कामागाटा मारु प्रकरण ( Kamagata Maru Incident )

कामागाटा मारु प्रकरण  ( Kamagata Maru Incident )

Kamagata Maru Incident: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय, जिसमें 1914 में एक जहाज के जरिए कनाडा जाने वाले भारतीयों के साथ हुए अन्याय और संघर्ष की कहानी है। जानिए इस घटना के इतिहास, प्रभाव और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी।

आज हम कामागाटा मारु प्रकरण ( Kamagata Maru Incident ) के बारे में जानने वाले है।

कामागाटा मारु प्रकरण ( Komagata Maru Incident )

इस घटना का राष्ट्रीय आंदोलन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि इस कांड ने पंजाब में एक विस्फोटक स्थिति उत्पन्न कर दी थी। पंजाब के एक क्रांतिकारी बाबा गुरुदित्ता सिंह ने एक जापानी जलपोत कामागाटा मारू को भाड़े पर लेकर 351 पंजाबी सीखो तथा 21 मुसलमानोंको  सिंगापुर से वेंकूवर ले जाने का प्रयत्न किया। उनका उद्देश्य था कि यह लोग वहां जाकर स्वतंत्र व सुखमय में जीवन व्यतीत करें।

तथा बाद में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग ले। किंतु कनाडा सरकार ने इस यात्रियों को बंदरगाह में उतरने की अनुमति नहीं दी। और मजबूरन यह जहाज 27 सितंबर 1914 को पुन; कोलकाता बंदरगाह लौट आया। इस जहाज के यात्रियों का विश्वास था कि ब्रिटिश सरकार के दबाव के कारण ही कनाडा की सरकार ने उन्हें वापस लौटाया है।

कोलकाता पहुंचते ही बाबा गुरु दत्ता सिंह को गिरफ्तार करने का प्रयास किया गया। किंतु वे बच निकले। शेष यात्रियों को जबरन पंजाब जाने वाली ट्रेन में बैठने का प्रयास किया गया ,किंतु यात्रियों ने ट्रेन में बैठने से इनकार कर दिया। फलत ; पुलिस एवं यात्रियों के बीच हुई मुठभेड़ में 22 लोग मारे गए. शेष यात्रियों को विशेष रेलगाड़ी द्वारा पंजाब पहुंचा दिया गया।

कामागाटा मारु प्रकरण ( Komagata Maru Incident )

कामागाटा मारू घटना एंव प्रथम विश्व युद्ध के प्रारंभ होने से गदर दल के नेता अत्यधिक उत्तेजित हो गए। तथा उन्होंने भारत में शासन कर रहे अंग्रेजों पर हिंसक आक्रमण करने की योजना बनाई। उन्होंने विदेशों में रह रहे क्रांतिकारी  से भारत जाकर ब्रिटिश सरकार से लोहा लेने का आवाहन किया।

इन क्रांतिकारियों ने धन एकत्र करने हेतु अनेक स्थानों पर राजनीतिक डकैतियां डाली। जनवरी-फरवरी 1915 में पंजाब में हुई राजनीतिक डकैतियों के महत्वपूर्ण प्रभाव हुए। इन डकेतियोंकी की वास्तविक मंशा कुछ भिन्न नजर आई। पांच में से तीन घटनाओं में छाप मारो ने अपना प्रमुख निशान जमींदारों को बनाया। तथा उनके ऋण संबंधी कागजातों को नष्ट कर दिया।

कामागाटा मारु प्रकरण ( Kamagata Maru Incident )

इस प्रकार इस घटनाओं ने पंजाब में स्थित अत्यंत विस्फोटक एवं तनावपूर्ण बना दी। 21 फरवरी 1915 को गदर दल के कार्यकर्ताओं ने फिरोजपुर लाहौर एवं रावलपिंडी में सशस्त्र विद्रोह की योजना बनाई। विदेश में रहने वाले हजारों भारतीय भारत जाने के लिए इकट्ठे हुए। विभिन्न स्रोतों से धन इकट्ठा किया गया, कई भारतीय सैनिकों की रेजीमेंटों को विद्रोह करने के लिए तैयार भी कर लिया गया किंतु दुर्भाग्य वश ब्रिटिश अधिकारियों को इस विद्रोह की जानकारी मिल गई।

तथा सरकार ने भारत रक्षा अधिनियम 1915 के द्वारा तुरंत कार्रवाई की। संदिग्ध सैनिक रेसिडेंशीयों को भंग कर दिया गया। विद्रोही नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। तथा देश से निर्वासित कर दिया गया। विद्रोहियों में से 45 पर मुकदमा चलाकर उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। रासबिहारी बोस जापान भाग गए जहां से अंबानी मुखर्जी के साथ में क्रांतिकारी गतिविधियों चलते रहे। तथा कई बार उन्होंने भारत में हथियार भेजने के भेजने का प्रयास किया। तथा सचिन सान्याल को देश से निर्वासित कर दिया गया.

कामागाटा मारु प्रकरण ( Komagata Maru Incident )

ब्रिटिश सरकार ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हो रही क्रांतिकारी गतिविधियों को कुचलने के लिए इस प्रकार के दमन का सहारा लिया। जैसे उसने 1857 के विद्रोह के समय लिया था। सरकार पहले ही क्रांतिकारी एवं राष्ट्रवादियों को कुचलना के लिए अनेक कानून बन चुकी थी। भिन्न-भिन्न अधिनियमों को मिलाकर 1915 में भारत रक्षा अधिनियम बनाया गया। किंतु इस अधिनियम का सबसे मुख्य उद्देश्य गदर आंदोलन को कुचलना था।

इस अधिनियम द्वारा सरकार ने व्यापक पैमाने पर गिरफ्तारियां की। विशेष रूप से गठित अदालतोने सैकड़ो लोगों को फांसी की सजा सुनाई। तथा विद्रोही सैनिकों को सैन्य न्यायालय द्वारा कड़ी सजाई दी गई। पंजाबी जो की गदर आंदोलन का गढ़ समझा जाता था, यहा अनेक लोगों का दमन किया गया। सरकार ने अपने कुचक्र में बंगाली क्रांतिकारियों को भी कड़ी सजा दी.

kamagata maru kya hai कोमागाटा मारू क्या है?

कोमागाटा मारू एक जापानी जहाज था, जिसे 1914 में भारतीयों के एक समूह द्वारा कनाडा जाने के लिए किराए पर लिया गया था। उस समय, भारत पर ब्रिटिश शासन था, और भारतीयों को विदेश यात्रा करने में कई प्रकार की पाबंदियों का सामना करना पड़ता था। कोमागाटा मारू पर 376 भारतीय, मुख्यतः सिख समुदाय के लोग सवार थे, जो बेहतर जीवन और आजादी की उम्मीद के साथ कनाडा पहुँचना चाहते थे।

हालांकि, जब जहाज वैंकूवर पहुँचा, तो उन्हें कनाडा में उतरने की अनुमति नहीं दी गई। महीनों तक कानूनी संघर्ष और बेहद कठिनाइयों का सामना करने के बाद, जहाज को वापस भारत लौटना पड़ा। जब यह कलकत्ता (अब कोलकाता) पहुँचा, तो ब्रिटिश अधिकारियों ने यात्रियों पर गोलियां चलाईं, जिससे कई लोग मारे गए और कई गिरफ्तार हुए।

यह घटना ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीयों के गुस्से और स्वतंत्रता संग्राम की भावना को और भड़काने का कारण बनी।

kamagata maru kya tha  कोमागाटा मारू क्या था?

कोमागाटा मारू एक जापानी जहाज था, जिसे 1914 में भारतीयों के एक समूह ने कनाडा जाने के लिए किराए पर लिया था। उस समय, भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था, और भारतीयों के विदेश जाने पर कड़े नियम लागू थे। इस जहाज में 376 भारतीय सवार थे, जिनमें ज्यादातर सिख थे, जो बेहतर जीवन और रोजगार की तलाश में कनाडा जाना चाहते थे।

जब जहाज वैंकूवर पहुँचा, तो कनाडाई सरकार ने नस्लवादी कानूनों के तहत उन्हें उतरने की अनुमति नहीं दी। कई हफ्तों तक संघर्ष के बाद, जहाज को वापस भारत लौटना पड़ा। जब कोमागाटा मारू भारत के कलकत्ता बंदरगाह पहुँचा, तो ब्रिटिश अधिकारियों ने यात्रियों पर हमला किया, जिससे कई लोग मारे गए और कई को गिरफ्तार कर लिया गया।

यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, क्योंकि इसने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों के विरोध और असंतोष को और बढ़ा दिया।

 

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