हिमालय की उत्पति या उत्थान (Origin OR Upheaval Of Himalaya)
Origin OR Upheaval Of Himalaya : जानें कैसे करोड़ों साल पहले धरती की टेक्टोनिक प्लेट्स की टक्कर से हिमालय का निर्माण हुआ। इस लेख में हिमालय की उत्पत्ति, भूवैज्ञानिक प्रक्रिया और इसके महत्व की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें।
- वैद्यानिको के अनुसंधानों द्वारा न्यात हुआ है की अब से लगभग 6 लाख वर्ष पूर्व मानव जाती का अस्तित्व नहीं था और कुछ करोड़ वर्ष पूर्व में भू -पृष्ठ पर महाद्वीप और महासागरों का विभाजन अब से भिन्न प्रकार का था आज जहा हिमालय पर्वत और उसके पूर्व की और चीन के पर्वत तथा पष्चिम की और ईरान से लेकर एशिया माइनर तक विस्तृत पर्वत श्रेणियाँ और दक्षिण यूरोप के कार्पोथियन व आल्प्स नामक पर्वत स्थित हे , वहा एक विशाल महासागर लहराता था जिसको साइंटिस्ट टेथिस सागर (Tethys Sea) कहकर पुकारते है।
- इस सागर के दक्षिण में एक महाद्वीप भारत और ऑस्ट्रेलिया के रूप में विद्यमान है – जिसे साइंटिस्ट गोंडवाना भूमि (Gondwana Land) कहते है। टेथिस सागर के उत्तर में भी एक और ऐसा ही महाद्वीप स्थित था जिसको अंगारा भूमि (Angara Land) कहते है। Origin OR Upheaval Of Himalaya.
आज हम हिमालय की उत्पति या उत्थान (Origin OR Upheaval Of Himalaya) के बारे में जानने वाले है।
- हिमालय का द्वितीय उत्थान -मुख्य श्रेणी के निर्माण(Origin OR Upheaval Of Himalaya) के पश्यात यहाँ से निकलने वाली नदिया इस पर्वत श्रेणी के दक्षिण में जो टेथिस सागर खाई रह गई थी , उसमे जाकर गिरती थी. इन खाड़ीयो के जल के उस समय के जल जीवों का खूब विस्तार हुआ और जल जींवो के अस्थि अवशेष , नदियों द्वारा बहकर लाई गई मिट्टी और बालू के जो स्तर उस समय बन रहे थे ,वह सभी वहां एकत्रित होने लगे और इस प्रकार एक नए प्रकार की अवसादी शैलो का विशाल जमाव हुआ।
- आज से लगभग 3 करोड़ साल पूर्व (सायोसिन युग में )हिमालय का द्वितीय उत्थान हुआ जिसके फलस्वरूप पूर्व रचित महा- हिमालय श्रेणी और ऊँची उठी तथा तत्कालीन सिंधु या इंडो ब्रह्मनदी और पूर्वीय खडियो का तल प्रदेश भी ऊँचा उठने लगा और उठते -उठते महा -हिमालय से सटी हुई तथा तथा उसके दक्षिण में एक और पर्वत श्रेणी बन गई।
- इस प्रकार लघु हिमालय एव ट्रांस हिमालय की सृष्टि हुई. यह लघु -हिमालय जीवशेष युक्त सामुद्रिक चट्टानों का बना हुवा है। जिनमे प्राचीन कल के समुद्र में रहने वाले जींवो के अस्थि अवशेष भी पाए जाते हे। इसकी विशेष बात यह है की भारत में खनिज तेल इन्ही चट्टानों से उत्पन हुआ था और अब लघु हिमालय की तलहटी में पाया जाता है।
फॉक्स (FOX) और वैडेल (Wedel) का मत(Fox and Wedel’s Views)
- फॉक्स और वेडेल के मतानुसार हीमलय का पूर्वी भाग दो भिन्न क्रियाओ से बना है। प्रथम क्रिया मे तिब्बत के पत्थर की और दबाव आने से उसके किनारे के भागो मेंसिकुड़ने या मोड़ पद गए। यह मोड़ अभी हिमालय पर्वत में है। द्वितीय क्रिया में ये मोड़ ऊपर उठाने लगे और पत्थर से बहुत ऊँचे हो गए। ऊपर उठने का प्रभाव यह रहा की नदियों द्वारा पर्वतीय ढालो का बहुत सा पदार्थ बाह गया और अनेक गहरी घाटिया तथा दरारे उनमे बन गयी।
- इसलिए संतुलन शक्ति (Isotasy) के प्रभाव से उनको उठना पड़ा। इस मत के अनुसार यदि हिमालय में गहरी घाटिया एव दरारे न होती तो हिमालय की चोटियाँ भी इतनी ऊँची नहीं होती है।
बुर्राड का मत (Burrad’s Views)
- सन 1921 में सिडनी बुर्राड ने हिमालय के बनने का जो मत प्रतिपादित किया उसके अनुसार पृथ्वी के धरातल के निचे एक दूसर तह है जो शीतल हो रही है। शीतल होने पर वह तह फट जाता है और उसके टुकड़े इधर उधर हैट जाते है। निचे की तह हटनेसे ऊपरी तह में मोड़ पद गए है। यही मोड़ वर्तमान कल में हिमालय पर्वत है। निचे के टुकड़ो में नदियों द्वारा बहकर लाया गया तलछट जमा हो गया। कालांतर में वह पदार्थ भी सिकुड़ गया और उसके फलस्वरूप हिमालय और शिवालिक की उत्त्पति हुई।
- किन्तु यह मत सर्वमान्य नहीं है , इसके विरोध में यह कहा जाता हे की यदि पृथ्वी की भीतरी सतह इतनी मुलायम है की 121 किलोमीटर की गहराई के भीतर ही पदार्थ का संतुलन हो जाता है तो क्या उसमे एक चौड़ी खाई 32 किलोमीटर गहरी रह सकती है। इसके अतिरिक्त आने की वास्तविक दिशा भी बुर्राड के मत के विरुद्धा है।
- संक्षेप में यह कहा जाता है की विश्व की सर्वोच्च पर्वत श्रृंखला हिमालय का जन्म उत्तर की और से जाने वाले धरातलीय धक्को एव भिंचाव के परिणामस्वरूप हुआ है तो भारतीय प्रायद्वीप की और बड़े है इन धक्को द्वारा धरातल पर एक के बाद एक मोड़ बन गए जो प्रायद्वीप की और अग्रेसर होते रहे और प्रायद्वीप पर दबाव डालते रहे. ये धरातलीय धक्के दक्षिण की और बढ़ते गए किन्तु दक्षिण की और से इन पर प्रायद्वीप अग्रिम भाग तथा दो अन्य तत्कालीन पर्वत श्रेणियाँ – उत्तर पश्चिम से अरावली और उत्तर और उत्तर पूर्व से असम की पहाड़ियों का दबाव पड़ा।
- इस कारन हिमालय की श्रेणी वक्राकार हो गयी। हिमालय पर्वत की सूचि सामान्य बनावट इसका उत्तर – पश्चिम तथा दक्षिण -पूर्वी वृहद , मोड़ भारत के मैदान की और इसका खड़ा ढल तथा तिब्बत की और इसका साधारण एव एक सा ढल अदि सभी स्थिति उस अवरोध के कारन हुई जो पर्वत निर्माण गति को भारतीय प्रायद्वीप और अन्य दो पर्वत श्रेणियों द्वारा प्राप्त हुआ। इस प्रकिया में दक्कन का उत्तरी भाग आगे की और भी झुक गया।
उपर्युक्त वर्णन से यह न समाज लेना चाहिए हिमालय की सृष्टि का कार्य पूरा हो चूका हे। इस पर्वत के घरभा में प्रलय भरा हुवा हे और निच्छित रूप से यह नहीं कहा जा सकता है की कब हिमालय का नया उत्थान आरंभ हो जाय।
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- उत्तर पश्चिमी हिमालय में उषः कल्प (अरकान कल्प Archaen Era) की चट्टानों के समूह चिलास ,गिलगित ,बाल्टिस्तान उत्तरी कश्मीर , लद्दाख और जास्कर श्रेणियाँ में मिलते है।
- हिमालय और अन्य समकालीन पर्वत मालाओ (यूरोप की काकेशस , आल्प्स , पिरनेज उत्तरी अफ्रीका का एटलस एशिया ,मलेसिआ और पूर्व द्वीप समूह की अन्य पर्वत श्रेणियाँ अमेरिका का एंडीज़ और उत्तरी अमेरिका का रॉकी पर्वत मालाये )
का उद्भव अभिनव वेदन्यानिक कल में हुआ।
चलिए कुछ प्रश्न देखते है।
Q.1 हिमालय की उत्पत्ति कैसे?
ANS. हिमालय की उत्पत्ति-
- हिमालय की उत्पत्ति एक भूगर्भीय प्रक्रिया का परिणाम है जो लगभग 5 करोड़ वर्ष पहले शुरू हुई थी। यह तब हुआ जब भारतीय प्लेट उत्तर की ओर बढ़ी और यूरेशियन प्लेट से टकराई।
- इस टकराव के कारण भारतीय प्लेट का ऊपरी हिस्सा ऊपर की ओर उठ गया, जिससे हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण हुआ। इस प्रक्रिया को ‘प्लेट विवर्तनिकी’ कहा जाता है।
- हिमालय आज भी धीरे-धीरे ऊंचा हो रहा है क्योंकि ये प्लेट्स अभी भी आपस में टकरा रही हैं। यह दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला है, जिसमें माउंट एवरेस्ट भी शामिल है।
- हिमालय न केवल भारत और आसपास के देशों की भौगोलिक संरचना का हिस्सा है, बल्कि यह एशिया के जलवायु, नदियों और वनस्पतियों पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।
Q.2 हिमालय उत्थान की अवस्थाएं कितनी है?
ANS. हिमालय उत्थान की अवस्थाएं-
हिमालय के उत्थान की प्रक्रिया को मुख्य रूप से तीन अवस्थाओं में विभाजित किया जा सकता है-
- पहली अवस्था (55-45 मिलियन वर्ष पहले)-
- इस समय, भारतीय प्लेट ने यूरेशियन प्लेट से टकराना शुरू किया। यह टकराव धीरे-धीरे हिमालय की प्रारंभिक पर्वत श्रृंखला का निर्माण करता है। इस अवस्था में भू-उत्थान की शुरुआत होती है।
- दूसरी अवस्था (45-20 मिलियन वर्ष पहले)-
- इस अवधि में, टकराव तेज़ होता गया और भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे धंसने लगी। इस वजह से हिमालय की ऊंचाई में तेजी से वृद्धि होने लगी। इस दौरान, हिमालय में प्रमुख पर्वतों और चोटियों का निर्माण हुआ।
- तीसरी अवस्था (20 मिलियन वर्ष से वर्तमान तक)-
- यह वर्तमान अवस्था है, जिसमें हिमालय की ऊंचाई धीरे-धीरे बढ़ रही है। प्लेट्स का टकराव अब भी जारी है, जिससे हिमालय आज भी प्रति वर्ष कुछ मिलीमीटर बढ़ रहा है।
ये अवस्थाएं हिमालय के भूगर्भीय विकास की कहानी को सरलता से समझने में मदद करती हैं।
Q.3 प्लेट टेक्टोनिक्स सिद्धांत के अनुसार हिमालय की उत्पत्ति कैसे हुई?
ANS. प्लेट टेक्टोनिक्स सिद्धांत के अनुसार हिमालय की उत्पत्ति-
प्लेट टेक्टोनिक्स सिद्धांत के अनुसार, पृथ्वी की सतह अलग-अलग टेक्टोनिक प्लेटों से बनी है जो धीमी गति से खिसकती रहती हैं। हिमालय की उत्पत्ति इस सिद्धांत से समझाई जा सकती है:
- भारतीय प्लेट की उत्तर की ओर गति-
- लगभग 10 करोड़ वर्ष पहले, भारतीय प्लेट एक अलग महाद्वीप के रूप में दक्षिण में स्थित थी। यह प्लेट धीरे-धीरे उत्तर की ओर खिसकने लगी।
- यूरेशियन प्लेट से टकराव-
- लगभग 5 करोड़ वर्ष पहले, भारतीय प्लेट उत्तर की ओर बढ़ते हुए यूरेशियन प्लेट से टकराई। इस टकराव ने भारतीय प्लेट को यूरेशियन प्लेट के नीचे धकेलना शुरू कर दिया।
- पर्वत श्रृंखला का निर्माण-
- टकराव के कारण भारतीय प्लेट का ऊपरी हिस्सा ऊपर की ओर उठने लगा, जिससे हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण हुआ। यह प्रक्रिया बहुत धीमी थी और लाखों सालों तक चलती रही।
- वर्तमान स्थिति-
- आज भी यह टकराव जारी है, जिससे हिमालय धीरे-धीरे ऊंचा हो रहा है। इस कारण, हिमालय की ऊंचाई हर साल कुछ मिलीमीटर बढ़ रही है।
इस प्रकार, प्लेट टेक्टोनिक्स सिद्धांत के अनुसार, भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराव से हिमालय का निर्माण हुआ। यह प्रक्रिया भूगर्भीय विज्ञान में महत्वपूर्ण है और इससे हम पृथ्वी की सतह के विकास को समझ सकते हैं।
Q.4 हिमालय का पुराना नाम क्या था?
ANS. हिमालय का पुराना नाम
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