राष्ट्रीय कृषि संहिता (NAC) क्या है? What is National Agriculture Code (NAC)?

What is National Agriculture Code (NAC)?

राष्ट्रीय कृषि संहिता (National Agriculture Code – NAC) भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा तैयार किया जा रहा एक व्यापक दिशा-निर्देशों का सेट है, जिसका उद्देश्य कृषि के क्षेत्र में गुणवत्ता और मानकीकरण लाना है। यह संहिता कृषि उत्पादन, कटाई के बाद की प्रक्रिया, उर्वरक उपयोग, पानी प्रबंधन, और नई तकनीकों के उपयोग को लेकर दिशा-निर्देश प्रदान करेगी। इसकी आवश्यकता इसलिए महसूस की गई, क्योंकि वर्तमान में भारत में कृषि के विभिन्न पहलुओं पर कोई ठोस और एकीकृत मानक उपलब्ध नहीं हैं।

राष्ट्रीय कृषि संहिता (NAC) क्या है? What is National Agriculture Code (NAC)?

What is National Agriculture Code (NAC)? भारत में कृषि प्रथाओं को मानकीकृत करने और खेती की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए एक दिशा-निर्देश है। यह किसानों के लिए आधुनिक और टिकाऊ कृषि तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।

NAC का उद्देश्य

NAC का मुख्य उद्देश्य कृषि में गुणवत्ता और दक्षता बढ़ाना, किसानों की आमदनी में सुधार करना, और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना है। इसके तहत कृषि के निम्नलिखित क्षेत्रों को कवर किया जाएगा:

  1. फसल उगाने की प्रक्रियाएँ: भूमि की तैयारी, रोपण, पानी देना, और कटाई।
  2. कटाई के बाद की प्रक्रिया: फसल संग्रहण, प्रसंस्करण, और भंडारण।
  3. उपकरण और मशीनरी का उपयोग: कृषि में उपयोग की जाने वाली मशीनरी और तकनीक का मानकीकरण।
  4. नई प्रौद्योगिकियाँ: इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), सस्टेनेबल फार्मिंग, और स्मार्ट खेती।

NAC की आवश्यकता क्यों है?

भारत में खेती ज्यादातर पारंपरिक तरीकों पर आधारित है, जिससे उत्पादकता सीमित रहती है। साथ ही, विभिन्न क्षेत्रों में मानकों की कमी के कारण कृषि कार्यों में असंगति और अक्षम प्रथाओं का पालन होता है। NAC एक मजबूत ढांचा प्रदान करेगा जो भारत के कृषि उत्पादन को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना सकेगा।

प्रमुख चुनौतियाँ-

  • अक्षम सिंचाई प्रणाली: सिंचाई के मानकीकृत तरीके न होने के कारण जल संसाधनों का अनुचित उपयोग हो रहा है।
  • रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग: इससे मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है।
  • नई तकनीकों का अभाव: आधुनिक कृषि तकनीकों का पर्याप्त उपयोग नहीं हो रहा है।

इन सभी समस्याओं का समाधान NAC द्वारा किया जा सकता है, जो एक संरचित और संगठित प्रणाली प्रदान करेगा।


NAC के मुख्य घटक

NAC में कई महत्वपूर्ण घटक शामिल होंगे, जो कृषि के विभिन्न पहलुओं को कवर करेंगे। इनमें शामिल हैं:

1. फसल उत्पादन मानक-

  • सही फसल चयन
  • भूमि की उचित तैयारी
  • जैविक उर्वरकों और प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग

2. सिंचाई प्रणाली के मानक-

  • पानी की उचित खपत
  • जल संरक्षण के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग (जैसे ड्रिप इरिगेशन)

3. कटाई के बाद की प्रक्रिया-

  • भंडारण की उचित व्यवस्था
  • प्रसंस्करण के दिशा-निर्देश

4. टिकाऊ कृषि (Sustainable Farming)-

  • पर्यावरण के अनुकूल तकनीक और पद्धतियाँ अपनाना
  • जैविक खेती को प्रोत्साहन देना

5. आधुनिक तकनीकों का उपयोग-

  • IoT आधारित स्मार्ट खेती
  • कृषि में ड्रोन और सेंसर का उपयोग

NAC के संभावित लाभ

1. किसानों की आय में वृद्धि-

NAC के दिशा-निर्देशों के तहत खेती की लागत कम होगी और उत्पादकता बढ़ेगी, जिससे किसानों की आय में सुधार होगा।

2. पर्यावरणीय स्थिरता-

टिकाऊ खेती और जल प्रबंधन के उपायों से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होगा और भविष्य के लिए कृषि को सुरक्षित किया जा सकेगा।

3. मानव संसाधन विकास-

NAC के लागू होने के बाद, किसानों को नए तरीकों और तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे उनकी दक्षता में वृद्धि होगी।


मानकीकृत कृषि प्रदर्शन फार्म (SADF)

BIS की योजना मानकीकृत कृषि प्रदर्शन फार्म (SADF) स्थापित करने की है, जहाँ पर NAC के दिशा-निर्देशों का व्यावहारिक रूप से परीक्षण और प्रदर्शन किया जाएगा। इन फार्मों से किसानों को नए कृषि मानकों के बारे में जागरूक किया जाएगा और उन्हें इन मानकों को अपने खेतों में कैसे लागू करना है, इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा।

SADF के प्रमुख लक्ष्य-

  1. प्रायोगिक स्थलों की स्थापना: जहाँ किसान नई तकनीकों को सीख सकें।
  2. कृषि उद्योग के साथ साझेदारी: कृषि से जुड़े उद्योगों के साथ मिलकर इन मानकों का क्रियान्वयन किया जाएगा।

NAC और भारत सरकार की अन्य योजनाएँ

NAC को भारत सरकार की अन्य योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री किसान योजना, पीएम-कुसुम योजना, और जैविक खेती को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ जोड़ा जाएगा। इससे किसानों को अधिक लाभ मिलेगा और कृषि क्षेत्र का संपूर्ण विकास सुनिश्चित होगा।


NAC की सफलता के लिए चुनौतियाँ

हालांकि NAC का उद्देश्य सकारात्मक है, लेकिन इसे लागू करने में कई चुनौतियाँ भी हैं, जैसे:

  • किसानों की नई तकनीकों के प्रति झिझक: पारंपरिक खेती से हटकर नई तकनीकों को अपनाना आसान नहीं होगा।
  • वित्तीय बाधाएँ: NAC के मानकों को लागू करने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होगी।
  • सभी किसानों तक पहुँच: भारत के दूरदराज के इलाकों तक NAC के दिशा-निर्देशों और प्रशिक्षण की पहुँच बनाना एक चुनौती हो सकती है।

भारत में NAC के लागू होने के बाद कृषि का भविष्य

NAC के लागू होने के बाद भारतीय कृषि में क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिल सकते हैं। यह सुनिश्चित करेगा कि भारतीय कृषि उत्पादन न केवल राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रतिस्पर्धी बने। टिकाऊ और स्मार्ट खेती को अपनाने से पर्यावरण संरक्षण भी होगा और किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।


निष्कर्ष-

राष्ट्रीय कृषि संहिता (NAC) भारतीय कृषि में गुणवत्ता, उत्पादकता, और स्थिरता लाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इसके तहत कृषि प्रक्रियाओं को मानकीकृत किया जाएगा और किसानों को नई तकनीकों और स्मार्ट खेती के तरीकों के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। NAC के लागू होने के बाद भारतीय कृषि का भविष्य उज्जवल दिखाई देता है, जिससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता भी सुनिश्चित होगी।

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