साम्राज्य के लिए सैन्य व्यवस्था अत्यधिक जरूरी थी। चंद्रगुप्त की सेवा में 6 लाख सेनानी थे जो एक युद्ध कार्यालय द्वारा नियंत्रित होते थे।
  • इस युद्ध कार्यालय में 30 सदस्य थे जो 6 समितियां में विभाजित थे। प्रत्येक समिति में पांच सदस्य थे। यह सारी समितियां अलग-अलग विभागों में विभाजित थी जैसे पैदल घुड़सवार ,हाथी ,रथ,नाव ,इत्यादि।

चन्द्रगुप्त का नगर प्रशासन –

मेगास्थनीज हमारे अतित का यात्री Megasthenes- A traveller from our past

  • चंद्रगुप्त का नगर पालिका संस्थान राजधानी में स्थित था। जो काफी अच्छी व्यवस्था के अनुसार काम करता था। मेगास्थनीज नगर के इन अधिकारियों को एस्टनोमाई कहां करता था। नगर पालिका संस्थान 30 सदस्यों से बना था। जो शहर समितियां में विभक्त था।

प्रत्येक समिति में पांच सदस्य थे

1. पहले समिति औद्योगिक कला से संबंधित सभी मुद्दों को देखती थी।
2. दूसरी समिति विदेश से आए यात्रियों की आव भगत पर काफी ध्यान देती थी और उनकी गतिविधियों की सूचना लेती थी।
3. तीसरी समिति जन्म तथा मृत्यु का पंजीकरण करते थे।
4. चौथी समिति वाणिज्य एवं व्यापार से संबंधित गतिविधियों को देखती थी।
5. पांचवी समिति उत्पादित सामानों पर नियंत्रण रखती थी।
6. छठी समिति का काम बिक्री कर वसूलना था।

  • मेगास्थनीज Megasthenes: A traveller from our past के अनुसार जिला प्रशासन एग्रोनॉमी नामक पदाधिकारी के नियंत्रण में था। वह लोग सिंचाई की सुविधा, जमीन की माप, जंगल संबंधित कानून ,कृषि खनन तथा धातु संबंधी उद्योगों को नियंत्रित तथा संचालित करते थे। यह अधिकारी करो की वसूली करने सड़कों की मरम्मत करने के साथ-साथ मिल के पत्थर गढ़वाते थे ताकि दूरी का पता चल सके।

मेगास्थनीज ने भारतीय समाज की जातियों को उनके पेशें से जोड़ कर देखा है।
उनके अनुसार भारत का समाज 7 वर्गों में विभाजित किया गया था

1. पहले वर्ग में उसे दार्शनिक समुदाय को रखा गया। जो ब्राह्मण और साधुओं के मिलने से बना था।
2. दूसरे वर्ग में कृषक वर्ग था जो समाज का एक बहुत बड़ा अंग था।
3. तीसरा वर्ग शिकारी गडरियों तथा जंगलों में घूमने वाले लोगों का था।
4. चौथा वर्ग शिल्पकारों का था जो राजा को कर देने से मुक्त था एवं राजा उन्हें कई प्रकार के सहायता भी देता था।
5. पांचवा वर्ग सैनिकों का था और सरकार ही उनकी देखभाल करती थी।
6.7. छठ तथा सातवां वर्ग उन अधिकारियों का था जो विभिन्न विभागों में कार्यों का सर्वेक्षण करते थे। इस वर्ग में गुप्तचरो की एक बड़ी संख्या शामिल थी।

  • आम लोगों की ईमानदारी का इसी बात से पता लगाया जा सकता है की चोरी की घटना शायद ही सुनने को मिलती थी। दंड संहिता बड़ी ही कठोर थी। गलत प्रमाण या साक्ष्य प्रस्तुत करने पर अंग- भंग कर दिया जाता था। और राजकीय शिल्पकारों को उत्प्रेरित करने पर मृत्यु दंड दिया जाता था। शारीरिक आहत करने पर अपराधी के इस अंग को भंग कर दिया जाता था और साथ ही उसका हात काट दिया जाता था।
  • मेगास्थनीज की सूचना से पता चलता है कि साम्राज्य में शांति व्यवस्था कायम थी। इसका कारण यहां की उपजाऊ भूमि तथा पर्याप्त मात्रा में खनिज भंडार थे। मेगास्थनीज के अनुसार उसे समय के लोग मृदुभाषी भी थे और शराब सिर्फ यज्ञ के समय ही पीते थे।
  • मेगास्थनीज के अनुसार सभी भारतीय स्वतंत्र थे और एक भी दास का कहीं उल्लेख नहीं मिलता। यहां पाये जाने वाले दास यूरोप में पाए जाने वाले दसों की तुलना में भिन्न थे। इसी कारण मेगास्थनीज को भारत में दास प्रथा के प्रचलित ना होने का भ्रम हुआ होगा।
  • इस तरह से मेगास्थनीज के बहुत सारे अनसुने पहलू हमारे सामने आते हैं जिससे हमें अपने अतीत के बारे में बहुत कुछ जानने में मदद होती है।

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