ग्रहण eclipse

ग्रहण क्या होता है? What is an eclipse

  • ग्रहण eclipse तब होता है जब एक खगोलीय पिंड पूरी तरह या आंशिक रूप से अंधकार में चला जाता है, या जब कोई अन्य खगोलीय पिंड उसके प्रकाश के मार्ग में आ जाता है। हालांकि किसी भी खगोलीय पिंड का ग्रहण eclipse हो सकता है, लेकिन पृथ्वी से दिखाई देने वाले दो प्रमुख ग्रहण eclipse होते हैं – चंद्र ग्रहण  और सूर्य ग्रहण।

ग्रहण eclipse

eclipse जानें सूर्य और चंद्र ग्रहण के प्रकार, उनके प्रभाव और रोचक तथ्य। इस लेख में खगोल विज्ञान से जुड़े ग्रहणों के रहस्यों का अनावरण करें और जानें ये घटनाएँ हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करती हैं!

  • ग्रहण eclipse कब होता है? जब किसी खगोलीय पिंड की छाया किसी अन्य खगोलीय पिंड पर पड़ती है, तब ग्रहण eclipse की स्थिति उत्पन्न होती है। इस छाया का आंतरिक भाग शंकु के आकार का होता है, जिसे ‘अम्ब्रा’ (umbra) कहा जाता है। वहीं, बाहरी हल्की छाया वाले भाग को ‘पेनुम्ब्रा’ (penumbra) कहा जाता है।
  • पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए उसका उपग्रह चंद्रमा सूर्य की भी परिक्रमा करता है। चंद्रमा की कक्षा में पृथ्वी की सूर्य के चारों ओर कक्षा के सापेक्ष 5 * 9 का झुकाव है। इस प्रकार चंद्रमा पृथ्वी के कक्षा तल को महीने में दो बार काटता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के परिक्रमण पद से गुजरता है अथवा जब पृथ्वी एवं चंद्रमा की परिक्रमण पद एक दूसरे को परस्पर काटते हैं तो प्राप्त बिंदुओं को nodes कहते हैं ,और जब सूर्य पृथ्वी एवं चंद्रमा तीनों एक सीधे रेखा में स्थित हो तो ऐसी स्थिति को साइजिगी या युत-वियुति कहते हैं।

1) सूर्य ग्रहण eclipse क्या होता है?

ग्रहण eclipse

  1. पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने के कारण चंद्रमा अपनी प्रत्येक परिक्रमा में सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है। ऐसी स्थिति में चंद्रमा सूर्य को पूर्ण याआंशिक रूप से छुपा देता है।
  2. इस स्थिति को सूर्य ग्रहण eclipse कहते हैं। अतः जब सूर्य तथा चंद्रमा दोनों पृथ्वी के एक ही और होते हैं तो सूर्य ग्रहण eclipse होता है।
  3. ऐसी स्थिति में पृथ्वी से चंद्रमा को नहीं देखा जा सकता है। क्योंकि इस समय चंद्रमा का प्रदीप्त भाग पृथ्वी से परे होता है। इसलिए सूर्य ग्रहण eclipse अमावस्या के दिन होते हैं।
  4. सूर्य तथा चंद्र ग्रहण eclipse पूर्ण तथा आंशिक दोनों ही प्रकार के हो सकते हैं। पूर्ण सूर्य ग्रहण eclipse की स्थिति चंद्रमा और सूर्य के पृथ्वी में दिखने वाले व्यास के एक समान होने पर अथवा चंद्रमा के व्यास के बड़ा होने पर होती है।
  5. पृथ्वी से दिखाई देने वाले व्यासों में यह अंतर पृथ्वी एवं चंद्रमा के बीच दूरी पर निर्भर करता है।
  6. यदि चंद्रमा का पृथ्वी से दिखने वाला व्यास सूर्य से छोटा होगा तो वह सूर्य को अदृश्य कर पाने में असमर्थ होगा। ऐसी स्थिति में सूर्य का कुछ भाग एक छल्ले के समान चंद्रमा के चारों ओर दिखाई पड़ेगा। इस आंशिक या वलय सूर्य ग्रहण eclipse कहते हैं।
  7. पृथ्वी के घृणन करने और चंद्रमा के पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करने के कारण चंद्रमा की छाया पृथ्वी तल से होकर गुजरती है। इस छाया वाले क्षेत्र में पृथ्वी से सूर्य को नहीं देखा जा सकता, यह स्थिति को सूर्य ग्रहण eclipse कहा जाता है। इसे छाया के क्षेत्र को संपूर्णता का क्षेत्र कहाँ जाता हैं। यह क्षेत्र 260 किलोमीटर चौड़ा होता है। इस क्षेत्र में पूर्ण सूर्य ग्रहण eclipse देखा जाता है। इस क्षेत्र के बाहर दोनों और ग्रहण eclipse के समय भी सूर्य का कुछ भाग दिखाई देता रहता है और ग्रहण eclipse आंशिक होता है।
  8. जब सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में नहीं होते तो भी सूर्य ग्रहण eclipse आंशिक होता है, बिना किसी संपूर्णता के। क्षेत्र के पूर्ण सूर्य ग्रहण केवल थोड़े से समय के लिए होता है। साधारणतः यह 7.5 मिनट से अधिक समय के लिए नहीं होता है। इसका कारण सूर्य तथा पृथ्वी की पारस्परिक स्थिति में परिवर्तन होते रहना है।

2) चंद्र ग्रहण eclipse क्या होता है?

ग्रहण eclipse

  1. जैसे कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है वैसे ही चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है।
  2. इन परिक्रमाओं के परिणामस्वरुप पृथ्वी को भी चंद्रमा तथा सूर्य के बीच से गुजरना पड़ता है। जिस कारण चंद्र ग्रहण eclipse होता है। चंद्र ग्रहण eclipse तब होता है जब सूर्य तथा चंद्रमा पृथ्वी के दोनों और परस्पर विपरीत दिशा में होते हैं इस स्थिति में चंद्रमा पृथ्वी की छाया पड़ने के कारण अंधकारमय हो जाता है।
  3. इसलिए चंद्र ग्रहण पूर्णमासी के दिन होता है। यदि सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी की स्थिति पूर्णतया एक सीधी रेखा तथा एक ही तल में नहीं होती है तो चंद्र ग्रहण eclipse पूर्ण ग्रहण न होकर आंशिक रह जाता है।
  4. पूर्ण ग्रहण के लिए आवश्यक है कि पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य न केवल एक सीधे रेखा में हो बल्कि एक ही तल पर भी हो यही कारण है कि प्रत्येक अमावस्या तथा पूर्णमासी को ग्रहण eclipse नहीं होते .चंद्र ग्रहण eclipse भी पूर्ण या आंशिक रूप से हो सकता है।
  5. जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया से ढक जाता है तो पूर्ण चंद्र ग्रहण eclipse होता है। इसके विपरीत जब यह पृथ्वी की छाया से पूर्णतया ढाका नहीं होता है तो ग्रहण eclipse केवल आंशिक होता है और चंद्रमा का कुछ भाग दिखाई देता है।
  6. सामान्यतया १ वर्ष मे पाँच सूर्य ग्रहण eclipseऔर तीन चंद्र ग्रहण eclipse होते हैं। लेकिन किसी एक जगह से देखने पर चंद्र ग्रहण eclipse अधिक बार दिखाई देंगे। इसका कारण यह है कि चंद्र ग्रहण eclipse पूरे गोलार्ध में देखा जा सकता है, जबकि सूर्य ग्रहण eclipse केवल एक विशेष क्षेत्र में ही देखा जाता है।
  7. पूर्ण और एक जैसे ग्रहण eclipse हर 18 साल के अंतराल के बाद फिर से दिखाई देते हैं। इस अवधि को ‘सारोस अवधि’ कहते हैं। इस समय में पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा अपनी उसी स्थिति में वापस आ जाते हैं।.

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