Why is Uniform Civil Code necessary for modern India?
Why is Uniform Civil Code necessary for modern India? समाज में समानता, न्याय और एकता लाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। जानिए क्यों UCC सभी नागरिकों के लिए समान कानून की जरूरत को पूरा कर सकता है और कैसे यह देश के विकास में योगदान दे सकता है।
प्रस्तावना-
- समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) का मतलब है कि एक ऐसा कानून जो सभी नागरिकों के लिए समान हो, चाहे उनकी धर्म, जाति, लिंग या समुदाय कुछ भी हो। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में यह सुझाव दिया गया है कि राज्य को भारत के संपूर्ण क्षेत्र में नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। हालांकि, इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है। आधुनिक भारत में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता और इसके लाभों पर विचार करना महत्वपूर्ण है।
- भारत के सभी धर्म और वर्गों के नागरिकों के लिए एक समान नागरिकता आचार संहिता लागू करने की मांग आजादी के बाद से लगातार उठ रही है। आजादी से पहले भी 1931 को कांग्रेस अधिवेशन में सरदार वल्लभभाई पटेल ने खुद सबके लिए एक समान कानून की वकालत की थी। आजादी के बाद जनसंघ और बीजेपी ने समान नागरिक संहिता को अपने चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा बनाया।
- सितंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के “जस्टिस दीपक गुप्ता” और “जस्टिस अनिरुद्ध बस” की पीठ ने इस पर चिंता भी जताई। देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए अब तक कोई प्रयास किया नहीं गया वर्तमान में गुजरात सहित कुछ राज्य अपने यहां समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कमेटी बनाने की घोषणा कर चुके हैं। वर्तमान में गोवा भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां समान नागरिक संहिता लागू है।
- अधिकांश कानून सिविल मामलों के अगर बात करें तो समान नागरिक संहिता का पालन करते हुए नजर आते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कई बार इसके विषय पर विचार करने और इसे लागू करने पर अपनी बात रखने के लिए कहा है। सितंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के पीठ ने समान नागरिक कानून लागू न करने पर चिंता भी जताई है।
समान नागरिक संहिता का महत्व-
- सामाजिक समानता: समान नागरिक संहिता सामाजिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। यह विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच कानूनी भेदभाव को समाप्त करेगा। उदाहरण के लिए, वर्तमान में विवाह, तलाक, और उत्तराधिकार के मामलों में अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग कानून लागू होते हैं। यह स्थिति भेदभावपूर्ण हो सकती है और समान नागरिक संहिता इस भेदभाव को समाप्त कर सकती है।
- लैंगिक समानता: समान नागरिक संहिता लैंगिक समानता को बढ़ावा देगी। वर्तमान में, कई धार्मिक व्यक्तिगत कानून महिलाओं के अधिकारों के साथ भेदभाव करते हैं। समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करेगी कि सभी नागरिकों को समान अधिकार और कर्तव्य मिलें, जिससे महिलाओं को भी समानता का अधिकार मिलेगा।
- राष्ट्रीय एकता: समान नागरिक संहिता राष्ट्रीय एकता को भी मजबूत करेगी। जब सभी नागरिक एक ही कानून के अधीन होंगे, तो यह भारतीय नागरिकता की भावना को बढ़ावा देगा और विभिन्न समुदायों के बीच आपसी विश्वास और सामंजस्य को प्रोत्साहित करेगा।
- कानूनी सरलीकरण: विभिन्न धर्मों के अलग-अलग व्यक्तिगत कानूनों के स्थान पर एक समान नागरिक संहिता लागू होने से कानूनी प्रक्रियाएं सरल हो जाएंगी। इससे न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आएगी और नागरिकों को न्याय पाने में कम समय लगेगा।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य-
- समान नागरिक संहिता का विचार नया नहीं है। भारतीय संविधान सभा में इस पर बहस हुई थी और यह संविधान के निर्देशक सिद्धांतों में शामिल किया गया। हालांकि, विभिन्न धार्मिक समूहों के विरोध के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका। भारतीय न्यायालयों ने समय-समय पर समान नागरिक संहिता की आवश्यकता पर जोर दिया है। कई प्रमुख न्यायाधीशों ने यह सुझाव दिया है कि देश में एक समान नागरिक संहिता होनी चाहिए ताकि न्यायालयों पर धार्मिक कानूनों के अनुरूप फैसले देने का दबाव न हो।
चुनौतियां-
- समान नागरिक संहिता को लागू करने में कई चुनौतियां हैं। इनमें से कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं:
- धार्मिक संवेदनशीलता: भारत एक धार्मिक विविधता वाला देश है। विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोगों के अलग-अलग विश्वास और प्रथाएं हैं। समान नागरिक संहिता के लागू होने से इन धार्मिक समूहों में असंतोष हो सकता है।
- राजनीतिक विरोध: राजनीतिक दल अक्सर इस मुद्दे को वोट बैंक की राजनीति के लिए उपयोग करते हैं। यह मुद्दा राजनीतिक रूप से संवेदनशील है और इसका विरोध करने वाले दल इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमले के रूप में पेश कर सकते हैं।
- सामाजिक ध्रुवीकरण: समान नागरिक संहिता का विरोध करने वाले तर्क देते हैं कि यह समाज में ध्रुवीकरण बढ़ा सकता है। वे कहते हैं कि धार्मिक समूह इसे अपनी धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ मान सकते हैं और इससे समाज में तनाव बढ़ सकता है।
संभावित समाधान
- समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं:
- सामाजिक जागरूकता: सरकार और नागरिक समाज को मिलकर लोगों में समान नागरिक संहिता के लाभों के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए। इससे लोग इसके महत्व को समझ सकेंगे और इसका विरोध कम होगा।
- संवाद और परामर्श: सभी धर्मों और समुदायों के नेताओं और प्रतिनिधियों के साथ संवाद और परामर्श किया जाना चाहिए। इससे उनकी चिंताओं को समझा जा सकेगा और समाधान निकाला जा सकेगा।
- कानूनी सुधार: समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए वर्तमान धार्मिक व्यक्तिगत कानूनों में सुधार किया जा सकता है। इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा सकता है ताकि लोगों को इसे अपनाने में समय मिल सके।
उदाहरण और साक्ष्य-
- भारत में गोवा एक ऐसा राज्य है जहां समान नागरिक संहिता पहले से ही लागू है। गोवा के नागरिक एक ही नागरिक संहिता के तहत आते हैं, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। यह दिखाता है कि समान नागरिक संहिता लागू करना संभव है और यह सफल हो सकता है।
- इसके अलावा, कई देशों में समान नागरिक संहिता पहले से ही लागू है। उदाहरण के लिए, फ्रांस और अमेरिका में सभी नागरिकों के लिए समान कानून हैं। यह दिखाता है कि यह एक व्यावहारिक और लाभकारी प्रणाली है।
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निष्कर्ष-
- आधुनिक भारत के लिए समान नागरिक संहिता की आवश्यकता महत्वपूर्ण है। यह सामाजिक समानता, लैंगिक समानता, राष्ट्रीय एकता और कानूनी सरलीकरण को बढ़ावा देगा। हालांकि, इसे लागू करने में चुनौतियां हैं, लेकिन सही तरीके से संवाद, जागरूकता और परामर्श के माध्यम से इन चुनौतियों को पार किया जा सकता है। समान नागरिक संहिता भारत को एक अधिक समावेशी, समान और न्यायपूर्ण समाज की दिशा में ले जाने में सहायक हो सकती है।
- समान नागरिक संहिता का उद्देश्य केवल कानूनों का एकीकरण नहीं है, बल्कि एक ऐसा समाज बनाना है जिसमें हर नागरिक को समान अधिकार और सम्मान मिले। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारत को एक प्रगतिशील और आधुनिक राष्ट्र बनने में मदद करेगा।
FAQ-
Q.1) What is the benefit of Uniform Civil Code? समान नागरिक संहिता का क्या लाभ है?
ANS- समान नागरिक संहिता का लाभ यह है कि यह सभी नागरिकों को समान अधिकार और दायित्व देता है बिना किसी धर्म या जाति के भेदभाव के। यह एकता और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करता है।
Q.2) Which state has UCC in India? भारत में किस राज्य में समान नागरिक संहिता लागू है?
ANS- UCC लागू करने वाले राज्य गोवा है।
Q.3) What is the case on Uniform Civil Code? समान नागरिक संहिता पर क्या मामला है?
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) भारतीय संविधान के तहत सभी नागरिकों को एक ही नागरिक संहिता के तहत न्याय और अधिकार प्राप्त करने का प्रस्ताव है। इस प्रक्रिया में विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के व्यक्तिगत कानूनों को समाहित किया जाएगा। यह विवादित विषय है जिसपर भारतीय समाज में विभिन्न धार्मिक और सामाजिक समूहों के बीच विचाराधीनता रहती है।
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