भारत परिषद अधिनियम १९०९ India Councils Act 1909

India Councils Act 1909

India Councils Act 1909 को मार्ले-मिन्टो सुधार भी कहा जाता है। यह अधिनियम ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया था, जिसका उद्देश्य भारतीय उपमहाद्वीप में ब्रिटिश राज के अधीन प्रशासनिक सुधार करना था। इस अधिनियम के जरिए मुस्लिमों के लिए पृथक निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत हुई और विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व के सिद्धांत को अपनाया गया।

भारत परिषद अधिनियम १९०९ India Councils Act 1909


पृष्ठभूमि और कारण

  1. अलग-अलग प्रतिनिधित्व की मांग: 1906 में आगा खां के नेतृत्व में मुसलमानों के प्रतिनिधिमंडल ने वायसराय लार्ड मिन्टो से अलग निर्वाचन प्रणाली की मांग की थी।
  2. मुस्लिम लीग की स्थापना: नवाब सलीमुल्लाह की पहल पर ढाका में मुस्लिम लीग की स्थापना हुई, जिसने मुस्लिमों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई।
  3. राष्ट्रीय एकता को विभाजित करने का प्रयास: ब्रिटिश सरकार ने हिन्दू-मुस्लिम एकता को बांटने के उद्देश्य से इस अधिनियम को लागू किया।

मुख्य बिंदु: मार्ले-मिन्टो सुधारों के प्रावधान

बिंदु विवरण
विधान परिषद में वृद्धि केंद्रीय एवं प्रांतीय विधान परिषदों में गैर-सरकारी बहुमत, लेकिन नामांकित सदस्यों की अधिकता।
मुस्लिमों के लिए पृथक निर्वाचन प्रणाली मुसलमानों को विशेष प्रतिनिधित्व, जनसंख्या के अनुपात में।
आर्थिक प्रस्तावों पर बहस का अधिकार सदस्यों को आर्थिक प्रस्तावों पर चर्चा करने का अधिकार मिला।
गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी में भारतीय सदस्य सत्येंद्र सिन्हा पहले भारतीय सदस्य नियुक्त हुए।
अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली चुनाव प्रणाली बहु-स्तरीय और जटिल रही।

मार्ले-मिन्टो सुधारों के परिणाम

  • प्रतिनिधि सरकार की संरचना केवल दिखावटी थी।
  • संसदीय शासन प्रणाली की स्थापना में अवरोध।
  • राष्ट्रवाद के उफान को रोकने का प्रयास, जिससे भारतीय जनता में असंतोष और बढ़ा।

मार्ले-मिन्टो सुधारों के लाभ और हानि

लाभ:
  • मुस्लिमों को प्रतिनिधित्व, अलग निर्वाचन से राजनैतिक भागीदारी मिली।
  • व्यवस्थापिका सभा को अधिकार दिए गए, जिससे आर्थिक विषयों पर बहस करने की शुरुआत हुई।

हानि:

  • जनता में असंतोष और कांग्रेस के आक्रामक रुख को बल मिला।
  • निर्वाचन प्रणाली जटिल, अप्रत्यक्ष थी और प्रतिनिधित्व असमान था।

महात्मा गांधी की प्रतिक्रिया और नकारात्मक प्रभाव

  • महात्मा गांधी ने कहा कि मार्ले-मिन्टो सुधारों ने भारतीय जनता को “दिग्भ्रमित और विनष्ट” कर दिया। इस अधिनियम के कारण राजनीतिक दलों में फूट और साम्प्रदायिक विभाजन बढ़ा, जिसने लंबे समय तक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रभावित किया।

निष्कर्ष

  • मार्ले-मिन्टो सुधारों के द्वारा 1909 में जो परिवर्तन लाए गए, वे भारत में ब्रिटिश शासन की नीति के अंतर्गत जनता को न्यूनतम राजनीतिक अधिकार देने की नीति पर आधारित थे। यह अधिनियम भविष्य में आने वाले सुधारों के लिए एक आधार बना, लेकिन भारतीय जनता को इसके परिणामों ने वास्तविक स्वतंत्रता के बजाय विभाजन और असंतोष की दिशा में ढकेल दिया।
  • भारतीय परिषद अधिनियम 1909 (India Councils Act 1909) ने भारत में पहली बार प्रतिनिधित्व का अधिकार देकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुरुआत की। मार्ले-मिंटो सुधार के नाम से प्रसिद्ध इस अधिनियम ने मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन प्रणाली की व्यवस्था की और प्रांतीय एवं केंद्रीय विधान परिषदों में भारतीयों की भागीदारी को बढ़ावा दिया। जानिए कैसे इस ऐतिहासिक कदम ने ब्रिटिश भारत में राजनीतिक बदलाव की नींव रखी।

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