Ramsar Convention and Sites रामसर कन्वेंशन और स्थल.
Ramsar Convention और भारत के Ramsar Sites – इतिहास, वर्तमान और भविष्य (Hindi में)
Ramsar Convention and Sites का इतिहास, उद्देश्य, प्रमुख Ramsar स्थल और भारत की भूमिका – UPSC व पर्यावरण विषय के लिए सम्पूर्ण हिंदी जानकारी। जानिए 91 Ramsar Sites की पूरी सूची और उनका महत्व।
परिचय (Introduction)
Ramsar Convention एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो wetlands (आर्द्रभूमियों) के संरक्षण और उनके टिकाऊ उपयोग (Sustainable Use) के लिए स्थापित की गई है।
यह संधि 1971 में ईरान के शहर “रमसर” में अपनाई गई और 1975 में लागू हुई।
भारत ने 1 फरवरी 1982 को इस संधि पर हस्ताक्षर किए और तब से देश में आर्द्रभूमियों की पहचान और संरक्षण के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
Ramsar Convention का इतिहास (History)
वर्ष | घटना |
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1962-70 | वैश्विक स्तर पर आर्द्रभूमियों के संरक्षण की माँग तेज हुई |
2 फरवरी 1971 | ईरान के Ramsar शहर में संधि पर हस्ताक्षर |
1975 | संधि लागू (Entered into force) |
1982 | भारत Ramsar Convention का सदस्य बना |
1987 | भारत के पहले दो Ramsar Sites घोषित: चिल्का झील (ओडिशा) व केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) |
Ramsar Convention के उद्देश्य (Objectives)
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विश्वभर की आर्द्रभूमियों के संरक्षण को बढ़ावा देना
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“Wise Use” के सिद्धांत को लागू करना (संतुलित और टिकाऊ उपयोग)
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पक्षियों व अन्य जैव विविधता के लिए आवासों का संरक्षण
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जलवायु, बाढ़ नियंत्रण तथा जल शुद्धिकरण जैसी पारिस्थितिक सेवाओं को सुरक्षित रखना
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Wetland Management पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाना
आज की स्थिति (Ramsar Today – India 2025)
बिंदु | विवरण |
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वर्तमान सदस्य देश | 172 |
कुल Ramsar Sites (विश्व स्तर पर) | 2,600+ |
भारत में Ramsar Sites (2025) | 91 |
भारत का रैंक | दक्षिण एशिया में पहला, विश्व में तीसरा |
सबसे बड़ा Site | सूरसरवर झील, उत्तर प्रदेश |
नवीनतम शामिल Site | Ghogha Baria mangrove, गुजरात (2024 में घोषित) |
भारत में Ramsar Sites की श्रेणियाँ:
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मैनग्रोव (Sundarbans, Bhitarkanika)
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हाई एल्टीट्यूड वेटलैंड (Tsomoriri, Chandertal)
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झीलें (Wular Lake, Loktak Lake, Deepor Beel)
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दलदल, जलाशय और नदी तट
भारत के प्रमुख Ramsar Sites (Important Sites for UPSC)
Site | राज्य | प्रमुख विशेषताएँ |
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चिल्का झील | ओडिशा | एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील; पक्षियों का हॉटस्पॉट |
केवलादेव NP | राजस्थान | पक्षी अभयारण्य, UNESCO World Heritage Site |
लोकतक झील | मणिपुर | विश्व की एकमात्र फ़्लोटिंग लेक, फूमदी |
सुंदरबन | पश्चिम बंगाल | विश्व की सबसे बड़ी Mangrove Forest |
वुलर झील | जम्मू-कश्मीर | भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील |
हरिके झील | पंजाब | इंद्रायणी व ब्यास नदियों का संगम बिंदु |
नंदा झील | गोवा | 2022 में जोड़ा गया; पक्षी विविधता केंद्र |
Ramsar Sites का महत्व (Importance for India)
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जलवायु विनियमन (Climate Regulation)
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बाढ़ नियंत्रण व जल-संग्रहण (Flood Mitigation)
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पेयजल की शुद्धि (Water Purification)
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मछली पालन व आजीविका (Livelihood)
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पर्यटन व स्थानीय अर्थव्यवस्था
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पक्षियों एवं वन्यजीवों के लिए सुरक्षित आवास
भविष्य की रूपरेखा (Future of Ramsar in India)
- नए Wetlands की पहचान – 2027 तक 15 नई आर्द्रभूमियों को Ramsar सूची में शामिल करने का लक्ष्य।
- National Wetland Conservation Programme को GIS और Remote Sensing तकनीक के साथ अपडेट किया जा रहा है।
- जनभागीदारी में वृद्धि – स्थानीय समुदायों को wetland management में शामिल करने की योजना।
- Climate Adaptation – Wetlands को “Nature-Based Solution” के रूप में शामिल किया जा रहा है (कॉर्निव COP घोषणाओं के अनुसार)।
- Blue-Green Infrastructure Cities (Smart City Mission) में Wetlands को जोड़ने की तैयारी।
UPSC के लिए Quick Facts
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Ramsar Convention Adopted – 2 फरवरी 1971
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लागू – 1975
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भारत सदस्य बना – 1 फरवरी 1982
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विश्व Ramsar Sites – 2600+
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भारत – 91 Sites (2025)
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पहला भारतीय Ramsar Site – चिल्का व केवलादेव (1987)
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सिद्धांत – Wise Use Principle
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Theme (2024 World Wetlands Day) – “Wetlands and Human Well-Being”
निष्कर्ष (Conclusion)
Ramsar Convention ने वैश्विक स्तर पर आर्द्रभूमियों के संरक्षण में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है।
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय प्रयास किए हैं और 91 Ramsar Sites के साथ विश्व में अग्रणी देशों में शामिल हो गया है। आने वाले समय में अगर Wetland Conservation को जलवायु नीति व स्थानीय विकास योजनाओं से जोड़ा गया, तो यह न केवल पर्यावरण को सुरक्षित करेगा, बल्कि सतत विकास (Sustainable Development) की दिशा में एक मजबूत कदम होगा।
प्रश्न–उत्तर प्रारूप (Question – Answer Format)
विषय : Ramsar Convention & Ramsar Sites in India
Q1. “Ramsar Convention वैश्विक स्तर पर आर्द्रभूमियों के संरक्षण हेतु एक मील का पत्थर है।” इस कथन की विवेचना करते हुए भारत द्वारा किए गए प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
Ans.
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Ramsar Convention (1971) आर्द्रभूमियों के संरक्षण और उनके सतत उपयोग के लिए विश्व का पहला एवं प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समझौता है।
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यह ‘Wise Use Principle’ को बढ़ावा देता है तथा Wetland Management में अंतरराष्ट्रीय सहयोग का आह्वान करता है।
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भारत 1982 से इसका सदस्य है और वर्तमान में 91 Ramsar Sites के साथ विश्व में तीसरे स्थान पर है।
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राष्ट्रीय स्तर पर National Wetland Conservation Programme, Wetland (Conservation and Management) Rules 2017, Integrated Coastal Zone Management आदि योजनाओं के माध्यम से आर्द्रभूमियों का संरक्षण किया जा रहा है।
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चिल्का, सुन्दरबन, लोकतक झील जैसे उदाहरण भारत के प्रयासों को दर्शाते हैं।
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हालिया प्रयासों में GIS Mapping, जनभागीदारी और Blue-Green Urban Planning जैसे कदम शामिल हैं।
Q2. भारतीय संदर्भ में Ramsar Sites का किस प्रकार पारिस्थितिक एवं सामाजिक-आर्थिक महत्व है?
Ans.
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पारिस्थितिक महत्व:
▪ पक्षियों/वन्यजीवों का आवास
▪ जलवायु नियमन, फसल पर सकारात्मक प्रभाव
▪ बाढ़ नियंत्रण एवं जल शुद्धिकरण
▪ मृदा संरक्षण -
सामाजिक–आर्थिक महत्व:
▪ मछली पालन एवं स्थानीय आजीविका
▪ कृषि व पशुपालन को सहारा
▪ पारिस्थितिक पर्यटन को बढ़ावा
▪ जल संसाधनों का सतत उपयोग -
उदाहरण : लोकतक झील (मणिपुर) से हज़ारों परिवारों की आजीविका जुड़ी है; चिल्का झील दुनिया के प्रमुख Bird Tourism क्षेत्र में से एक है।
Q3. “Ramsar Sites का संरक्षण भारत के जलवायु-उन्मुख विकास (Climate Resilient Development) के लिए आवश्यक है।” स्पष्ट कीजिए।
Ans.
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आर्द्रभूमियाँ ‘Nature-Based Solutions’ के रूप में कार्य करती हैं।
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ये कार्बन सिंक के रूप में जलवायु परिवर्तन को कम करने में सहायक हैं और बाढ़ व सूखे जैसे चरम घटनाओं का सामना करने की क्षमता बढ़ाती हैं।
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राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना (NAPCC) में भी Wetland Conservation को शामिल किया गया है।
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G20 Delhi Declaration (2023) में भी Nature-Based Solutions को समावेशित किया गया है।
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अतः Ramsar Sites को सुदृढ़ बनाकर भारत अपने जलवायु लक्ष्यों और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) दोनों को प्राप्त कर सकता है।
Q4. Ramsar Convention की “Wise Use” अवधारणा क्या है? क्या भारत इसे प्रभावी रूप से लागू कर पाया है?
Ans.
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“Wise Use” का अर्थ है – आर्द्रभूमियों का ऐसा उपयोग जो उनके पारिस्थितिक चरित्र को क्षतिग्रस्त किए बिना वर्तमान तथा भविष्य दोनों पीढ़ियों की ज़रूरतों को पूरा कर सके।
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भारत में National Wetland Rules-2017 एवं Integrated Management Plans (IMPs) के माध्यम से Wise Use को बढ़ावा दिया जाता है।
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इसके सकारात्मक परिणाम चिल्का, सुंदरबन, हरिके झील जैसे क्षेत्रों में देखने को मिले।
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किंतु बढ़ती शहरीकरण, प्रदूषण, अवैध अतिक्रमण एवं जागरूकता की कमी के कारण Wise Use को अभी भी पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका है।
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निष्कर्षतः, नीति स्तर पर प्रगति है, परंतु भूमि-स्तर लागूकरण (implementation) को और मजबूत करने की आवश्यकता है।