Question Hour प्रश्नकाल

प्रश्नकाल Question Hour: इतिहास, वर्तमान और भविष्य – 

“प्रश्नकाल Question Hour का इतिहास, कार्यप्रणाली, महत्व और भविष्य – UPSC व भारतीय संसद के लिए संपूर्ण हिंदी नोट्स। जानिए संसद के इस महत्वपूर्ण उपकरण की पूरी जानकारी।”

Question Hour प्रश्नकाल


परिचय (Introduction)

प्रश्नकाल Question Hour भारतीय संसदीय लोकतंत्र का एक सबसे महत्वपूर्ण संसदीय उपकरण है, जिसके माध्यम से संसद के सदस्य कार्यपालिका से जवाबदेही तय करते हैं।
हर कार्य दिवस की शुरुआत में संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में प्रश्नकाल Question Hour आयोजित होता है, जहाँ सांसद विभिन्न विषयों पर सवाल पूछते हैं और संबंधित मंत्रालय लिखित या मौखिक उत्तर देता है।
यह न केवल सरकार को जवाबदेह बनाता है बल्कि जनता को यह जानने का अवसर भी देता है कि सरकार उनके मुद्दों पर क्या कदम उठा रही है।


प्रश्नकाल Question Hour का इतिहास (History of Question Hour)

  • ब्रिटिश संसद से उत्पत्ति
    प्रश्न पूछने की परंपरा ब्रिटिश संसद से आई, जहाँ संसद सदस्य मंत्रियों से सवाल पूछकर सरकार की नीतियों पर प्रकाश डालते थे।

  • भारत में शुरुआत

    • स्वतंत्रता से पहले केंद्रीय विधान सभा (Central Legislative Assembly) में 1921 से प्रश्न पूछने की परंपरा शुरू हुई।

    • स्वतंत्रता के बाद भारतीय संसद के पहले सत्र (1952) से प्रश्नकाल को आधिकारिक रूप से अपनाया गया।

  • समय निर्धारण
    प्रारंभ में प्रश्नकाल का समय संसद की कार्यवाही के पहले घंटे में तय किया गया और आज भी यही नियम लागू है।

  • नियम और प्रावधान

    • लोकसभा नियम 32 से 54 और राज्यसभा नियम 38 से 50 में प्रश्नकाल के प्रावधान हैं।

    • यह प्रावधान बताता है कि कौन, कब, और कैसे प्रश्न पूछ सकता है।


प्रश्नकाल Question Hour की कार्यप्रणाली (Functioning of Question Hour)

  1. समय

    • संसद के कार्य दिवस का पहला घंटा (सुबह 11 बजे से 12 बजे तक) प्रश्नकाल के लिए तय।

  2. प्रश्नों के प्रकार

    • तारांकित प्रश्न (Starred Question) – मौखिक उत्तर, पूरक प्रश्न की अनुमति।

    • अतारांकित प्रश्न (Unstarred Question) – लिखित उत्तर, पूरक प्रश्न की अनुमति नहीं।

    • लघु सूचना प्रश्न (Short Notice Question) – 10 दिन से कम समय के नोटिस पर पूछे जाने वाले प्रश्न, जिनका उत्तर मौखिक होता है।

  3. प्रक्रिया

    • सांसद प्रश्न की नोटिस देते हैं।

    • प्रश्नों का चयन लॉटरी/रोटेशन पद्धति से होता है।

    • संबंधित मंत्री उत्तर देते हैं।

  4. महत्व

    • पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।

    • जनता के मुद्दों को संसद में लाता है।

    • नीतिगत खामियों की पहचान में मदद करता है।


आज का प्रश्नकाल (Question Hour Today)

  • डिजिटल युग में बदलाव
    आज प्रश्न और उत्तर दोनों ई-पोर्टल पर डाले जाते हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़ी है।

  • COVID-19 का प्रभाव
    2020 के मानसून सत्र में महामारी के कारण प्रश्नकाल स्थगित किया गया, जिससे कई विवाद खड़े हुए।

  • वर्तमान स्थिति
    वर्तमान में प्रश्नकाल नियमित रूप से आयोजित होता है और संसद टीवी तथा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सीधा प्रसारण भी होता है।

  • सांसदों की भागीदारी
    अब सांसद ईमेल और ऑनलाइन माध्यम से भी प्रश्न जमा कर सकते हैं।


भविष्य में प्रश्नकाल (Future of Question Hour)

  • तकनीकी विस्तार
    भविष्य में AI और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग कर प्रश्नकाल की तैयारी और प्रभाव बढ़ाया जा सकता है।

  • पारदर्शिता में वृद्धि
    जनता को सीधे ऑनलाइन प्रश्न भेजने की संभावना पर विचार किया जा सकता है।

  • भागीदारी में सुधार
    सांसदों की उपस्थिति और सक्रियता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन और दंड दोनों व्यवस्था लागू हो सकती है।

  • वैश्विक बेंचमार्क
    ब्रिटेन और कनाडा जैसे देशों की तरह प्रधानमंत्री प्रश्नकाल (PMQs) को भारत में भी औपचारिक रूप से लागू किया जा सकता है।


UPSC के लिए मुख्य तथ्य (Quick Facts for UPSC)

  • प्रश्नकाल की शुरुआत: 1921 (केंद्रीय विधान सभा में)

  • स्वतंत्र भारत में आधिकारिक शुरुआत: 1952

  • समय: संसद के पहले घंटे (11:00 AM – 12:00 PM)

  • नियम: लोकसभा नियम 32-54, राज्यसभा नियम 38-50

  • प्रश्नों के प्रकार: तारांकित, अतारांकित, लघु सूचना

  • महत्व: जवाबदेही, पारदर्शिता, नीति सुधार


निष्कर्ष (Conclusion)

प्रश्नकाल भारतीय लोकतंत्र की रीढ़ है। यह न केवल सरकार को जवाबदेह बनाता है बल्कि जनता के मुद्दों को राष्ट्रीय मंच पर लाता है। आने वाले समय में इसे और प्रभावी व पारदर्शी बनाने के लिए डिजिटल और तकनीकी नवाचारों का उपयोग करना आवश्यक होगा।

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