प्राचीन भारत Stone Age ( पाषाण युग )

Stone Age प्राचीन भारत ( पाषाण युग ) 

प्राचीन भारत ( पाषाण युग ) Stone Age

आज हम प्राचीन भारत  के Stone Age ( पाषाण युग ) बारे में जानने वाले है।

युगो का निर्धारण

 1)पुरा पाषाण युग

  •  इसे प्राचीनतम पत्थर का युग ( stone age) भी कहते है जिसमे सभ्यता की लंबी अवधी समाहित है इस युग मे वर्तमान जाती के प्रथम पूर्वजोने भारत उपमहादीप मे रहना शुरू किया इसका तात्पर्य है की यहा अवधी तीन लाख वर्ष पूर्वसे 8000 इसवीसन पूर्वतक की है ,
 पुरा पाषाण युग को तीन अवस्थाओ मे बाटा जाता है
1) निम्नपुरापाषाण युग ( stone age)
2) मध्य पाषाण युग
3) उत्तरी पाषाण युग
यह विभाजन ऊस समय के मानव द्वारा प्रयोग किये जाने वाले पत्थर के अवजारों के स्वरूप पर आधारित है
2) मध्ये पाषाण युग
पुरा पाषाण युग के पश्चात मध्य पाषाण युग आया है जिसे उत्तर प्रस्तर का युग भी कहते है जो लगबग आठ हजार इसवी सन पूर्व से चार हजार इसवी सन पूर्व तक का काल है यह पुरापाषाण तथा नव पाषाण युग के बीच का संक्रमण काल है इस युग मे पत्थर के बहुत छोटे छोटे अवजार (मायक्रो लीथ)होते थे
3) नव पाषाण युग
 तिसरा युग नवा पाषाण युग या नवीन प्रस्तर का युग है जो 4000 से अठरासो इसवी सन पूर्व के समय को समहित करता है और इसकी पहचान पॉलिश दार पत्थर ओके औजारो से होती है
4)  ताम्र पाषाण युग
इसे कॅल्कोलिथीक युग या ताम्रपाषाण युग कहते है जो 1800 इसवीसन पूर्व से 800 इसवी सन पूर्व तक का समय है इस युग मे पत्थर के अलावा तांबे( सबसे पहली बार भारत मे )का प्रयोग किया गया
purapashan kal            purapashan kal

पुरापाषाण युग

पुरापाषाण युग (पैलियोलिथिक युग,) जिसे पुराने पत्थर का युग भी कहा जाता है, एक प्रागैतिहासिक कालक्रम है जो लगभग 2.6 मिलियन वर्ष पहले से लेकर लगभग 10,000 वर्ष पहले तक था। इसकी विशेषता है प्राचीन मानव जनसंख्याओं द्वारा पत्थर के उपकरणों का व्यापक उपयोग किया जाना। पैलियोलिथिक युग को तीन प्रमुख चरणों में विभाजित किया जाता है:

1. निम्न पैलियोलिथिक (प्रारंभिक पत्थर का युग): यह अवधि लगभग 2.6 मिलियन वर्ष पहले शुरू हुई और लगभग 300,000 वर्ष पहले तक थी। इस समय के दौरान, प्रारंभिक मानव, जैसे कि होमो हैबिलिस और होमो एरेक्टस, ने सरल पत्थर के उपकरणों का उपयोग किया, मुख्यत: काटने, खरोंचने और पीसने जैसे कार्यों के लिए। वे खगोलीय शिकारी-इकट्ठाधारी थे जो खाने के लिए जानवरों की शिकार करते थे और पौधों को इकट्ठा करते थे।

2. मध्य पैलियोलिथिक: यह दौर लगभग 300,000 वर्ष पहले शुरू हुआ और लगभग 30,000 वर्ष पहले तक था। इस दौरान, नोटेबल विकास में नींदरथाल मानवों (होमो नींदरथालेंसिस) का उदय हुआ, जिन्होंने अधिक विशिष्ट पत्थर के उपकरण बनाए और ऐसे व्यवहार दिखाए जिनसे एक अधिक सांस्कृतिक जटिलता का संकेत होता है। प्रतीकत्मक विचार, दफन प्रथाएँ, और यहाँ वहाँ की आरंभिक कला के प्रारूप इस समय में प्रकट होते हैं।

प्राचीन भारत ( पाषाण युग ) Stone Age
3. उच्च पैलियोलिथिक: यह युग लगभग 40,000 वर्ष पहले शुरू हुआ और लगभग 10,000 वर्ष पहले तक रहा। उच्च पैलियोलिथिक की प्रमुख विशेषता मानव नवाचार और सांस्कृतिक उन्नति में एक महत्वपूर्ण वृद्धि है। इस समय में आधुनिक होमो सापियंस उत्पन्न हुआ और उन्होंने जटिल उपकरण, जैसे कि ब्लेड और प्रक्षेपणासूत्र, बनाए। उन्होंने तीर-तलवार का उपयोग करने जैसे उन्नत शिकार प्रतिक्रियाएँ भी विकसित की।

4.इस युग की प्रमुखता स्पष्ट रूप से प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति के बढ़ने के साथ है, जैसे कि गुफा चित्र, मूर्तिकला, और व्यक्तिगत आभूषण, जो एक उच्च स्तर की अवबोधना और कलात्मक सृजनात्मकता की संकेत करते हैं।
पैलियोलिथिक युग का अंत विशेषत: होलोसीन युग के आगमन और पौधों और जानवरों के पालन-पोषण के विकास के साथ जुड़ा है। इसने कृषि और पौधों और जानवरों की पालन-पोषण की विकसन की शुरुआत की, जिससे कृषि-आधारित समाजों के उदय और खगोलीय शिकारी-इकट्ठाधारी शैली से अधिक स्थायी बसे की ओर एक स्थायी बसे की ओर परिवर्तित हो गया।

पुरापाषाण युग

क्षेत्र जहा ये स्थान पाए गए

1) निम्न पाषाण युग – सोन घाटी (पाकिस्तानी पंजाब ), बेलन घाटी (जिला ,मिर्ज़ापुर ,उत्तरप्रदेश )
2) मध्य पाषाण युग – सोन घाटी ,बेलन घाटी ,नर्मदा घाटी ,और तुंगभद्रा घाटी
3) ऊपरी पाषाण युग – बेलन घाटी छोटासागर पठार , मध्य भारत ,नागपुर गुजरात ,कर्नाटक , और आँध्रप्रदेश

 

मध्यपाषाण युग Stone Age

madhyapashan kal        madhyapashan kal
(मेसोलिथिक युग,) जिसे मध्य पत्थर युग भी कहा जाता है, प्रागैतिहासिक कालक्रम में पुरानी पत्थर युग (पेलियोलिथिक) और नई पत्थर युग (नियोलिथिक) के बीच की एक अवधि है।

यहाँ कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं जो मेसोलिथिक युग की हैं:

  • समय अवधि: मेसोलिथिक युग विभिन्न जगहोंपर या क्षेत्र में अलग-अलग हो सकता है, लेकिन आमतौर पर यह लगभग 10,000 ईसा पूर्व से 5,000 ईसा पूर्व तक का समय स्पैन करता है। यह समयअंतर विभिन्न क्षेत्र और पुरातत्विक साक्ष्य की उपलब्धता के आधार पर भिन्न हो सकता है
  • मेसोलिथिक में शिकार और इकट्ठा करने के प्रथाएँ में कुछ परिवर्तन हुआ। लोग जल, शंखमिश्रित भोजन और छोटे खेल जानवरों जैसी विभिन्न खाद्य स्रोतों पर अधिक आश्रित होने लगे। यह संभावना है कि इससे लोगों का अधिक स्थायी जीवनशैली की ओर बढ़ने की दिशा में एक परिवर्तन हुआ।
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  • तकनीकी उन्नतियाँ: मेसोलिथिक युग में, उपकरण प्रौद्योगिकी में उन्नतियाँ हुईं। पत्थरी उपकरण और विशेषीकृत हो गए और इसमें माइक्रोलिथ्स की उत्पत्ति हुई—छोटे पत्थरी ब्लेड्स जिन्हें संयोजक उपकरण जैसे कि छड़ी और तीर बनाने के लिए उपयोग किया जाता था। ये उपकरण अक्सर लकड़ी की डंठल में डाले जाते थे, जो शिकार के और अन्य गतिविधियों के लिए उनकी प्रभावकारिता को बढ़ावा देती थी।
  • सामाजिक परिवर्तन: जैसे-जैसे लोग अधिक स्थायी होते गए, उन्होंने शायद अधिक स्थायी या आंशिक स्थायी बसेरे स्थापित करने लगे। यह संभावना है कि इससे बड़े समूह या समुदाय बनाने की सामाजिक जटिलता में वृद्धि हुई। हालांकि नई पत्थर युग जैसी बाद की अवधियों की तुलना में यहाँ भवनों की महत्वपूर्ण संरचनाओं की कम साक्ष्य है।
  • कला और प्रतीकता: मेसोलिथिक युग में गुफा चित्रकला, चट्टान पर उकेरे गए चित्र और छोटी-छोटी मूर्तियों के रूप में कलात्मक अभिव्यक्ति के साक्ष्य हैं। ये वस्तुएँ मानव सांस्कृतिक अभिव्यक्ति में वृद्धि और प्रतीकात्मक विचार की क्षमता की संभावना दिखाती हैं।

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पर्यावरणीय परिवर्तन: पेलियोलि

  • थिक से मेसोलिथिक की परियाप्तता के साथ, पिछली बर्फ की आखिरी बर्फबारी के साथ एक समय परियाप्तता के साथ संवाद होता है। जैसे ग्लेशियर पिछले होते गए और तापमान बढ़ता गया, और पारिस्थितिकी में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ। यह संभावना है कि इसने मानव जनसंख्या के साधनों और रणनीतियों पर प्रभाव डाला।

मध्यपाषाण युग
स्थान                                                              समय

1) आदमगढ़ –            होशंगाबांद के समीप ,मध्यप्रदेश             7 वी सहस्राब्दी ईसविसन पूर्व
2) भीमबेटका –          भोपाल के समीप मध्यप्रदेश                    7 वी से 5 वी सहस्राब्दी ईसविसन पूर्व
3) वोधोर –                सीधी के समीप मध्यप्रदेश                       8 वी से 5 वे सहस्राब्दी ईसविसन पूर्व
4) बागोर –                भीलवाड़ा के समीप राजस्थान                  6 वी सहस्राब्दी ईसविसन पूर्व
5) महागढ –              मेजा के समीप ,उत्तर प्रदेश                     10 वी सहस्राब्दी ईसविसन पूर्व
6) सराय नाहराय –     प्रतापगढ़ के समीप उत्तरप्रदेश                 10 वी सहस्राब्दी ईसविसन पूर्व
7) पायसरा –             मुंगेर के समीप बिहार                             7 वी सहस्राब्दी ईसविसन पूर्व

चलिए कुछ प्रश्न देखते है।

Q.1 प्राचीन काल को पाषाण युग क्यों कहा गया?  

ANS.

  • प्राचीन काल को पाषाण युग इसलिए कहा गया क्योंकि इस समय के लोग मुख्य रूप से पत्थरों (पाषाण) का उपयोग अपने जीवन के विभिन्न कार्यों में करते थे। यह युग मानव इतिहास का सबसे पुराना दौर है, जब इंसान ने सबसे पहले पत्थरों का इस्तेमाल हथियार और उपकरण बनाने के लिए किया।
  • इस युग के लोग पत्थरों से बने औजारों का उपयोग शिकार करने, जानवरों की खाल उतारने, लकड़ी काटने और अपने बचाव के लिए करते थे। पाषाण युग को तीन हिस्सों में बाँटा गया है: पुरापाषाण (पुराने पाषाण), मध्यपाषाण (मध्यवर्ती पाषाण), और नवपाषाण (नए पाषाण) युग।
  • इस समय के लोग गुफाओं में रहते थे और अपने आसपास के वातावरण से ही अपनी जरूरतों को पूरा करते थे। इसलिए, इस युग को “पाषाण युग” कहा जाता है।

Q.2 पाषाण युग के 3 काल कौन से हैं?

ANS. पाषाण युग को तीन कालों में बाँटा गया है-

  1. पुरापाषाण काल (Old Stone Age)- यह पाषाण युग का सबसे पुराना समय है। इस काल में लोग सबसे सरल पत्थर के औजारों का उपयोग करते थे। वे शिकार करते थे, खाने के लिए फल-फूल इकट्ठा करते थे, और गुफाओं में रहते थे।
  2. मध्यपाषाण काल (Middle Stone Age)- इस काल में इंसान ने पहले से बेहतर और छोटे पत्थर के औजार बनाने शुरू किए। वे छोटी-मोटी खेती करने लगे और जानवरों को पालना भी शुरू कर दिया। इस समय में जीवनशैली में कुछ बदलाव आए।
  3. नवपाषाण काल (New Stone Age)- यह पाषाण युग का अंतिम और सबसे विकसित समय है। इस काल में लोग पत्थरों के अलावा मिट्टी के बर्तन बनाने लगे और स्थायी घरों में रहने लगे। खेती का विकास हुआ, जिससे इंसान का जीवन स्थिर और संगठित हो गया।

ये तीनों काल पाषाण युग के विकास को दर्शाते हैं, जहां इंसान ने धीरे-धीरे तकनीक और जीवनशैली में सुधार किया।

Q.3 कौन से पूरा पाषाण स्थल में चूना पत्थर से बने औजार मिले थे?

ANS. पूरे पाषाण स्थल में चूना पत्थर से बने औजार मिले थे, और ये स्थल हैं-

भीमबेटका (मध्य प्रदेश): भीमबेटका गुफाएँ एक महत्वपूर्ण पुरापाषाण स्थल हैं। यहाँ की गुफाओं में चूना पत्थर से बने औजार और चित्रकारी के अवशेष मिले हैं। भीमबेटका की गुफाएँ यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी हैं।

भीमबेटका जैसी जगहों पर मिले चूना पत्थर के औजार हमें यह दिखाते हैं कि उस समय के लोग पत्थरों का उपयोग कैसे करते थे और वे अपने जीवन में क्या-क्या काम करते थे।

Q4. पाषाण युग को कितने कालों में बांटा गया है?

ANS. पाषाण युग को तीन मुख्य कालों में बाँटा गया है-

  1. पुरापाषाण काल (Old Stone Age)- यह पाषाण युग का सबसे पहला और लंबा काल था। इस समय के लोग बहुत ही सरल और बुनियादी पत्थर के औजारों का उपयोग करते थे। वे मुख्य रूप से शिकार और फल-फूल इकट्ठा करने पर निर्भर थे। इस काल में लोग गुफाओं में रहते थे।
  2. मध्यपाषाण काल (Middle Stone Age)- इस काल में इंसान ने औजारों को और अधिक विकसित किया। औजार अब पहले से छोटे और अधिक नुकीले बन गए थे। इस काल में लोग छोटी खेती और पशुपालन की शुरुआत करने लगे थे।
  3. नवपाषाण काल (New Stone Age)- यह पाषाण युग का अंतिम और सबसे विकसित काल था। इस समय के लोग खेती करने लगे थे, जिससे उन्हें भोजन के लिए इधर-उधर घूमने की जरूरत नहीं थी। वे स्थायी घरों में रहने लगे, और मिट्टी के बर्तन और अन्य औजारों का भी उपयोग शुरू कर दिया।

इन तीन कालों के माध्यम से पाषाण युग के दौरान मानव समाज में हुए विकास और बदलाव को समझा जा सकता है

Q.5 मध्य पाषाण काल का इतिहास?
ANS. मध्य पाषाण काल (Middle Stone Age) का इतिहास पाषाण युग के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह काल पुरापाषाण काल और नवपाषाण काल के बीच का समय है, जब मानव जीवन में धीरे-धीरे बदलाव आना शुरू हुआ।

इस काल की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  1. औजारों का विकास- मध्य पाषाण काल में लोग पहले से छोटे और अधिक परिष्कृत पत्थर के औजार बनाने लगे। इन औजारों का उपयोग शिकार, खाना काटने और अन्य दैनिक कार्यों में किया जाता था।
  2. छोटी बस्तियाँ- इस समय में लोग धीरे-धीरे स्थायी बस्तियाँ बसाने लगे, हालांकि वे अब भी ज्यादातर घूमंतू जीवन जीते थे। लेकिन कुछ लोग नदी किनारे और उपजाऊ इलाकों में बसने लगे थे।
  3. शिकार और संग्रहण- मध्य पाषाण काल के लोग शिकार करते थे और जंगल से फल, बीज, और अन्य खाद्य सामग्री इकट्ठा करते थे। इसके साथ ही, उन्होंने मछलियों को पकड़ने के लिए भी औजार बनाए।
  4. कृषि की शुरुआत- इस काल में कृषि की ओर एक छोटा कदम उठाया गया। लोग जंगली घासों को काटकर उनके बीज इकट्ठा करने लगे और उन्हें उपजाऊ जमीन पर बोने लगे। इससे खेती का प्रारंभिक रूप देखने को मिलता है।
  5. जीवनशैली में बदलाव- इस काल के लोग अब सिर्फ गुफाओं में ही नहीं रहते थे, बल्कि खुले में भी अस्थायी घर बनाने लगे थे। इसके अलावा, जानवरों को पालना भी इस समय में शुरू हुआ।

मध्य पाषाण काल का यह इतिहास बताता है कि कैसे मानव धीरे-धीरे प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग करने लगा और जीवनशैली में सुधार हुआ। यह काल मानव विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जो नवपाषाण काल की उन्नत कृषि और स्थायी बस्तियों की नींव रखता है

Q.6 पाषाण काल के औजार?

ANS. पाषाण काल के औजार उस समय के इंसानों द्वारा बनाए गए पहले और सबसे सरल उपकरण थे। ये औजार मुख्य रूप से पत्थरों से बनाए जाते थे और इन्हें विभिन्न कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता था। पाषाण काल के औजारों की कुछ खास बातें इस प्रकार हैं:

  1. हाथकुठार (Hand Axe)- यह पाषाण युग का सबसे पुराना और प्रमुख औजार था। इसे एक बड़े पत्थर को तराश कर बनाया जाता था। हाथकुठार का उपयोग शिकार करने, लकड़ी काटने, और जानवरों की खाल उतारने के लिए किया जाता था।
  2. खुरचनी (Scraper)- इस औजार का इस्तेमाल चमड़े, लकड़ी, और हड्डियों को खुरचने और साफ करने के लिए किया जाता था। खुरचनी को पत्थर के एक टुकड़े से बनाया जाता था, जिसे नुकीला और चपटा किया जाता था।
  3. भाले की नोक (Spear Points)- यह औजार पत्थरों को तराश कर बनाए जाते थे और इन्हें लकड़ी की छड़ी पर लगाकर भाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इसका उपयोग शिकार करने के लिए किया जाता था।
  4. चाकू (Knives)- पाषाण काल के लोग पत्थर के पतले टुकड़ों को चाकू की तरह बनाते थे। इनका उपयोग खाना काटने और अन्य दैनिक कार्यों में किया जाता था।
  5. कुल्हाड़ी (Axe)- पत्थर की कुल्हाड़ियाँ लकड़ी काटने और अन्य भारी कामों के लिए बनाई जाती थीं। ये औजार अधिकतर नवपाषाण काल में विकसित हुए थे, जब लोग खेती और निर्माण कार्यों में लगे थे।
  6. हथौड़ा पत्थर (Hammer Stones)- ये गोल पत्थर होते थे, जिनका उपयोग दूसरे पत्थरों को तोड़ने और औजार बनाने के लिए किया जाता था।

पाषाण काल के इन औजारों ने उस समय के लोगों को भोजन इकट्ठा करने, शिकार करने, और जीवन जीने में मदद की। ये औजार साधारण होते थे, लेकिन उस समय के लिए बहुत उपयोगी थे और मानव सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।

Q.7 पाषाण काल का अर्थ?

ANS. पाषाण काल का अर्थ है मानव इतिहास का वह समय जब लोग मुख्य रूप से पत्थरों का उपयोग औजार और हथियार बनाने के लिए करते थे। यह मानव सभ्यता का सबसे पुराना काल है और इसे इसलिए “पाषाण” (पत्थर) काल कहा जाता है क्योंकि इस समय के लोग पत्थरों से अपने जीवन के लिए जरूरी उपकरण और हथियार बनाते थे।

पाषाण काल को तीन मुख्य हिस्सों में बांटा गया है-

  1. पुरापाषाण काल (Old Stone Age)- यह पाषाण काल का सबसे पुराना समय है, जब लोग बड़े और भारी पत्थरों से बने औजारों का उपयोग करते थे। वे शिकार करते थे, और फल-फूल इकट्ठा करके अपना जीवन जीते थे।
  2. मध्यपाषाण काल (Middle Stone Age)- इस काल में औजार छोटे और अधिक परिष्कृत हो गए। लोग धीरे-धीरे स्थायी बस्तियों में बसने लगे और खेती की शुरुआत हुई।
  3. नवपाषाण काल (New Stone Age)- यह पाषाण काल का अंतिम और सबसे विकसित समय है। इस समय में लोग खेती करने लगे थे, स्थायी घर बनाने लगे थे, और मिट्टी के बर्तन का उपयोग शुरू हुआ।

पाषाण काल का महत्व इस बात में है कि इस समय में इंसान ने पहली बार अपने वातावरण को समझना और उसे अपने उपयोग के लिए बदलना शुरू किया। पत्थरों से औजार बनाने की कला ने मानव सभ्यता की नींव रखी और आगे चलकर तकनीकी और सामाजिक विकास का रास्ता खोला।

Q.8 पाषाण काल नोट्स?

ANS. परिचय-

  • पाषाण काल मानव इतिहास का सबसे पुराना काल है।
  • इस समय लोग पत्थरों से बने औजारों का उपयोग करते थे, इसलिए इसे “पाषाण काल” कहा जाता है।

पाषाण काल के तीन काल-

  1. पुरापाषाण काल (Old Stone Age)-
  • यह पाषाण काल का सबसे पुराना समय है।
  • लोग बड़े पत्थरों से औजार बनाते थे।
  • शिकार करना और फल-फूल इकट्ठा करना मुख्य जीवनशैली थी।
  • लोग गुफाओं में रहते थे।
  1. मध्यपाषाण काल (Middle Stone Age)-
  • औजार छोटे और अधिक नुकीले हो गए थे।
  • लोग स्थायी बस्तियाँ बसाने लगे थे।
  • शिकार के साथ-साथ खेती की शुरुआत भी हुई।
  • छोटे-छोटे समूहों में लोग रहने लगे।
  1. नवपाषाण काल (New Stone Age)-
  • लोग खेती करने लगे और स्थायी घर बनाने लगे।
  • मिट्टी के बर्तन और औजारों का उपयोग शुरू हुआ।
  • पशुपालन और कृषि का विकास हुआ।
  • जीवनशैली स्थायी और संगठित हो गई।

पाषाण काल के औजार-

  • हाथकुठार- शिकार और लकड़ी काटने के लिए।
  • खुरचनी- चमड़े और हड्डियों को साफ करने के लिए।
  • भाले की नोक- शिकार के लिए भाले बनाने में।
  • चाकू- खाना काटने और अन्य कार्यों के लिए।
  • कुल्हाड़ी- लकड़ी काटने और अन्य भारी कामों के लिए।

जीवनशैली-

  • लोग गुफाओं या खुले में रहते थे।
  • भोजन के लिए शिकार, मछली पकड़ना, और फल-फूल इकट्ठा करते थे।
  • धीरे-धीरे कृषि और पशुपालन का विकास हुआ, जिससे जीवन स्थिर हो गया।

महत्व-

  • पाषाण काल में मानव ने पहली बार औजार बनाए और उनका उपयोग किया।
  • इस काल ने मानव समाज की नींव रखी, जिससे आगे चलकर सभ्यता का विकास हुआ।

निचे दिए गए लिंक पर पाषाण काल के नोट्स की PDF दी गई है। 

Q.8 पाषाण काल नोट्स

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