हमारे भारत की नदी प्रणालिया River systems of our India

हमारे भारत की नदी प्रणालिया River systems of our India

River systems of our India – भारत के प्रमुख नदी तंत्रों की सम्पूर्ण जानकारी, गंगा, सिंधु, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा और गोदावरी जैसी नदियों के महत्व, उनके प्रवाह, सहायक नदियों और सांस्कृतिक योगदान को समझें।

भारत की नदी प्रणालियों को चार समूहों

1 ) हिमालय नदियां
2 ) दक्षिणी नदिया
3 ) तटवर्ती नदियां और
4 ) अंतर्देशीय बरसाती नदियों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

  • हिमालयी नदिया बर्फ और हिमनदों के पिघलने से बनती है और इसलिए वे वर्ष भर निरंतर बहती ही रहती है। मानसून के महीना में, हिमालयी क्षेत्र में तेज वर्षा होती है, जिससे नदियों में उफान आता है और बार-बार बाढ़ आती है। दूसरी तरफ दक्षिणी नदियां वर्षा पर निर्भर है ,अंत: उनका आकार घटता -बढ़ता रहता है।
  • इनमें से कई नदियां बारहमासी नहीं है। तटवर्ती नदिया, विशेष कर पश्चिमी तटवर्ती नदियों की लंबाई अधिक नहीं है और उनके जलग्रहण क्षेत्र सीमित है। उनमें से अधिकतर बारहमासी नहीं है। अंतर्देशीय बरसाती नदिया पश्चिमि राजस्थान थाले से संबंध है जो गिनी- चुनी और अलग-थलग है। इनमें से ज्यादातर थोड़े दिन ही बहती है.

हमारे भारत की नदी प्रणालिया River systems of our India

  • मुख्य हिमालयी नदी प्रणालियों सिंधु और गंगा- ब्रह्मपुत्र -मेंघना प्रणाली का हिस्सा है। सिंधु नदी विश्व की बड़ी नदियों में से एक है ,जिसका उद्गम स्थल तिब्बत में मानसरोवर के निकट है और यह पहले भारत और इसके बाद पाकिस्तान से बहते हुए अंत: कराची के निकट अरब सागर में मिल जाती है। भारतीय भूभाग में बहने वाली इसकी महत्वपूर्ण सहायक नदियों में सतलज (जो तिब्बत से निकलती है), व्यास ,रावी ,चिनाब , और झेलम शामिल है।
  • गंगा -ब्रह्मपुत्र -मेघना अन्य महत्वपूर्ण नदी प्रणाली है इसके प्रमुख उप थालो में भागीरथी और अलकनंदा के थाले शामिल है। यह दो नदियां देवप्रयाग में आकर गंगा बन जाती है। गंगा नदी उत्तराखंड ,उत्तर प्रदेश, बिहार ,झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों से होकर गुजरती है। भागीरथी अतीत के मुख्य नदी मार्ग राजमहल पर्वतमाला के नीचे से निकलती है जबकि पद्मा पूर्व की ओर बढ़ते हुए बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है।
  • गंगा की महत्वपूर्ण सहायक नदियों में यमुना, रामगंगा, घाघरा, गंडक, कोसी, महानंदा और सोन शामिल है। चंबल और बेतवा इसकी महत्वपूर्ण उप सहायक नदिया है ,जो यमुना के गंगा में मिलने से पहले यमुना में समा जाती है। पद्मा और ब्रह्मपुत्र बांग्लादेश में मिलती है और पदमा या गंगा के रूप में निरंतर बहती है।
  • ब्रह्मपुत्र तिब्बत से प्रारंभ होती है, जहां इसे त्सांगपो के रूप में जाना जाता है और भारत में अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करने तक यह दिहांग के नाम से एक लंबा मार्ग तय कर चुकी होती है। पासीघाट के निकट दिबांग और लोहित नदियां ब्रह्मपुत्र में मिलती है और यह संयुक्त नदी असम घाटी में बहती है। धुबरी से निचली धारा बांग्लादेश में प्रवेश करती है.
  • भारत में ब्रह्मपुत्र की प्रमुख सहायक नदियों में सुबनसिरी, जिया भरेली, धनसीरी , पुथीमारी,पगलड़िया और मानस शामिल है। बांग्लादेश में तीस्ता नदी ब्रह्मपुत्र में मिलती है और वह अंत: गंगा में समाहित हो जाती है। मेघना की मुख्यधारा के रूप में बराक नदी मणिपुर में पर्वतीय क्षेत्र से शुरू होती है।
  • इस नदी की प्रमुख सहायक नदियों में मक्कू ,तरांग ,तुइवई ,जीरी, सोनाई, रुकनी, कटाखल, धालेश्वरी, लांगचीनी,मड़ुआ और जयंतिया शामिल है। बराक बांग्लादेश में भैरव बाजार के निकट गंगा -ब्रह्मपुत्र के मिलने से मिलने के स्थान तक जारी रहती है.
  • दक्षिणी क्षेत्र में सामान्यतः पूर्व दिशा में बहने वाली अधिकतर बड़ी नदी प्रणालिया बंगाल की खाड़ी में गिरती है। पूर्वक की ओर बहने वाली प्रमुख नदियों में गोदावरी, कृष्णा, कावेरी और महानदी शामिल है। नर्मदा और ताप्ती पश्चिम की ओर बहने वाली प्रमुख नदियां है.
  • दक्षिणी प्रायद्वीप में गोदावरी दूसरी सबसे बड़ी नदी घाटी है, जो भारत के 10% क्षेत्र को कवर करती है। इसके बाद कृष्णा नदी घाटी का स्थान है,और इस क्षेत्र में महानदी एक अन्य बड़ी नदी घाटी है। दक्षिणी क्षेत्र में ऊंचाई वाले इलाकों में अरब सागर की ओर बहने वाली नर्मदा का थाला और दक्षिण में बंगाल की खाड़ी की और बहने वाली कावेरी नदी का थाला, दोनों लगभग समान आकार के है ,परंतु उनका स्वरूप और विशेषताएं भिन्न-भिन्न है.
  • इस क्षेत्र में अनेक तटवर्ती नदिया है ,जो अपेक्षाकृत छोटी है। इन नदियों में गिनी -चुनी ऐसी है, जो पूर्वी तट के डेल्टा के निकट सागर में गिरती है, जबकि 600 ऐसी नदियां है ,जो पश्चिमी तट पर पहुंचती है.
  • राजस्थान में कुछ ऐसी नदियां है जो समुद्र तक नहीं जाती है। वह साल्ट लेक (लवण झील) में गिरती है और रेत में लुप्त हो जाती है। इनके अलावा कुछ रेगिस्तानी नदिया है, जो कुछ दूर तक बहती है और रेगिस्तान में लुप्त हो जाती है।
    यह है- लूणी, माछु,रुपे ,सरस्वती, बनास, घग्गर आदि.

समूचे देश को 20 नदी घाटियों/ नदी थाला समूहों में वर्गीकृत किया गया है जिनमें से 12 बड़े थाले और आठ संयुक्त नदी थाले हैं।
12 बड़े नदी थालो में-

हमारे भारत की नदी प्रणालिया River systems of our India

1 ) सिंधु
2 ) गंगा- ब्रह्मपुत्र- मेघाना
3 ) गोदावरी
4 ) कृष्णा
5 )कावेरी
6 ) महानदी
7 )पेन्नार
8 ) ब्राह्मणी-वैतरणी
9 ) साबरमती
10 ) माही
11 ) नर्मदा
12 ) ताप्ती है।
इनमें से प्रत्येक थाले का बहाव क्षेत्र 20000 वर्ग किलोमीटर से अधिक का है.

  • आयोजन और प्रबंधन के प्रयोजन के लिए आठ संयुक्त नदी थाले है, जो शेष सभी मध्यम ( 2000 से ₹20000 किलोमीटर बहाव क्षेत्र वाली) और लघु नदियों प्रणालियों (2000 वर्ग किलोमीटर से कम बहाव क्षेत्र वाली) को उपयुक्त ढंग से जोड़ते हैं।
    1) सुवर्ण रेखा थाला , जो सुवर्ण रेखा और वैतरणी के बीच अन्य छोटी नदियों को जोड़ता है।
    2 )महानदी और पेन्नार के बीच पूर्व की ओर बहने वाली नदियां।
    3 )पेन्नार और कन्याकुमारी के बीच पूर्व की ओर बहने वाली नदियां
    4 )राजस्थान के रेगिस्तान में अंतर्देशीय बहाव क्षेत्र
    5 )लूणी सहित कच्छ और सौराष्ट्र की पश्चिम की ओर बहने वाली नदियां
    6 )ताप्ती से दाद्रि तक पश्चिम की ओर बहने वाली नदियां
    7 )दाद्रि से कन्याकुमारी तक पश्चिम की ओर बहने वाली नदियां और
    8 ) म्यांमार – बांग्लादेश में बहने वाली छोटी नदियां।

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