म्युचुअल फंड क्या होता है? What is a mutual fund

म्युचुअल फंड क्या होता है? What is a mutual fund

सभी निवेश विकल्पों में से म्युचुअल फंड को दीर्घावधि में पैसा कमाने का सर्वोत्तम साधन माना जाता है। यह कई प्रकार के होते हैं और जिस तरह की संपत्ति श्रेणी में यह फंड निवेश करते हैं उसी के अनुसार जोखिम भी अलग-अलग तरह के होते हैं जैसा कि नाम से पता चलता है।

म्युचुअल फंड क्या होता है? What is a mutual fund

आज हम म्युचुअल फंड क्या होता है? What is a mutual fund के बारे में जानने वाले है।

एक म्युचुअल फंड एक ऐसा फंड है जिसका निर्माण तब होता है जब बड़ी संख्या में निवेशक अपना धन इसमें लगाते हैं। और इसका प्रबंधन विभिन्न संपत्ति श्रेणियों -शेयर ,बॉन्ड, मुद्रा बाजार साधनों जैसे कॉल मनी और अन्य संपत्तियां जैसे स्वर्ण और प्रॉपर्टी में निवेश करने का अनुभव रखने वाले योग्य व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। आमतौर पर उनके नाम से पता चलता है कि कोई फंड किस प्रकार की संपत्ति जिसे योजना कहते हैं में निवेश करेगा। उदाहरण के तौर पर कोई डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड बड़ी संख्या में शेयरों में निवेश करेगी। जबकि कोई गिल्ट फंड मुख्य रूप से फार्मास्यूटिकल और संबंधित उद्योगों की कंपनियों के शेयर में निवेश करेगा। म्युचुअल फंड सबसे पहले मुद्रा बाजार (आरबीआई द्वारा विनियमित) में आए लेकिन इन्हें पूंजी बाजार में भी व्यापार करने की छूट है। इसलिए उनके दोहरे विनियामक आरबीआई और सेबी का प्रावधान है। म्युचुअल फंड को अनिवार्य रूप से भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड सेबी के पास पंजीकृत करना होता है। जो प्रतिरक्षा की पहली पंक्ति के रूप में भी काम करता है। जो यह नहीं समझते कि म्यूचुअल फंड कैसे काम करते हैं परंतु निवेश करने के इच्छुक होते हैं उनके लिए सेबी का यह प्रयास एक बड़ी राहत है। प्रत्येक म्युचुअल फंड को योग्य व्यक्तियों के समूह द्वारा चलाया जाता है ,जो संपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी) नामक कंपनी का गठन करते हैं और एएमसी का संचालन लोगों के एक दूसरे समूह के निर्देशन के अंतर्गत होता है जिन्हें ट्रस्टी कहा जाता है। दोनों एएमसी के लोग और ट्रस्टी की ही न्यासिय जिम्मेदारी होती है क्योंकि यह वे लोग होते हैं जिन्हें उन लोगों के मेहनत से कमाए गए पैसे के प्रबंधन का काम सौंपा जाता है।
जिन्हें पैसे के प्रबंधन की अधिक समझ नहीं है।

कोई फंड हाउस अथवा फंड हाउस हेतु कार्यरत कोई वितरक म्युचुअल फंड बचने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। फंड हाउस ऐसे कीमत पर एमएफ की यूनिट निर्देशक को आवंटित करता है। जो सेबी द्वारा अनुमोदित प्रक्रिया द्वारा निर्धारित की गई हो। जो नेट ऐसेट वैल्यू पर आधारित होती है। सरल शब्दों में एन ए वि किसी स्कीम में किए गए निवेश की कुल कीमत को विशेष स्कीम के निवेशकों को जारी यूनिटों की कुल संख्या से विभाजित करने पर प्राप्त होती है। तथापि जब भी कोई फंड हाउस किसी योजना को पहली बार लाता है तो यूनिट ₹10 प्रत्येक की दर से बेची जाती है।

म्यूचुअल फंड अपने निवेशकों के लिए तीन अनूठी योजना विकल्प प्रस्तुत करते हैं-

1. खुली योजनाएं ओपन एंडेड स्कीम-

खुली योजना वही वह होती है जो किसी एमएफ से जारी रहने के आधार पर उपलब्ध होती है। अर्थात कोई भी निवेशक अपनी इच्छा से एन ए वि आधारित मूल्य पर जब चाहे खरीद अथवा बेच सकता है। जब निवेशक किसी विशेष खुली योजना में यूनिटों की खरीद परोक्त करते हैं तो जारी की गई यूनिटों की संख्या भी प्रतिदिन बदलती है और इसी तरह योजना के पोर्टफोलियो की कीमत भी बदलती है। इस तरह एनवी दैनिक आधार पर बदलते रहते हैं। भारत में फंड हाउस किसी विशेष योजना की कितनी भी यूनिट बेच सकते हैं। परंतु कभी-कभी फंड हाउस कुछ समय के लिए किसी योजना की अतिरिक्त यूनिटों की बिक्री को रोक देते हैं।

2. बंद योजनाएं क्लोज एंडेड स्कीम-

कोई बंद योजना आमतौर पर निवेशकों को एक बार यूनिट जारी करती है, जब वह किसी पेशकश की घोषणा करते हैं ,भारत में इसे नया फंड ऑफर कहा जाता है। तत्पश्चात यह यूनिट स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध की जाती है जहां उनका दैनिक आधार पर व्यापार किया जाता है। क्योंकि यह यूनिट सूचीबद्ध होते हैं कोई भी निवेशक एक्सचेंज के माध्यम से इन यूनिटों की खरीद और बेच सकता है। जैसे कि नाम से पता चलता है, बंद योजनाओं का प्रथम प्रबंधन फंड हाउस द्वारा सीमित वर्षों के लिए किया जाता है और इस अवधि की समाप्ति पर या तो निवेशकों को पैसा लौटा दिया जाता है अथवा योजना को खुली योजना बना दिया जाता है। तथापि सावधानी के लिए आमतौर पर बंद योजनाओं की यूनिट जो स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती है उनकी अपने एन ए वि पर छूट और ट्रेडिंग मूल्य का अंतर कम हो जाता है और योजना के बंद होने के समय यह अंतर खत्म हो जाता है।

3. एक्सचेंज ट्रेडेड फंड एट-

ईटीएफ खुली और बंद योजनाओं का मिश्रण है। बंद योजनाओं की तरह ईटीएफ स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध और इनमें दैनिक आधार पर व्यापार होता है। लेकिन इनका मूल्य इनके एन ए वि अथवा स्वर्ण ईटीएफ जैसी अंतर निहित संपत्तियों के बहुत पास होता है। यदि किसी सुप्रबंधित एमएफ़ में निवेश किया गया है तो दीर्घवधि में जो की 10 वर्ष अथवा अधिक हो सकता है तो लाभ हानि की अपेक्षा अधिक होते हैं। निवेशकों के लिए अन्य जोखिम मुक्त निवेशों यथा एफडी पब्लिक प्रोविडेंट फंड में निवेश करने की अपेक्षा इनमें पैसा कमाने की संभावना बहुत अधिक होती है। एमएफ़ में निवेश करने के लाभ नीचे दिए गए हैं

  •  पोर्टफोलियो की विभिन्नता
  • अच्छी निवेश प्रबंधन सेवाएं
  •  तरलता
  •  सरकार की सहायता प्राप्त सुदृढ़ विनियामक मदद
  • पेशावर सेवा
  •  सभी लाभों हेतु कम लागत

कोई निवेशक किसी ऐसे म्युचुअल फंड स्कीम में निवेश कर जिनके पोर्टफोलियो में ब्लू चिप स्टॉक हो अप्रत्यक्ष रूप से इन स्टॉक में भी परिचित होता है। इनकी तुलना में यदि वहीं निर्देशक इन सभी स्टॉक में से प्रत्येक को अपने पोर्टफोलियो में रखना चाहता है तो खरीदने और पोर्टफोलियो का प्रबंधन करने की लागत कहीं अधिक होगी।

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