नागालैंड ने शुरू की भारत की पहली आपदा बीमा योजना Nagaland launched Indias first disaster insurance scheme

Nagaland launched Indias first disaster insurance scheme

 नागालैंड- आपदा प्रबंधन के लिए नई बीमा योजना की शुरुआत 

  • नागालैंड राज्य ने एसबीआई जनरल इंश्योरेंस के साथ मिलकर एक नई आपदा प्रबंधन बीमा योजना शुरू की है, जिससे यह भारत का ऐसा करने वाला पहला राज्य बन गया है। इस योजना का नाम “आपदा जोखिम हस्तांतरण पैरामीट्रिक बीमा समाधान” (डीआरटीपीएस) है और इसे विशेष रूप से प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा के लिए तैयार किया गया है।

नागालैंड ने शुरू की भारत की पहली आपदा बीमा योजना Nagaland launched India's first disaster insurance scheme

आज हम Nagaland launched Indias first disaster insurance scheme के बारे में जानने वाले है।

पैरामीट्रिक इंश्योरेंस (Parametric Insurance) क्या है?

  • पैरामीट्रिक इंश्योरेंस एक विशेष प्रकार का बीमा है, जिसमें बीमाधारक को हानि के लिए मुआवजा मिलने के बजाय, एक पूर्व-निर्धारित शर्त पूरी होने पर एक निश्चित राशि मिलती है। इसे समझने के लिए, हम इसे सामान्य बीमा से तुलना करते हैं।

सामान्य बीमा बनाम पैरामीट्रिक इंश्योरेंस-

  • सामान्य बीमा में, जब कोई घटना होती है (जैसे, कार दुर्घटना, आग लगना, आदि), बीमाधारक को नुकसान का आकलन करने के बाद मुआवजा दिया जाता है।
  • पैरामीट्रिक इंश्योरेंस में, मुआवजा देने के लिए नुकसान का आकलन नहीं किया जाता। इसके बजाय, अगर कोई निश्चित घटना होती है, जैसे कि एक निश्चित मात्रा में बारिश होना, या भूकंप की तीव्रता एक निश्चित स्तर तक पहुंचना, तो बीमाधारक को एक पूर्व-निर्धारित राशि मिलती है।

यह कैसे काम करता है?

  1. घटना की पहचान- पहले, एक निश्चित घटना या ‘पैरामीटर’ (जैसे, 100 मिमी बारिश) को तय किया जाता है।
  2. शर्तें पूरी होने पर भुगतान- अगर यह पैरामीटर पूरा होता है, तो बीमाधारक को तुरंत एक निश्चित राशि मिल जाती है। इससे फर्क नहीं
  3. पड़ता कि उन्हें कितना नुकसान हुआ है- मुआवजा पहले से तय राशि के अनुसार ही मिलेगा।

तेज़ और पारदर्शी: पैरामीट्रिक इंश्योरेंस का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें दावा निपटान बहुत तेजी से होता है, क्योंकि नुकसान का आकलन करने की जरूरत नहीं होती। इससे बीमाधारक को समय पर मदद मिलती है।

उदाहरण-

  • मान लीजिए, एक किसान ने पैरामीट्रिक इंश्योरेंस लिया है, जिसमें शर्त है कि अगर मानसून के दौरान बारिश 50 मिमी से कम होती है, तो उसे 1 लाख रुपये मिलेंगे। यदि मानसून के दौरान बारिश वास्तव में 50 मिमी से कम होती है, तो किसान को बीमा कंपनी से 1 लाख रुपये मिलेंगे, चाहे उसकी फसल को कितना भी नुकसान हुआ हो या न हुआ हो।

पैरामीट्रिक इंश्योरेंस के फायदे

  • तेज़ भुगतान- नुकसान के आकलन की जरूरत नहीं, इसलिए भुगतान तेजी से होता है।
  • पारदर्शिता- बीमा कंपनी और बीमाधारक दोनों के लिए शर्तें स्पष्ट होती हैं।
  • लचीलापन- इस बीमा को कई प्रकार की घटनाओं के लिए डिजाइन किया जा सकता है, जैसे प्राकृतिक आपदाएं, मौसम की स्थितियाँ, आदि।

पैरामीट्रिक इंश्योरेंस के नुकसान

  • सटीकता की कमी- यदि घटना होती है लेकिन नुकसान कम है, फिर भी पूरा भुगतान मिलता है, जिससे बीमा कंपनी के लिए वित्तीय जोखिम बढ़ सकता है।
  • नुकसान की भरपाई का अभाव- बीमाधारक को हानि के सटीक आकलन पर आधारित मुआवजा नहीं मिलता, जिससे उसे पूरी हानि का मुआवजा न मिल सके।

पैरामीट्रिक इंश्योरेंस मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में उपयोगी होता है जहां घटनाएँ आसानी से मापी जा सकती हैं, जैसे मौसम, प्राकृतिक आपदाएं, आदि। यह बीमा कंपनियों और बीमाधारकों दोनों के लिए समय और संसाधनों की बचत कर सकता है।

इस समझौते का उद्देश्य

  • इस समझौते का मुख्य उद्देश्य नागालैंड के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को सुरक्षित करना और प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करना है। यह योजना पूरे राज्य में लागू होगी, जिससे आपदा प्रबंधन में सुधार होगा। नागालैंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NSDMA) और SBI जनरल इंश्योरेंस इस पर मिलकर काम करेंगे, जिससे राज्य की आपदा से निपटने की क्षमता और मजबूत होगी।

इस पहल का महत्व

  • नागालैंड ने इस प्रकार की बीमा योजना लागू करके अन्य राज्यों के लिए एक नई मिसाल कायम की है। इस अभिनव योजना का उद्देश्य आपदा के लिए बेहतर तैयारी और प्रतिक्रिया को सुनिश्चित करना है, ताकि राज्य के लोगों और संसाधनों की बेहतर सुरक्षा हो सके।

नागालैंड ने शुरू की भारत की पहली आपदा बीमा योजना Nagaland launched Indias first disaster insurance scheme

नागालैंड के बारे में कुछ खास बातें

  • भौगोलिक स्थिति
    नागालैंड भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित एक सुंदर राज्य है। इसकी सीमाएँ पश्चिम में असम, उत्तर में अरुणाचल प्रदेश, और पूर्व में म्यांमार से लगती हैं। यह राज्य पहाड़ों और घाटियों से घिरा हुआ है, जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाते हैं।
  • जनजातियाँ और संस्कृति
    नागालैंड में मुख्य रूप से 16 प्रमुख जनजातियाँ रहती हैं, जिनमें आओ, अंगामी, सेमा, कोन्याक, और लोटा प्रमुख हैं। हर जनजाति की अपनी अलग भाषा, परंपराएँ, और त्योहार होते हैं। नागालैंड की संस्कृति और परंपराएँ बहुत ही समृद्ध और विविधतापूर्ण हैं।
  • नागालैंड पूर्वोत्तर भारत का एक खूबसूरत राज्य है, जहाँ 16 प्रमुख जनजातियाँ रहती हैं, जिनकी अपनी अनूठी परंपराएँ हैं। यहाँ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बाँस की प्रजाति पाई जाती है, जिसे डेंड्रोकैलेमस गिगेंटस कहते हैं। नागालैंड का प्रसिद्ध हॉर्नबिल फेस्टिवल राज्य की सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है। राज्य की राजधानी कोहिमा, द्वितीय विश्व युद्ध में एक महत्वपूर्ण लड़ाई का स्थल था। नागालैंड के लोग पारंपरिक रूप से झूम खेती करते हैं, जिसे ‘झूम’ के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजी यहाँ की आधिकारिक भाषा है, और राज्य अपने हस्तनिर्मित शॉल और जीवंत त्योहारों जैसे मोआत्सु और सेक्रेनी के लिए भी प्रसिद्ध है।

 

Leave a comment