कृषि में क्रांति PM-RKVYऔर कृषोन्ति योजना के तहत नए सुधार Revolution in Agriculture New Reforms under PM-RKVY and Krishonti Yojana

Revolution in Agriculture New Reforms under PM-RKVY and Krishonti Yojana

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि सुधारों के तहत प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (PM-RKVY) और कृषोन्ति योजना को मंजूरी दी है। यह योजना किसानों की आय बढ़ाने, टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने, और भारत को कृषि में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। जानिए इन योजनाओं का उद्देश्य और किसानों पर इसका प्रभाव।

कृषि में क्रांति PM-RKVYऔर कृषोन्ति योजना के तहत नए सुधार Revolution in Agriculture New Reforms under PM-RKVY and Krishonti Yojana

Revolution in Agriculture New Reforms under PM-RKVY and Krishonti Yojana के तहत नए सुधार किसानों को नई तकनीकों, सतत खेती, और खाद्य सुरक्षा के साथ सशक्त बना रहे हैं। जानें कैसे ये योजनाएँ भारत की कृषि को आत्मनिर्भर बनाने और उत्पादकता बढ़ाने में मदद कर रही हैं।


परिचय

भारत के कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, टिकाऊ खेती और उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (PM-RKVY) और कृषोन्ति योजना (KY) को मंजूरी दी है। इस नई पहल का उद्देश्य मौजूदा योजनाओं को एकीकृत कर अधिक प्रभावी और लक्षित बनाना है। इसमें किसानों की आय बढ़ाने, उत्पादकता सुधारने और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया गया है।

PM-RKVY और कृषोन्ति योजना क्या हैं?

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (PM-RKVY) और कृषोन्ति योजना दो व्यापक योजनाएँ हैं जो केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) को एकीकृत करती हैं। PM-RKVY का ध्यान टिकाऊ कृषि, और कृषोन्ति योजना का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा और भारत को कृषि में आत्मनिर्भर बनाना है।

PM-RKVY (प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना)-

  • टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना।
  • राज्य सरकारों को अधिक लचीलापन और अधिकार देना।
  • कैफेटेरिया दृष्टिकोण—राज्य अपनी जरूरतों के अनुसार योजनाएं चुन सकते हैं।

कृषोन्ति योजना-

  • खाद्य सुरक्षा और कृषि में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना।
  • जैविक खेती और कृषि बुनियादी ढांचे को सुधारना।

योजनाओं के मुख्य घटक और विशेष मिशन

इन योजनाओं में निम्नलिखित महत्वपूर्ण मिशनों पर ध्यान केंद्रित किया गया है:

  1. खाद्य तेल-तेल पाम के लिए राष्ट्रीय मिशन (NMEO-OP)
    यह मिशन भारत में खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है।
  2. स्वच्छ संयंत्र कार्यक्रम
    इस मिशन का उद्देश्य किसानों के लिए रोग मुक्त पौधे उपलब्ध कराना है ताकि कृषि में रोगों से बचा जा सके।
  3. डिजिटल कृषि
    आधुनिक तकनीकों और Internet of Things (IoT) का उपयोग कर कृषि को अधिक स्मार्ट और कुशल बनाना इस योजना का हिस्सा है।
  4. पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (MOVCDNER)
    इस मिशन का उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत में जैविक खेती के विकास के साथ-साथ वहां की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।

राज्यों द्वारा रणनीतिक योजनाएं

केंद्र सरकार प्रत्येक राज्य को अपने कृषि क्षेत्र की एक व्यापक रणनीतिक योजना तैयार करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जिसमें निम्नलिखित बिंदुओं को शामिल किया जाएगा:

  • फसल उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि।
  • जलवायु लचीली कृषि की दिशा में कदम।
  • कृषि वस्तुओं के लिए मूल्य श्रृंखलाएँ—खेत से बाजार तक उत्पादों को पहुँचाने के तरीके।

कुल बजट और वित्तीय वितरण

इन योजनाओं के लिए कुल बजट ₹1,01,321.61 करोड़ का है, जिसमें-

  • केंद्र सरकार का योगदान: ₹69,088.98 करोड़
  • राज्य सरकार का योगदान: ₹32,232.63 करोड़

योजनाओं के तहत प्रमुख वित्तीय आवंटन निम्नलिखित है-

  • पीएम-आरकेवीवाई: ₹57,074.72 करोड़
  • कृषोन्ति योजना: ₹44,246.89 करोड़

PM-RKVY और कृषोन्ति योजना के उद्देश्य

  • किसानों की आय में वृद्धि
  • जैविक और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देना।
  • कृषि बुनियादी ढांचा और विपणन में सुधार करना।
  • आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर कृषि उत्पादकता बढ़ाना।

योजनाओं की आवश्यकता और लाभ

यह योजना दोहराव को रोकने और कृषि में उत्पादकता एवं कुशलता लाने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इससे-

  • किसानों को खेती में आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने में मदद मिलेगी।
  • खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
  • राज्यों को उनके स्थानीय कृषि आवश्यकताओं के आधार पर योजनाएं तैयार करने की छूट मिलेगी।

निष्कर्ष

यह योजनाएँ कृषि क्षेत्र में नए युग की शुरुआत करेंगी। दोनों योजनाओं का उद्देश्य न केवल किसानों की आय को बढ़ाना है, बल्कि कृषि में आत्मनिर्भरता और स्थिरता को भी बढ़ावा देना है। इसका एक प्रमुख पहलू यह है कि इसमें आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा, जो किसानों की उत्पादकता और कृषि की कुशलता को बढ़ाने में मदद करेंगी।

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