सिकंदर ने भारत पर आक्रमण क्यों किया Why did Alexander attack India

सिकंदर ने भारत पर आक्रमण क्यों किया Why did Alexander attack India

Why did Alexander attack India इस लेख में जानें अलेक्ज़ैंडर के आक्रमण के पीछे के मुख्य कारण। उनकी सामरिक योजनाएं, राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं और सांस्कृतिक प्रभावों की चर्चा करें। यह लेख आपको इस ऐतिहासिक घटना के महत्व को समझने में मदद करेगा।

परिचय

  • इतिहास के सबसे सफल सैन्य कमांडरों में से एक, सिकंदर ने अपने साम्राज्य को तीन महाद्वीपों तक फैलाया, जो भारत तक पहुँच गया। 327 और 325 ईसा पूर्व के बीच भारत पर उसका आक्रमण, उसके साम्राज्य के सबसे पूर्वी विस्तार को चिह्नित करता है। इस अभियान ने न केवल सिकंदर की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया, बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप पर महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रभाव भी डाला।

सिकंदर ने भारत पर आक्रमण क्यों किया Why did Alexander attack India

  • ईरानियों के बाद आक्रमणकारियों ने यूनानियों का स्थान है जिन्होंने चौथी सदी ई.पू, में भारत पर आक्रमण किया 324 इस. पूर्व में अपने पिता फिलिप की मृत्यु के पश्चात सिकंदर मक़दूनिया दुनिया की गद्दी पर बैठा। 339 ई ,पू.तक उसने एशिया माइनर से अफगानिस्तान तक समूचे फारस को जीत लिया था। उसने मई 327 ई. सन पूर्व में हिंदू कुश पर किया तथा शेष बचे साल में जंगली कबीलो पर नियंत्रित किया।
  • सिकंदर के आक्रमण से पूर्व उत्तरी तथा उत्तर पश्चिमी भारत में कई छोटे-छोटे मुखिया तथा स्वतंत्र बिलों का शासन था। वह घरेलू झगड़ों तथा निरंतर लड़ाईया में अपनी शांति तथा संसाधनों का अपव्यय करते थे। तक्षशिला नरेश ने पौरवों से अपनी शत्रुता के कारण अपने पुत्र आम्भी को सिकंदर से अन्य भारतीय राजाओं के विरुद्ध सहयोग का आश्वासन पाने के लिए बैक्ट्रिया भेजा। अटक से उदगम की तरफ लगभग 10 मिल जाकर उन्द अथवा औहिंद में नावों के पुल की मदद से सिकंदर ने झेलम पर की।
  • इस बीच तक्षशिला में अपने पिता के स्थान पर शासक बन चुके आम्भी ने सिकंदर का नम्रता पूर्वक स्वागत किया। यहां से सिकंदर ने पोरस से अधीनता स्वीकार कर लेने को कहा जिसका उत्तर उसे नकारात्मक मिला तथा युद्ध की तैयारीया होने लगी। सिकंदर ने भारत पर आक्रमण क्यों किया इतिहास की कुछ अनसुनी कहानियां। Why did Alexander attack India? Some unheard stories from history.

हिडैस्पस का युद्ध

  • सिकंदर अपनी टुकड़ी के साथ हिडैस्पस (झेलम) नदी के तट पर जां पहुंचा। उफ़नती हुई नदी के कारण कई हफ्तों के लिए उसे रुकना पड़ा। अतः उसने अंधेरे में नदी को पार करके पोरस को चकित कर दिया। कारसी के मैदान में भीषण युद्ध हुआ। पोरस अदम्य बहादुरी के प्रदर्शन के बावजूद पराजित हुआ। लगभग 12,000 सैनिक मारे गए तथा 6,000 बंदी बनाए गए। घायल पोरस आत्मसमर्पण को बाध्य हुआ। विजेता ने पोरस को स्वतंत्रता भावना से प्रभावित होते हुए न सिर्फ उसका राज्य लौटा दिया वरन उसकी सीमाएं और बढ़ा दी।
  • झेलम को पार करके वह आगे पूर्व की ओर बढ़ा। उसने अक्सीनि (चेनाब) तथा हाइड्रोटस (रावी ) को पार करते हुए कांठो की राजधानी सांगल को जीत लिया। मगध को जीतने के लक्ष्य के साथ वह व्यास तट की ओर बढ़ा, लेकिन उसके क्लांत सैनिकों ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया। लंबे अभियानों की कठिनाइयां तथा अपने घरों से अलगाव ने उन्हें वापस मातृभूमि लौट के बारे में सोचने को बाध्य कर दिया।
  • साथ ही उन्होंने यह भी सुना कि व्यास के पार स्थिति मजबूत राज्य को झुकाना इतना आसान नहीं था। इस कारण सिकंदर अपने सैनिकों को अपने नए अभियान के बारे में समजाणे और प्रेरित करने में असमर्थ रहा।
  • अक्टूबर 326 ई. पूर्व में अंतः झेलम तथा सिंधु के प्रस्थान आरंभ हुआ। यहां पर उसने अपनी सेवा को दो भागों में विभक्त किया। एक हिस्सा नियार्कस के संचालन में समुद्र मार्ग में भेजा गया। दूसरा हिस्सा स्वयं उसके नियंत्रण में रहा। सितंबर 325 ई. पूर्व में उसने आधुनिक कराची के निकट से स्थल मार्ग से प्रयाण किया। बेबीलॉन (आधुनिक बगदाद) पहुंचने के बाद वह अचानक गंभीर रूप से बीमार पड़ा तथा मात्र 33 वर्ष की आयु में जून 323 ई.पूर्व में उसकी मृत्यु हो गई।
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राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव

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शहरों की स्थापना:

  • सिकंदर ने कई शहरों की स्थापना की, जिनमें अलेक्जेंड्रिया बुसेफालस और अलेक्जेंड्रिया निकिया शामिल हैं, जो प्रशासनिक केंद्रों के रूप में काम करते थे और ग्रीक संस्कृति को फैलाने में मदद करते थे।

ग्रीक संस्कृति का परिचय:

  • आक्रमण ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाया, जिससे भारत में हेलेनिस्टिक कला, वास्तुकला और दर्शन का प्रसार हुआ। संस्कृतियों के इस मिश्रण ने गांधार सभ्यता के विकास को प्रभावित किया।

आर्थिक प्रभाव:

  • नए व्यापार मार्गों के खुलने से ग्रीक और भारतीय दुनिया के बीच आर्थिक संपर्क बढ़ा, जिससे वस्तुओं, विचारों और प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिला।

चुनौतियाँ और प्रतिरोध

जनजातियों से प्रतिरोध:

  • सिकंदर को पंजाब क्षेत्र में विभिन्न जनजातियों और क्षेत्रीय राजाओं से भयंकर प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। अपनी सैन्य शक्ति के बावजूद, इन क्षेत्रों पर नियंत्रण बनाए रखना चुनौतीपूर्ण साबित हुआ।

सैनिक मनोबल और विद्रोह:

  • भीषण अभियान ने सिकंदर के सैनिकों पर भारी असर डाला। 326 ईसा पूर्व में, ब्यास नदी के पास, थके हुए और घर लौटने के लिए उत्सुक उसके सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। अनिच्छा से, सिकंदर वापस लौटने के लिए सहमत हो गया।

हेलेनिस्टिक प्रभाव:

  • सिकंदर के भारतीय अभियान की संक्षिप्त अवधि के बावजूद, उसका प्रभाव कायम रहा। चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित मौर्य साम्राज्य, जो सिकंदर से मिला, ने यूनानियों से कई प्रशासनिक और सैन्य नवाचारों को अपनाया।
  • बौद्ध धर्म और हेलेनिज्म: ग्रीक और भारतीय संस्कृतियों के बीच बातचीत के दीर्घकालिक प्रभाव थे, जो ग्रीक दुनिया में बौद्ध धर्म के प्रसार और बौद्ध कला में ग्रीक कलात्मक तत्वों के समावेश में देखा गया।

निष्कर्ष

  • सिकंदर का भारत पर आक्रमण एक उल्लेखनीय सैन्य उपलब्धि थी जिसने ज्ञात दुनिया की सीमाओं को आगे बढ़ाया। अपने अभियान की संक्षिप्तता और तत्काल चुनौतियों के बावजूद, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिदृश्य पर दीर्घकालिक प्रभाव गहरा था। ग्रीक और भारतीय संस्कृतियों के संलयन ने बाद के अंतःक्रियाओं के लिए आधार तैयार किया और दोनों क्षेत्रों के इतिहास में एक स्थायी विरासत छोड़ी।

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